Rajanish Kumar Srivastava
02-01-2016 ·जनाब यू०पी० चुनाव में साईकिल फ्रीज होगी और फिर मोटरसाईकिल फर्राटे से दौड़ेगी।आश्चर्य ना कीजिएगा यह सत्य होने जा रहा है।यू०पी० चुनाव के मद्देनजर मेरा विश्लेषण है कि अगर प्रचार के चकाचौंध से इतर जमीनी हकीकत की पड़ताल की जाए तो आज भी यू०पी० का चुनाव सपा(अखिलेश यादव) के सम्भावित महागठबंधन और बसपा के बीच ही सिमटने जा रहा है।कारण बहुत स्पष्ट है कि एक ओर मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे युवा अखिलेश यादव तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री का चेहरा होंगी सुश्री मायावती।लेकिन भाजपा ने रणनीतिक गलती करते हुए मुख्यमंत्री का चेहरा किसी को ना बनाने की रणनीति अपनाई है।बिना नरेन्द्र मोदी के भाजपा का अपना वोट यू०पी० में 15% से ज्यादा कतई नहीं हैं।यह मोदी फैक्टर था जिसने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 30% वोटों तक पहुँचा दिया था। इस पृष्ठभूमि में केन्द्र सरकार भी आधा से ज्यादा कार्यकाल बिताने के बाद भी किसानों और मजदूरों के खाते में कोई ऐसी उपलब्धि नहीं डाल सकी है जिससे ग्रामीण क्षेत्र में वैसी मोदी लहर आ सके जैसी लोकसभा चुनाव में पैदा की गयी थी। लिहाजा मुख्य मुकाबला 25% से 30% तक का अक्षुण जनाधार रखने वाली बसपा और सपा (अखिलेश यादव) महागठबंधन के बीच होने जा रहा है।इसमें भी बेहतर रणनीतिक तैयारी की वजह से अखिलेश यादव महागठबंधन बड़ी जीत हासिल कर लेगा।कैसे चलिए एक पड़ताल की जाए:--
सपा में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव खेमें की वर्तमान लड़ाई अखिलेश यादव का सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक है।बेहद स्मार्ट मूव के तहत अखिलेश खेमें ने अपनी वर्तमान चुनौतियों को एक लाभ के अवसर के रूप में परिवर्तित कर लिया है।गुँण्डागर्दी के आरोप वाली परम्परावादी समाजवादी पार्टी से पीछा छुड़ा लिया है और गुण्डों और बाहुबलियों के विरुद्ध संघर्ष करने वाली और केवल विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाली प्रगतिशील पार्टी की छवि बखूबी गढ़ ली है।पार्टी के इस अंदरूनी संघर्ष को जानबूझकर अखिलेश यादव ने चुनाव के समय नजदीक आने पर निर्णायक मोड़ दिया है और प्लान A और प्लान B दोनों तैयार रखें हैं।मुलायम खेमा चारो खाना चित गिरने जा रहा है।अब जबकि पार्टी में चुनाव चिन्ह का मामला चुनाव आयोग की दहलीज पर पहुँच चुका है तो अखिलेश खेमा तय रणनीति के तहत जानता है कि इतना कम समय चुनाव में बचा है कि चुनाव आयोग के सामने साईकिल चुनाव चिन्ह फ्रीज करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता शेष नहीं हैं ऐसे में अखिलेश खेमें ने प्लान B के तहत एक सुरक्षित पार्टी #समाजवादी जनता पार्टी# का इंतजाम पहले से सुरक्षित कर लिया है जिसका चुनाव चिन्ह है मोटरसाईकिल।जबकि मुलायम खेमा बिना तैयारी के इतना मुलायम हो जाएगा जहाँ बचेगी तो सिर्फ भगदड़। यहाँ अखिलेश यादव जहाँ एक तरफ एण्टी इन्कम्बेन्सी वाली सारी विरासत को पीछे छोड़कर प्रगतिशील पार्टी के रूप में सहानुभूति लहर का फायदा पाएँगे वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन की बड़ी ताकत के साथ लगभग तीन सौ सीटों पर फर्राटे से मोटरसाईकिल चलाते हुए दमदारी से विधानसभा भवन में प्रवेश कर जाएँगे।यानी जिसका जलवा कायम है उसका बाप मुलायम है। चुनाव परिणाम बताएगा कि मेरा विश्लेषण कितना सही है।
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विभिन्न विश्लेषण व विचार पहली जनवरी के विशेष सपा अधवेशन के संबंध में आप देख पढ़ रहे हैं। हम यहाँ केवल ग्रह - नक्षत्रों का विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं । 01-01-2017 को प्रातः 11:30 पर सपा के विशेष प्रतिनिधि सम्मेलन में मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को पार्टी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ जो सर्व - सम्मति से स्वीकृत हुआ।
*यह समय चंद्र महादशा में गुरु की अंतर्दशा का हुआ जो सामान्य है और 13 दिसंबर 2017 तक रहेगा, इसीलिए उनके लिए स्थितियाँ भी सामान्य ही बनी रहीं और बनी रहेंगी। फिर 13 जूलाई 2019 तक शुभ समय रहेगा। 13 मार्च 2023 तक श्रेष्ठ समय भी रहेगा लेकिन 13 जूलाई 2019 से 12 दिसंबर 2020 तक बीच के समय में ज़रूर सतर्कता पूर्वक चलना होगा।
* उस समय लखनऊ में कुम्भ लग्न चल रही थी जो एक स्थिर राशि की लग्न है ।यही कारण है कि, यह पद चुनाव स्थिर रहने वाला है और सभी सम्झौता प्रस्ताव किसी भी कारण से असफल रहे हैं। लग्न में ही मंगल, केतू व शुक्र ग्रह स्थित हैं। जहां मंगल, केतु नेतृत्व क्षमता में दृढ़ता के परिचायक हैं वहीं शुक्र सौम्यता, मधुरता व दूरदर्शिता के लक्षण बताता है जिस कारण वह किसी दबाव या प्रलोभन में झुक न सके ।
* दिवतीय भाव में जो राज्यकृपा का होता है मीन लग्न स्थित है जिसका स्वामी ब्रहस्पति अष्टम भाव में बैठ कर पूर्ण सप्तम दृष्टि से उसे देख रहा है। अतः उन पर आगे भी राज्य - योग कृपा बनाए रखेग।
*तृतीय भाव में जो जनमत, पराक्रम व स्वाभिमान का होता है मेष लग्न स्थित है जिसका स्वामी मंगल लग्न में ही बैठ कर अनुकूलता प्रदान कर रहा है और इसी कारण पार्टी पदाधिकारियों के 90 प्रतिशत का समर्थन ही उनको न केवल मिला वरन जनमत सर्वेक्षणों में भी लोकप्रियता हासिल रही है। इस प्रकार उनका स्वाभिमान आगे भी बरकरार रहने की संभावनाएं बनी हुई हैं।
*चतुर्थ भाव में जो लोकप्रियता व मान -सम्मान का होता है वृष राशि स्थित है जिसका स्वामी लग्न में बैठ कर उनमें दूरदर्शिता का संचार कर रहा है अतः आगामी चुनावों में भी उनको इसका लाभ मिलने की संभावनाएं मौजूद हैं।
*पंचम भाव में जो लोकतन्त्र का होता है मिथुन लग्न स्थित है जिसका स्वामी बुध लाभ के एकादश भाव में सूर्य के साथ स्थित है। बुध सूर्य के साथ होने पर और अधिक बलशाली हो जाता है तथा सूर्य - बुध मिल कर आदित्य योग भी बनाते हैं जो कि, राज्य योग होता है। अतः चुनावों में अखिलेश जी की सफलता लोकतन्त्र को मजबूत करने वाली ही होगी क्योंकि इससे फासिस्ट शक्तियों को मुंह की खानी पड़ेगी।
*सप्तम भाव में जो सहयोगियों, राजनीतिक साथियों व नेतृत्व का होता है सिंह राशि स्थित है जिसका स्वामी सूर्य एकादश भाव में गुरु की राशि धनु में बुध के साथ स्थित है। इसके अतिरिक्त इस भाव में राहू भी बैठ कर कुम्भ लग्न को देख रहा है जो उसकी अपनी राशि भी मानी जाती है। इस प्रकार अखिलेश जी अपनी पार्टी के बुद्धिजीवियों, नेताओं और साथियों में अधिकांश का समर्थन पाने में सफल रहे हैं जो फिलहाल जनतंत्र व जनता के लिए उत्तम स्थितियों का ही संकेत करता है। उम्मीद है कि, अपने बुद्धि कौशल से वह ग्रहों की अनुकूलता का पूर्ण लाभ उठाने में सफल रहेंगे।
(विजय राजबली माथुर )
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