रविवार, 14 मार्च 2021

" पर उपदेश कुशल बहुतेरे " : प्रगतिशील विद्वान


 

कबीरदास जी ने कहा था :

'' सार - सार को गही देय , थोथा देय उडाय   । 

साधू ऐसा चाहिए     जैसा सूप       सुभाय     । । "

लेकिन आज प्रगतिशील कहाय जाने वाले विद्वान सिर्फ समारोहों में माला पहनने तक ही सीमित है साहित्य का परिमार्जन खुद वे नहीं करेंगे " पर उपदेश कुशल बहुतेरे " नीति के तहत दूसरों से ऐसा करने की अपेक्षा रखेगे ------


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