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बाबूजी (निधन-13 जून 1995 )और बउआ(निधन-25 जून 1995) चित्र 1978 मे रिटायरमेंट से पूर्व लिया गया |
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"प्रदेश भाकपा के आह्वान पर लखनऊ में 22-क़ैसर बाग स्थित कार्यालय से एक प्रदर्शन जुलूस जिलाधिकारी कार्यालय तक निकाला गया। प्रदर्शन का उद्देश्य महिलाओं पर हिंसा,बच्चियों की सुरक्षा,बिगड़ी कानून-व्यवस्था,प्रशासन और अपराधियों की मिली-भगत से महिलाओं की इज्ज़त और ज़िंदगी पर हो रहे घातक हमलों के प्रति जनता का ध्यानकर्षण करना व राज्यपाल महोदय को प्रदेश सरकार की अकर्मण्यता के बारे में ज्ञापन द्वारा सूचित करना था।
ज्ञापन में मांग की गई है कि,घरेलू हिंसा हेतु अधिनियम-2005 लागू किया जाये,प्रदेश में वादों के जल्दी निपटारे हेतु विशेष अदालतों का गठन किया जाये तथा उसकी समय सीमा निर्धारित की जाये। हिंसा पीड़ित बेसहारा महिलाओं के पुनर्वास की व्यवस्था की जाये ।महिलाओं व बच्चियों पर हिंसा व उनकी हत्या को अंजाम देने वाली वीभत्स घटनाओं को रोका जाये।
जिलाधिकारी की ओर से सिटी मेजिस्ट्रेट ने ज्ञापन लिया और ज़रूरी कारवाई किए जाने का आश्वासन दिया।
प्रदर्शन का नेतृत्व डॉ गिरीश व कामरेड आशा मिश्रा ने किया जिसमें जिलामंत्री के अतिरिक्त अन्य लोगों में शामिल होने वाले प्रमुख कामरेड थे-दीपा पांडे,बबीता,अपने पुत्र सहित मुख्तार साहब,मास्टर सत्यनारायन,कनहाई लाल,रूपनारायण लोधी,मधुराम मधुकर एवं विजय माथुर। "
कल 12 जून 2014 को फेसबुक पर यह नोट प्रदर्शन में भाग लेने के उपरांत दिया था। तब 39 वर्ष पूर्व 12 जून 1975 को अलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा साहब के उस निर्णय का भी स्मरण हो आया था जिसमें उन्होने प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिराजी के 1971 के रायबरेली से निर्वाचन को अवेद्ध घोषित कर दिया था। एक 12 जून को एक शक्तिशाली महिला के विरुद्ध कोर्ट का निर्णय आता है और उसी 12 जून को भाकपा ने महिला उत्पीड़न के विरुद्ध संघर्ष -दिवस के रूप में चुना। इस संघर्ष आंदोलन में भाग लेने हेतु मुझे फोन करके समय व स्थान की जानकारी हासिल करनी पड़ी।ज़िले की ओर से अधिकृत रूप से अखबार या व्यक्तिगत रूप से कोई जानकारी मुझे नहीं दी गई थी।प्रदर्शन के बाद लौटते में प्रदेश सचिव जी को मैंने इस बात की सूचना मौखिक रूप से दे दी थी। 2014 के लोकसभा चुनावों में 543 में से भाकपा को केवल एक स्थान प्राप्त हुआ है जबकि 1952 में 17 स्थान प्राप्त करके यह पार्टी मुख्य विपक्षी दल के रूप में थी। इस स्थिति के बावजूद प्रदेश के एक पदाधिकारी जो लखनऊ ज़िले के सदस्य होते हुये भी ज़िले के इंचार्ज हैं मुझे निष्क्रिय कराने हेतु पार्टी मीटिंग्स की सूचनाएँ भी प्राप्त नहीं होने देते हैं। जब फेसबुक पर CPIML के लोगों द्वारा CPI की आलोचना देखता हूँ तो व्यथित हो जाता हूँ परंतु जब इस प्रकार का अंदरूनी व्यवहार देखता हूँ तब लगता है कि वे सही कह रहे हैं। जब नए लोग आ ही नहीं रहे हैं तब पुराने लोगों को हटाने का प्रयास तो CPIML के दृष्टिकोण का ही समर्थन करता है। यशवंत को भी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवा दी थी किन्तु दो वर्षों में एक बार भी ज़िले में जेनरल बाडी मीटिंग नहीं हुई है जिसमें वह भाग ले सकता। आगरा में तो वर्ष में दो-तीन जेनरल बाडी मीटिंग्स में साधारण सदस्यों को भाग लेने व पार्टी-शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल जाया करता था। बाबूजी के सहपाठी और रूम मेट रहे कामरेड भीखा लाल जी की पार्टी होने के कारण मैं तो अपमान सह कर भी बना हुआ हूँ किन्तु क्या आगे यशवंत और उस जैसे लोग बने रहना पसंद करेंगे?
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जवाब देंहटाएंReena Satin--- Dukhad hai..
Yahee haal har shahar mein hai..
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जवाब देंहटाएंAjay Malik · ---Friends with DrGirish Cpi and 6 others
Yahi hall sab jagh hai
1 hr · Unlike · 1