मंगलवार, 12 नवंबर 2013

बहुत मुश्किल है कुछ यादों का भुलाया जाना (भाग-4)

 पहले कुछ चाचाजी साहब की लखनऊ यात्रा के संबंध में,फिर पलटते हैं अतीत के कुछ पन्नों को :

02 नवंबर 2013 
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कल धन्वन्तरी जयंती पर एक विस्तृत लेख 'सर्वे भवन्तु...'ब्लाग में दिया था समस्त मानवता के स्वस्थ जीवन व्यतीत करने हेतु। इस स्वास्थ्य संबंधी ब्लाग एवं 'साम्यवाद...'ब्लाग निकालने हेतु मुझे मेरी पत्नी 'पूनम' द्वारा प्रेरित किया गया है। कल ही पटना से चल कर पूनम के एक चाचा लखनऊ 'संजय गांधी ...'संस्थान में इलाज के वास्ते आए हैं। घरेलू उपाय न आज़माने एवं घर के वास्तु दोषों का निवारण न करवाने (जिनके बारे में उनको मैंने नौ वर्ष पूर्व बताया था)के कारण ही उनको गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। लोग एलोपेथी पर अंध भक्ति रखने के कारण जो कष्ट उठाते हैं उससे मुझे वेदना होती है इसी कारण स्वास्थ्य संबंधी ब्लाग शुरू किया था क्योंकि 'चिकित्सा समाज सेवा है-व्यवसाय नहीं'। हम इन दीपावली पर्वों पर सभी जनों के शारीरिक एवं मानसिक खुशहाली की कामना करते हैं।
08 नवंबर 2013 
 https://www.facebook.com/groups/331682593586639/permalink/539622606125969/
आजकल मेरी श्रीमतीजी के एक चाचा SPGI में किडनी की खराबी की वजह से ही इलाज कराने पटना से आए हुये हैं। उनकी तकलीफ देख कर वेदना हुई परंतु वे लोग एलोपेथी पर अंध-भक्ति के कारण इन प्राकृतिक उपचारों पर ध्यान नहीं देते हैं और न ही वास्तु दोषों (जो नौ वर्ष पूर्व अवगत करा दिये थे)का ही निवारण करा सके हैं। वे लोग चुटियाधारी,रामनामी गमछा ओढ़े पोंगा-पंडितों के चक्र में रहे हैं जिस कारण आज इतनी तकलीफ उठा रहे हैं। यदि और लोग सबक सीख कर इस पोस्ट का लाभ उठा सकें तो उत्तम है।
http://vijaimathur05.blogspot.in/2013/11/kidney-cleanser-foods.html
श्रीमतीजी को जब पटना से चाचाजी साहब के लखनऊ आने के बारे में सूचना न प्राप्त हो सकी तब उन्होने सीधे  चाची जी से फोन वार्ता द्वारा उनका हाल पूछा और हम छह नवंबर को उनसे एक घंटे इंतजार के बाद  भेंट कर सके क्योंकि वह आँखों के OT में थे जब हम SGPGI पहुंचे थे । नौ तारीख को जब हम दोबारा मिलने गए तब डॉ द्वारा उनको डिस्चार्ज करने की बात कही गई क्योंकि वह पहले से बेहतर हो गए । अतः अगले दिन10 तारीख की शाम को हम फिर मिलने गए तब उनके गोरखपुर जाकर आगे का इलाज कराने की जानकारी मिली।  चूंकि हम लोग उनके लिए खाना-नाश्ता ले जाते थे अतःडायलेसिस से आते ही  चाचा जी ने शायद उसी को  मद्दे नज़र रखते हुये पूनम व मुझे आशीर्वाद स्वरूप कुछ रुपए भेंट किए या फिर पूनम ने उनके पुत्र को छोटे भाई के रूप में जो दिया था उसमें से आधा लौटा दिया। 
चाचा जी ने अपने मकान के वास्तु-दोष का निराकरण न कराने का कारण यह बताया कि उनको किसी पंडित ने समझा दिया था कि 'नैऋत्य'कोण का बढ़ा होना उनके लिए शुभ है। मैं चूंकि ब्राह्मण या पंडित जाति का नहीं हूँ इसलिए चाचा जी ने मेरे सुझाव  को न मान कर ब्राह्मण पंडित का आसरा लिया और उसने उनको गुमराह करके कष्टों में पहुंचा दिया। इस दोष का प्रभाव उनके दोनों पुत्रों  व पौत्र पर भी पड़ा है। ब्लाग्स में भी पटना की मूल निवासी एवं पूना प्रवासी श्रीवास्तव ब्रादरी की एक ब्लागर जिसने खुद चार-चार जन्म पत्रियों का विश्लेषण मुझसे निशुल्क प्राप्त किया था मेरे ज्योतिष ज्ञान पर IBN7 में कार्यरत अपने चमचा श्रीवास्तव ब्लागर द्वारा प्रहार करवाया था। इस पूना प्रवासी ब्लागर ने पूना स्थित मेरी छोटी भांजी और चाचाजी की एक और भतीजी के साथ गठबंधन करके हमारे दोनों तरफ के रिशतेदारों के बीच भी हमारे विरुद्ध व्यापक दुष्प्रचार अभियान चलाया है जिस कारण ही गत वर्ष पूनम को बुलाने जाने पर हम लोगों ने गोलघर पर समय व्यतीत कर दिया लेकिन उनके भाई जान के घर इसलिए  नहीं गए थे,क्योंकि वह पूना स्थित अपनी चचेरी बहन(जिसके छली भाई को मैंने लखनऊ अपने घर नहीं आने दिया था तब उनका कथन था कि वह खुद  आयें या उनका वह चचेरा भाई आए एक ही बात है) और उसकी माँ को निर्दोष मानते हैं । इन सब बातों का विस्तृत वर्णन चाचाजी और चाची जी को बता दिया है। अभी तो वह इलाज में व्यस्त हैं लेकिन बाद में गौर करेंगे तो उनको ही लाभ होगा। 
अगस्त 2009 में जब हम आगरा से  पटना जाने पर इन्ही चाचाजी से मिलने गए थे क्योंकि तब वह दिल्ली हार्ट -सर्जरी के लिए जाने वाले थे।तब भी उनकी वह धूर्त भाभी (जिनकी पुत्री पूना में है) समस्त वार्ता के दौरान इस तथ्य के बावजूद उपस्थित रहीं कि मैं उनको 'नमस्ते' -अभिवादन तक नहीं करता हूँ। उनकी धूर्तता के परिणाम स्वरूप मुझे लखनऊ का मकान लेने में ज्ञात जानकारी के अनुसार एक लाख रुपयों की ठगी का शिकार होना पड़ा था। हालांकि उन धूर्त को खुद कोई लाभ तो न हुआ परंतु मुझको नुकसान पहुंचाने से उनको परम संतोष की प्राप्ति हुई । अतः मैं उन धूर्त समेत उनकी समस्त संतानों को घृणास्पद मानता हूँ और पूनम के भाई जान को मेरा यह दृष्टिकोण नापसंद है। मैं उनकी पसंदगी की खातिर और अधिक नुकसान झेलने को बिलकुल तैयार नहीं हूँ। उन्होने अपने पूरे परिवार को मेरे प्रति नफरत से भर दिया है जिसका मुझ पर कोई प्रभाव नहीं पसकता और मैं उनकी धूर्त चाची (और बच्चों समेत)को रिश्तेदार के रूप में कुबूल नहीं कर सकता। 
दिसंबर में पटना में एक समारोह में शामिल होने का निमंत्रण भी है और खुद पूनम का कुछ काम भी अटका पड़ा है फिर भी इसलिए जाना संभव नहीं है कि वह कार्यालय उनके भाई जान के घर के बगल में स्थित है। हालांकि लखनऊ होकर गई  चाची जी ने तो अपने घर भी  रुकने का प्रस्ताव दिया है किन्तु कार्य हेतु तो पूनम को अपने भाई जान के पड़ौमें ही जाना होगा और फिर उनके घर न जाएँ यह उनके लिए संभव न होगा। पूना प्रवासी ब्लागर,हमारी भांजी और पूनम की एक चचेरी बहन की तिकड़ी छल द्वारा आज हमें जो नुकसान पहुंचा लें इसके खामियाजे से वे लोग भी बच न सकेंगे। यदि लखनऊ होकर लौटे चाचाजी,चाची जी इतना नुकसान-परेशानी उठाने के बाद मेरी बात समझ सके होंगे तो आगे से उनको भी बचाव करके लाभ व स्वस्थ्य लाभ दोनों मिल सकेगा। हम उनकी कुशलता के लिए मंगलकामना करते हैं। 

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