शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

क्यों होते हैं मेरे खिलाफ कई लोग ? ------ विजय राजबली माथुर





ईश्वर= जो समस्त ऐश्वर्यों से सम्पन्न हो अर्थात आज कोई भी नहीं। धर्म= शरीर व समाज को धारण करने वाले तत्व जैसे ' सत्य,अहिंसा (मनसा- वाचा- कर्मणा ),अस्तेय,अपरिग्रह व ब्रह्मचर्य'। जो 'नास्तिक संप्रदाय' धर्म के खिलाफ है वह स्व्भाविक रूप से 'ढ़ोंगी-पाखंडी-आडंबरकारी ,पुरोहितवादी/ब्राह्मण वाद' को अप्रत्यक्ष समर्थन देकर मजबूत करता है। इसीलिए समष्टिवादी 'साम्यवाद' भारत की धरती पर जन-उपेक्षा का शिकार होकर लुटेरे शोषकों के हमले झेल रहा है और निर्दोष कन्हैया कुमार जेल में यातनाग्रस्त हैं।
ढ़ोंगी-पाखंडी-आडंबरकारी/बाजरवादी क्रियाओं को धर्म की संज्ञा देना जनता को धोखे में रख कर उसके शोषकों का बचाव करना मात्र है। क्यों नहीं जनता को 'धर्म' का 'मर्म' समझा कर अपने साथ लाया जाता ?-------------यह सब ढ़ोंगी पुराण वाद (ब्राह्मण वाद )का चक्कर है जिसमें व्यर्थ उलझने के बजाए सच्चाई की बात करें। होलिका 'होला' शब्द से बना है अर्थात जौ,गेंहू,चना आदि की अर्द्ध पकी बालियाँ जिनके सेवन से आगे लू से बचाव होता है। हिरनाकश्यप = सोने का बिछौना है जिसका अर्थात आज का लुटेरा व्यापारी/उद्योगपति आदि। हिरिण्याक्ष  = सोने सी आँखें हैं जिसकी अर्थात शोषक,उत्पीड़क अधिकारी/पुजारी। 'प्रह्लाद'=प्रजा का आह्लाद अर्थात जनता का मंगल/संतुष्टि। दुर्गा = दुर्दमनीया शक्ति अर्थात जिसमें रोगों को नष्ट कर शरीर को स्वस्थ रखने की क्षमता हो वे औषद्धीयाँ। रक्तबीज=कैंसर, चंड-मुंड, महिशासुर आदि AIDS, TB आदि रोगों के लिए है। पंडितों के विभाजनकारी एजेंडा के शिकार क्यों होते हैं?

https://www.facebook.com/vijai.mathur/posts/1026829084045734

पढे -लिखे व अनपढ़ दोनों ही प्रकार के लोग बुद्धि, ज्ञान व विवेक से जब 'मनन' का परित्याग कर दें तब क्या वास्तव में वे मनुष्य हैं? अथवा नर-तन धारी पशु? क्योंकि 'मनन' करने के कारण ही यह प्राणी 'मनुष्य' कहलाता है। महाभारत काल के बाद से 'मनन' प्रक्रिया का निरंतर ह्रास हुआ है। वेदों के 'कृण्वन्तो विश्वार्यम ' अर्थात समस्त विश्व को  आर्यमय बनाने के सिद्धान्त को गहरा आघात पहुंचाया गया है। आर्ष जिसका अर्थ होता है 'श्रेष्ठ' का अपभ्रंश है 'आर्य' शब्द किन्तु षड्यंत्र पूर्वक आर्य को एक आक्रांता जाति के रूप में प्रचारित किया गया है। 'पुराण' रच कर शोषण कारी ब्राह्मण पुरोहितों ने वैदिक ज्ञान को नष्ट करने हेतु मन-गढ़ंत कहानियाँ बना डाली हैं जिनका दुष्परिणाम है 'दुर्गा' बनाम 'महिशासुर' का जातीय विग्रह जिसका सामना आज देश वीभत्स रूप में कर रहा है। 

अथर्व वेद स्वास्थ्य पर आधारित है और उसकी एक शाखा आयुर्वेद कहलाती है। आयुर्वेद में 'दुर्गा' आदि का उल्लेख जीवनोपयोगी औषद्धियों के रूप में है तथा महिषासुर, रक्तबीज, आदि AIDS, T B , कैंसर आदि रोग हैं न कि, देवियाँ व राक्षस जैसा कि आज विवाद खड़ा करके जनता को आपस में लड़ाया जा रहा है। हिरनाकश्यप(आज का लुटेरा व्यापारी/उद्योगपति ),हिरिण्याक्ष (शोषक,उत्पीड़क अधिकारी/पुजारी),होलिका 'होला' शब्द से बना है अर्थात जौ,गेंहू,चना आदि की अर्द्ध पकी बालियाँ  हैं  जनता को जातीय आधार पर बांटने हेतु गढ़ी कहानियों  की चाल और गहराई को समझना व समझाना चाहिए। 


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गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

डॉ नरेंद्र राजबली : एक और बुजुर्ग का कम होना ------ विजय राजबली माथुर


Late Dr. N.R.B. Mathur 



आज प्रातः वीरेंद्र चाचा के ई-मेल से नरेंद्र चाचा के यह दुनिया छोड़ जाने का समाचार ज्ञात होकर असीम वेदना व दुख हुआ। चाचा हमारे बाबूजी के चचेरे भाई थे , लेकिन हमारे बाबाजी स्व.धनराज बली साहब व चाचा के पिताजी स्व . धर्मराज बली साहब में काफी घनिष्ठता थी। बाबूजी की भी दिवंगत चाचा से घनिष्ठता रही । एक बार हमारे बाबूजी चार-पाँच माह के लिए फरीदाबाद हमारे छोटे भाई के पास गए हुये थे, और  हम आगरा में थे ।   मथुरा चाचा के पास  मिलने गए  थे तब उन्होने कहा था - " विजय तुम यह न समझना कि, दरियाबाद 400 km दूर है और तुम्हारे बाबूजी भी 200 km दूर हैं लेकिन हम तुम्हारे पास ही 50 km हैं। जब ज़रूरत हो तुरंत हमारे पास बेझिझक आ जाना। " ऐसे आत्मीय नरेंद्र चाचा का न रहना किसी झटके से कम नहीं है। इसलिए भाई धीरेन्द्र से फोन पर ज़्यादा देर बात नहीं कर सका। 

आदरणीय नरेंद्र चाचा मथुरा में वरिष्ठ दन्त चिकित्सक थे। 

लखनऊ आने के बाद से मथुरा न जा सका और चाचा से एक लंबे अरसे से व्यक्तिगत मुलाक़ात न हो सकी थी। पिछले वर्ष जब उनसे फोन पर बात हुई थी तब उन्होने मथुरा आने को कहा था। वैसे वह अभी भी सक्रिय रहते थे , ज़्यादा दिन बीमार भी नहीं रहे थे। हम उनकी पुण्य आत्मा की शांति के लिए परम-पिता परमात्मा से प्रार्थना करते हैं। उन की यादें सदा मन में बसी रहेंगी। 
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दुखद समाचार है कि, हमारे चाचा वरिष्ठ दन्त चिकित्सक डॉ नरेंद्र राजबली माथुर का निधन विगत 27 जनवरी 2016 को मथुरा में हो गया है। हम परम-पिता परमात्मा से उनकी पुण्य आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं और सभी परिवारीजनों को धैर्य व सहन शक्ति बनाए रखने का अनुरोध करते हैं।
विजय राजबली माथुर
Comments
Ritu Mathur I miss you papa
Dhirendra Mathur · Friends with Nrb Mathur and 1 other
Missing you Daddy ......
Pinky Mathur · Friends with Nrb Mathur and 1 other
Miss you daddy
Anita Mathur · Friends with Nrb Mathur and 1 other
Miss you mama ji
Archana Singh Rest in peace
Kashi Nath Kewat डॉक्टर साहब को नमन !
Jitendra Mathur · Friends with Ritu Mathur and 1 other
We love you daddy, you are in our heart
Yaduvendra Mathur · 2 mutual friends
Missing u Daddy love you
Shalini Mathur · Friends with Ritu Mathur and 1 other
We will always miss you daddy
Madhu Mathur · Friends with Nrb Mathur and 1 other
RIP Mamaji we miss you
Narendra Parihar RIP ..... sir ji ....sad news sada dukh hi deti hai or wah bhi jab apno ke sath ho ......
Sanjog Walter पुण्य आत्मा की शांति की प्रार्थना
Ananya Mathur · Friends with Ritu Mathur and 1 other
rest in peace nana ji
Kkl Srivastava विनम्र श्रधांजलि
Poonam Kumari दुखद। विनम्र श्रद्धांजली।
अरुण कुमार निगम भावभीनी श्रद्धांलजी
M Abrar Azizi Rest in peace
Udayvir Singh भगवान उनकी आत्मा को अपने चरणों मे स्थान दे।

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