फिल्म में कमली (नंदा ) की शादी कराने वाले मध्यस्थ एक व्यापारी हैं और वह कमली के मामा से युद्ध के दौरान होने वाले बे इंतिहा मुनाफे का ज़िक्र करते हैं। मूल कहानी में भी ज़िक्र है कि भारतीय सैनिक ब्रिटिश साम्राज्यवाद के मुनाफे की खातिर कुर्बान हुये थे।
वस्तुतः 28 जून 1914 को आस्ट्रिया के राजकुमार की हत्या की गई थी जिसके बाद युद्ध की चिंगारी सुलग उठी थी ।जर्मन सम्राट विलियम कौसर द्वितीय का प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रिंस बिस्मार्क ने जर्मनी को ब्रिटेन के मुक़ाबले श्रेष्ठ साबित करने और जर्मन साम्राज्य स्थापित करने में बाधक 'प्रशिया' प्रांत को जर्मनी से निकाल दिया था जबकि प्रशियन जर्मनी में बने रहना चाहते थे और इस हेतु संघर्ष छेड़ दिया था। जर्मनी सामराज्य स्थापना करके ब्रिटेन के लिए चुनौती न प्रस्तुत करे इसलिए ब्रिटेन ने 04 अगस्त 1914 को जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी थी ।
उस समय के प्रभावशाली कांग्रेस नेता बाल गंगाधर तिलक मांडले जेल मे कैद थे और मोहनदास करमचंद गांधी अफ्रीका से भारत आ गए थे और गोपाल कृष्ण गोखले के स्वर मे स्वर मिलाने लगे थे । लाला हरदयाल ने विदेश में जाकर गदर पार्टी की स्थापना देश को आज़ाद कराने हेतु की थी जिसको सिंगापूर मे सफलता भी मिली थी।गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार को इस आश्वासन के बाद युद्ध में सहयोग किया था कि युद्ध समाप्त होते ही भारत को आज़ाद कर दिया जाएगा। इस युद्ध में 62 हज़ार मारे गए एवं 67 हज़ार घायल हुये थे भारतीय सैनिक। उनमें से ही एक थे सरदार लहना सिंह अर्थात फिल्म के नंदू ।
गुलेरी जी ने लहना सिंह के बचपन के प्रेम को आधार बना कर इस कहानी के माध्यम से युद्ध की विभीषिका,छल-छद्यम,व्यापार मुनाफा,काला बाजारी सभी बातों को जनता के समक्ष रखा है सिर्फ प्रेम-गाथा को नहीं । सैनिकों की मनोदशा,उनके कष्टों तथा अदम्य साहस का वर्णन भी इस कहानी तथा फिल्म दोनों में है।
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satya ..sarthak..avm satik.....
जवाब देंहटाएंbahut ho badhiya kahani hai....
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