मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

मिलना-जुलना कमजोरी नहीं है ---विजय राज बली माथुर

मौलिक रूप से मुझे मेल-जोल और आना-जाना पसंद है। परंतु साथ-साथ मैं यह भी ध्यान रखता हूँ कि,यदि किसी को मेरा आना-जाना या मेल-जोल रखना पसंद नहीं है या इसे वह मेरी कोई कमजोरी समझ रहा है तो मैं फिर उसके यहाँ आना-जाना और उससे मेल-मुलाक़ात बंद कर देता हूँ।तीन वर्ष पूर्व  लखनऊ आने के बाद छोटों-बड़ों सभी के यहाँ मैं अपनी पहल पर गया था। सबसे पहले एक भांजी जो खानदान की सबसे बड़ी बहन की पुत्री हैं और जिंनका निवास मेरे निवास से कोई डेढ़ किलोमीटर दूर ही होगा ,गया था। फिर उनकी माता अर्थात माधुरी जीजी के यहाँ 18 km दूर गया परंतु भांजी को और जीजी के घर भांजे को शायद हमारा आर्थिक स्तर अपने अनुकूल न लगा। भांजी के घर दोबारा भांजा दामाद साहब की जन्मपत्री का विश्लेषण देने दो दिन बाद ही  गया था  और जीजी के निधन पर उनके शांति हवन मे भाग लेने इस वर्ष जनवरी मे। 

जीजी के घर से जनवरी 2011 मे उनके सबसे छोटे भाई उमेश के घर अशरफाबाद भी गया था। मैंने पाया कि उमेश को शायद अच्छा नहीं लगा था। वह अपनी भांजी के पास हमारी कालोनी मे आते रहते हैं परंतु हमारे घर आना उनको तौहीन लगता है । उनसे दोबारा मुलाक़ात अप्रैल 2011 मे इंदिरानगर मे छोटी बहन के देवर की बेटी की शादी मे हुई थी। उनको कमलेश बाबू ने मुझे चौराहे से विवाह स्थल तक ले आने को भेजा था। डॉ शोभा और कमलेश बाबू से उमेश,उनसे बड़े नरेश और उनसे बड़े ऋषिराज सभी मधुर संबंध रखे हैं। एक तो वह BHEL से फोरमेन के रूप मे रिटायर्ड  हैं दूसरे अब प्राईवेट कंपनी मे इंजीनियर। जो सबसे बड़ी बात है वह यह कि पूनावासी शोभा की छोटी बिटिया की सुसराल से उमेश और ऋषिराज के भी सुसराली रिश्ते हैं। इन तीनों की सुसराल का रिश्ता सीधा-सीधा कुक्कू (कमलेश बाबू के भतीज दामाद जो दिवंगत शालिनी के भाई भी हैं) से है। कुक्कू के पार्सल बाबू भाई हमारे आगरा के मकान पर आँखें गड़ाए हुये थे और आर्थिक व सामाजिक रूप से हमे वहाँ क्षती पहुंचाते रहे थे। 

उमेश के अशरफाबाद से संबन्धित एक विकलांग बैक अधिकारी ने उनके इशारे पर यहाँ कालोनी मे हमारे विरुद्ध लामबंदी करके मेरे तथा यशवन्त के आर्थिक लाभ को अवरुद्ध कर रखा है। कमलेश बाबू ने अपने एक  मित्र  बिल्डर/ ठेकेदार  लिटोरिया के माध्यम से भी हमारे विरुद्ध वातावरण बना रखा है। चूंकि हम लोग अपने निजी आर्थिक हितों की परवाह किए बगैर सार्वजनिक हितों को सम्पन्न कराते रहते हैं इसलिए विपरीत परिस्थितियों मे भी स्वाभिमान से टिके रहते हैं। ब्लाग जगत मे भी यशवन्त लोगों को निशुल्क सहायता करता रहता है और मैं ब्लाग तथा फेसबुक के साथियों को निशुल्क ज्योतिषीय परामर्श देता रहता हूँ। डॉ शोभा/कमलेश बाबू की छोटी बेटी चंद्रप्रभा उर्फ मुकतामणि ने विमान नगर ,पूना मे अपनी पड़ौसन रही मूल रूप से पटनावासी श्रीवास्तव ब्लागर को उकसा/गुमराह करके ब्लाग जगत मे भी  यशवन्त और मेरे विरुद्ध  वातावरण तैयार किया है। इस पूना प्रवासी ब्लागर के दिल्ली वास कर रहे दो  सहयोगियों ने तो निम्नत्तम  स्तर पर जाकर मेरे ज्योतिषीय आंकलनों को गलत करार देने का असफल कुप्रयास भी किया है। जब कि  पूना प्र्वासी ब्लागर खुद मुझसे चार-चार जन्म्पत्रियों के निशुल्क विश्लेषण प्राप्त कर चुका है। खुद को ज़रूरत से ज़्यादा काबिल समझने वाले ये श्रीवास्तव ब्लागर्स यह नहीं समझ रहे हैं कि डॉ शोभा और उनकी बेटी जो श्रीवास्तव लोगों के घोर विरोधी और आलोचक हैं ने किस तिकड़म से उनको उलझाया है। क्योंकि मेरी यह पत्नी पूनम जो पटना के श्रीवास्तव परिवार से हैं उनको नागवार लगती हैं और कांटे से कांटा उखाड़ने के प्रयोग मे  मेरी उन बहन व भांजी ने पटना से ही संबन्धित श्रीवास्तव ब्लागर को मेरे विरुद्ध भिड़ाया है। 

शत्रु सिर्फ शत्रु होता है और उससे कोई रिश्ता-नाता नहीं होता है। जिनकी बुद्धि पैर के तलवे मे होती है उन्हे कोई समझा भी नहीं सकता है। ब्लाग जगत के इस झगड़े ने फेसबुक तथा ब्लाग जगत मे मेरे ज्योतिषीय विश्लेषणों को अच्छी मान्यता प्रदान कर दी है। अब तक ज्योतिष की आलोचना करने वाले साम्यवादी ब्लागर्स और नेता गण भी मुझसे ज्योतिषीय विश्लेषण इस झगड़े के बाद ले चुके हैं जो संख्या मे 11 हैं। इससे पूर्व एक तथाकथित साम्यवादी फेसबुकिया जो कानपुर से हैं झगड़ालू गुट मे मिल गए थे और मेरे विरुद्ध खूब लामबंदी कर चुके थे जो निष्प्रभावी रही। पूना प्रवासी श्रीवास्तव ब्लागर चाहे जितनी एहसान फरामोशी दिखाये और लामबंदी कर ले दूसरे लोगों को लाभ उठाने से तो वंचित कर सकता है परंतु मेरे ज्ञान को नष्ट नहीं कर सकता। कनाडा प्रवासी एक ब्लागर जो मुझसे ज्योतिषीय विश्लेषण निशुल्क प्राप्त कर चुका था इस पूना प्रवासी के भंवर जाल मे फंस गया तो वही प्रवास कर रहे एक दूसरे ब्लागर ने उसकी परवाह न करते हुये  मेरी सलाह पर चलते हुये भारत मे रोजगार प्राप्त करने मे सफलता प्राप्त कर ली। एहसान फरामोशों की इस दुनिया मे वह ब्लागर एहसानमंद निकला है। अपने विवाह का आमंत्रण जब उस ब्लागर ने दिया और आकांक्षा प्रकट की कि उनके वैवाहिक जीवन की सफलता हेतु मैं आशीर्वाद दूँ तो लगा कि धरा अभी अच्छे लोगों से विहीन नहीं हो गई है। IBN7 वाला चमचा हो या दूसरे ब्लागरों को मेरे विरुद्ध धमकाने वाला दूसरा चमचा पूना प्रवासी ब्लागर को उन लोगों की सहायता से मेरे परिवार को नष्ट करने मे सफलता नहीं मिल सकेगी।

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