मंगलवार, 4 अगस्त 2020

ज्योतिष का विरोध करते करते ------




 * ज्योतिष का विरोध करते करते जब मैं खुद ज्योतिष का जानकार बन गया और सार्वजनिक रूप से लोगों को समाधान बताने लगा तब आगरा में एक स्थापित जानकार के जी शर्मा साहब ने तंज़ किया था कि आपने ब्राह्मणों के मुंह पर तमाचा मारा है जो इस क्षेत्र में आ गए।
लखनऊ आने पर एक उच्च पदस्थ ब्राह्मण कामरेड साहब का कहना था कि जब इस क्षेत्र में आए हो तो वैसे ही चलो जैसे सब चलते हैं तभी सफल हो सकते हो वरना नहीं।
सिर्फ ब्राह्मणों की ही नहीं बल्कि ज़्यादातर लोगों की यही समझ है कि ज्योतिष का जानकार केवल ब्राह्मण ही हो सकता है या गैर ब्राह्मण अगर स्थापित ब्राह्मण की तर्ज पर चले तभी उसे सफल माना जाएगा। लेकिन खुद ब्राह्मण अपने निजी हित  में बड़े आराम से मुझसे परामर्श लेकर लाभ उठाते रहे हैं। आगरा कालेज,आगरा में जूलाजी के विभागाध्यक्ष रहे डॉ वी के तिवारी, बी पी सी एल के उच्चाधिकारी रहे डॉ बी एम उपाध्याय,सी एफ टी आई , आगरा में डिप्टी डाइरेक्टर रहे आर पुरी,सपा नेता पंडित एस पालीवाल तथा लखनऊ में भाकपा के एक बड़े पदाधिकारी  ब्राह्मण कामरेड के साथ साथ दो अन्य ब्राह्मण कामरेड्स मुझसे ज्योतिषीय परामर्श लाभ ले चुके हैं।

 ** लेकिन जब हमारे अपने रिश्तेदार मुझसे परामर्श तो ले लेते हैं फिर भी मानते ब्राह्मण पंडितों की हैं और नुकसान उठा लेते हैं तब बेहद वेदना होती है कि मुझसे पूछने का उनको फायदा क्या हुआ जब लकीर का फकीर ही बने रहना था?  ऐसे ही एक रिश्तेदार ने अपनी बेटी की शादी किसी ब्राह्मण पंडित से गुण मिलवा कर ऐसे समय में कर दी जो मैंने ल्खित में खराब बताया था और उसका समाधान भी लिख कर दिया था। जब मुझे बताए ही नहीं तो मेरा बताया समाधान कैसे कर सकते थे ? अब जब सुसराल में उनकी बेटी को संकट का सामना करना पड़ रहा है तब ब्राह्मण पंडित के पास न जाकर मुझसे उसका समाधान चाहते हैं। यदि पहले ही मेरी बात माने होते तब अब उनकी बेटी के समक्ष संकट खड़ा ही न होता।
इसी प्रकार आगरा में भी रिश्ते के एक बहनोई और एक भांजे ने अपनी अपनी बेटियों की शादी के समय मेरे बताए उपाए न करके ब्राह्मण पंडितों के बताए उपाए अपनाए और उन दोनों के समक्ष ही संकट खड़े हुये थे।

*** परंतु गैर रिश्तेदार कायस्थ परिवारों ने आगरा में मेरा ही परामर्श मान कर स्वंय  और अपने परिवार को संकटों से बचा लिया था। उनमें से एक ने दो  मकान बनाए और दोनों के गृह - प्रवेश पर ब्राह्मण पंडित न बुलाकर मुझसे ही हवन करवाने को कहा। 

**** लेकिन आपने कुछ निकटतम रिश्तेदार ऐसे भी हैं जो मुझसे परामर्श लेकर लाभ तो उठाया चुके हैं और आज मुझको ही नुकसान पहुंचाने में व्यस्त हैं। 


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