22-12-2016 |
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नोटबंदी लागू हुये 45 दिन बीत गए हैं(जिसकी घोषणा 08 नवंबर, 2016 दिन मंगलवार को धनिष्ठा नक्षत्र , पंचक के दौरान रात्रि 08 : 00 से 08 :30 के मध्य हुई थी इसी के मध्य 08 : 13 से स्थिर 'वृष लग्न ' समाप्त होकर द्वि स्वभाव 'मिथुन लग्न ' प्रारम्भ ) और जनता की समस्याएँ सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती ही जा रही हैं। इस पर सामाजिक चिंतकों व राजनेताओं ने अपने अपने विश्लेषण प्रस्तुत किए हैं लेकिन हम यहाँ पर इसका ज्योतिषीय विश्लेषण इसलिए प्रस्तुत कर रहे हैं , क्योंकि मुंबई के एक ज्योतिषी का सहारा लेकर टी वी चेनल्स के माध्यम से इसे जन हितैषी कदम सिद्ध करने के भ्रामक प्रयास सतत किए जा रहे हैं। हमारा यह विश्लेषण 'चंड मार्तंड पंचांग', निर्णय सागर में पूर्व प्रकाशित (पृष्ठ --- 46 से 50 तक ) तथ्यों पर आधारित है।
17 अक्तूबर से प्रारम्भ 14 नवंबर तक के ' कार्तिक ' मास में 5 रविवार थे और दीपावली भी रविवार को ही थी इसका परिणाम जो वर्णित है का अवलोकन करें :
दीपोत्सव रविवार का प्रतिभारक अधियोग। नहीं मन्दी की धारणा गृहिणी पक्ष कुयोग । ।
धन - वृद्धि श्री मन्त की, निर्धन विषय वियोग। साधन सुविधा नित्य की , निर्णय चक्र कुयोग। ।
चलन कलन शनि भौम का, राशि भाव संबंध। अनहोनी होनी बने, गोचर फलित प्रबंध। ।
दल विरोध की जागृति, नायक सत्ता द्वंद। राज काज विपदा गति, निर्णय कथन द्वंद। । ***)
*** ) = घोषणा के समय 'मंगल ' शनि की राशि 'मकर ' में था और 'शनि ' मंगल की राशि 'वृश्चिक ' में था अर्थात परस्पर विरोधी व शत्रु ग्रहों में परस्पर संबंध था । यही कारण है कि, इस घोषणा ने निर्धन वर्ग की कमर तोड़ दी तथा साधन सम्पन्न लोगों ने भरपूर लुत्फ उठा लिया जबकि अर्थ व्यवस्था बुरी तरह से ध्वस्त हो गई। इसका असर दीर्घकालीन होगा जिसके कारण शासकों की गद्दी हिले बगैर न रहेगी। जनाक्रोश को बदलते निर्णयों से थामा नहीं जा सकेगा।
15 दिसंबर दिन गुरुवार को 'सूर्य ' गुरु की धनु राशि में आ गया है और आगामी 'अमावस्या ' 29 दिसंबर दिन गुरुवार को पड़ रही है । इस स्थिति ( खप्पर योग ) का भी अवलोकन करें :
"यस्मिन वारेअस्ति ....................जीव धान्यादि नाशक : "
अर्थात ---
रवि संकर्मण वार वो , मावस वो हो वार। ' खप्पर योग ' कहते इसे, शुभ लक्षण नहीं सार। ।
वित्त व्यवस्था विश्व की, असंतुलित परिवेश । मुद्रा कोष आर्थिक विषय, चिंतन देश विदेश। ।
वस्तु नित्य उपयोग की, उन्नत भाव विशेष। गृहिणी लेवे आपदा, ग्रह गोचर संदेश । ।
मंगसर एवं अग्रिम मास, पक्ष शुक्ल में तिथि विनाश । नायक नेता - दल संताप, राजतंत्र बाधित अवकाश। । *****)
*****) = आप एथीस्ट ( नास्तिक ) हैं अर्थात आपको अपने ऊपर विश्वास नहीं है , आप नहीं मानते तो न मानें क्या इससे ग्रह - नक्षत्रों की चाल को रोक या बदल सकेंगे? या आप पौराणिक पोंगापंथी हैं और गलत अर्थ निकाल कर खुद गुमराह हैं और जनता व शासकों को गुमराह कर रहे हैं तो उनको तो गफलत में डाल कर उनका नुकसान तो कर सकते हैं लेकिन आप इस प्रक्रिया से ग्रह - नक्षत्रों की चाल को रोक या बदल नहीं सकते। ग्रह - नक्षत्रों के अरिष्ट का शमन करने की जो वैज्ञानिक प्रक्रिया है उसी को अपनाना होगा पौराणिक या पाखंडी प्रक्रिया को नहीं। कितना ही हास्यास्पद है कि, एक तरफ तो पौराणिक पाखंडी वैज्ञानिक प्रक्रिया का विरोध करते हैं और दूसरी तरफ खुद को वैज्ञानिक होने का दावा करने वाले एथीज़्म ( नास्तिकता ) की सनक में वास्तविक वैज्ञानिक प्रक्रिया को अवैज्ञानिक बता कर पौराणिक पाखंडी लोगों के लिए खुला मैदान उपलब्ध कराते हैं । इस द्वंद में पिसती साधारण जनता है उसी का शोषण व उत्पीड़न होता है। और यही हुआ है भारत में भी, वेनेजुएला और पाकिस्तान में भी। विश्व व्यापी आर्थिक उथल पुथल समृद्ध वर्ग की साज़िशों का ही दुष्परिणाम है और ग्रह - नक्षत्रों की चाल से यह पहले ही स्पष्ट था।
ध्यान कौन देता ? समृद्ध वर्ग के हितैषी शासक वर्ग द्वारा ध्यान देने का प्रश्न ही नहीं था। जन हितैषी होने का दावा करने वाले तो एथीस्ट ( नास्तिक ), वैज्ञानिक जो ठहरे ? यही वजह है कि, उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के पदारूढ़ होते ही जो संकेत स्पष्ट दिये थे उनकी अनदेखी की गई लेकिन ग्रह - नक्षत्रों की चाल को बदला न जा सका यथा ---
Friday, March 16, 2012
ग्रहों के आईने मे अखिलेश सरकार
"ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के मध्य काल तक पार्टी मे अंदरूनी कलह-क्लेश और टकराव बढ़ जाएँगे। ये परिस्थितियाँ पार्टी को दो-फाड़ करने और सरकार गिराने तक भी जा सकती हैं। निश्चय ही विरोधी दल तो ऐसा ही चाहेंगे भी।*****"
http://krantiswar.blogspot.in/2012/03/blog-post_16.html
'खप्पर योग ' के साथ साथ आगामी 'माघ ' मास की 'पूर्णिमा' का क्षय हो रहा है 10 फरवरी 2017 को अतः तैयार रहिए शासक - शासित संघर्ष के लिए यह नोटबंदी उथल पुथल और विनाश का पूर्व संकेत है।
22-12-2016 |
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22-12-2016 |
24-12-2016 |
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