सोमवार, 5 फ़रवरी 2024

73 वें वर्ष का प्रवेश ------ विजय राजबली माथुर




 73 वें वर्ष में प्रवेश करने पर आज भी विगत वर्षों की भांति फ़ेसबुक और व्हाट्स एप पर लोगों से शुभकामनाएं प्राप्त हुई हैं। व्यक्तिगत, सामाजिक आदि संघर्षों को पार करते हुए 72 वर्ष पूर्ण तो कर लिए किन्तु ऐसे लोगों का भी सामना करना पड़ा है जिनके द्वारा मेरे जीवन को समाप्त करने के भरसक प्रयास किए गए हैं और अब भी प्रयास रत  हैं। 1982 में दो बार जिन लोगों द्वारा प्रयास किया गया वे खुद तो असफल रहे किन्तु रक्तबीज जैसे लोगों को निरंतर खड़ा करते रहे हैं। इन लोगों ने हमारे पारिवारिक सदस्यों को भी हमारे विरुद्ध खड़ा करके समाज में कुत्सित प्रचार भी किया। यहाँ तक कि वे मेरे पुत्र का भी विकास और उन्नति अवरुद्ध करते आ रहे हैं। 

अब हम जहां जिस कालोनी में रहते हैं वहाँ भी ऐसे लोगों का प्रतिनिधित्व गोंडा के एक गुंडे द्वारा किया जा रहा है। गोकागू द्वारा हमारे विरुद्ध दुष्प्रचार करके लोगों को लामबंद कर रखा है और एजुकेटेड इल लितरेट्स उसके झांसे में हैं। हम लोग लेखन - पठन में रुचि रखते हैं जबकि गोकागू और उसके एजुकेटेड इल लितरेट्स अखबार,किताब,कलम के दुश्मन हैं। 

देखना है कि अक्ल के ये दुश्मन अब सफल हो पाते हैं या विगत 72 वर्षों की भांति तमाम षड्यंत्रों को विफल करने में हम आगे भी कामयाब हो पाएंगें। 60 वर्ष पूर्व माँ की बीमारी के समय से जो घर में काम करने की आदत पड़ी थी उसकी वजह से आज श्रीमती जी की आँखों की बीमारी के कारण दिक्कतों में फँसने से बचे रहे हैं। गोकागू और उसके एजुकेटेड इल लितरेट्स तमाम हथकंडे अपना कर भी विफल ही होंगें और उनके मंसूबे ध्वस्त होंगें। 


58 वर्ष पूर्व कोर्स की किताब में पढ़ा था कि, " उदारता एक मानवीय गुण है सभी को उदार होना चाहिए किन्तु उसके लिए पात्र की अनुकूलता भी होनी चाहिए। " मैंने तभी से इस मूल मंत्र को अपना लिया है। 


Decided at once , Decided for Ever and Ever . 

Quick and Fast Decision but Slow and Steady action.


इन दो - तीन सिद्धांतों पर चल कर ही मैं विपरीत धाराओं पर विजय नामाकूल करता रहा हूँ और विश्वास रखता हूँ कि आगे भी कर सकूँगा। 

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