रविवार, 10 मई 2015

एहसान नहीं मानते वे : जिनके पास न शर्म न हया है --- विजय राजबली माथुर



"हमारे वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेताओं ने भी खुद को एथीस्ट कहते हुये भी मुझसे ज्योतिषीय परामर्श लिए हैं लेकिन तुर्रा यह कि वे भी मेरी सिर्फ आलोचना ही नहीं करते हैं बल्कि मुझे नुकसान पहुंचाने का हर संभव प्रयत्न करते रहते हैं। यही हाल सभी रिशतेदारों का है चाहे वे माता-पिता की पुत्री व अलीगढ़ के मूल निवासी दामाद हों तथा उनके उकसाये हुये सीतापुर के मूल निवासी कुक्कू एवं शरद मोहन । इसी कड़ी में आरा व देवघर निवासी वे लोग भी जुड़ गए हैं जिनके परिवारी लोगों की जन्मपत्रियों के विश्लेषण किए हैं। ये सब लोग न तो इतनी शर्म रखते हैं कि अपना काम जिससे करवाया है कम से कम उसका एहसान न भी मानें तो उसका नुकसान तो न करें। बल्कि वे लोग मेरे पुत्र व पत्नी को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिशों में लगे रहते हैं। परंतु जैसा कि नवंबर 2013 में SGPGI,लखनऊ में देवघर वाले महाशय ने रोग शैय्या से कहा था कि आप खुद तो अपना बचाव अपने ज्योतिषीय ज्ञान से कर ही लेंगे!*** वस्तुतः उनका कथन सत्य ही है। किन्तु वह व उनकी पत्नी खुद ही अपने भतीजे व भतीजी के विरुद्ध अपनी एक भाभी से मिल कर ऐसे अभियान में शामिल रहे हैं । उनकी एक भतीजी जो मेरी श्रीमती जी हैं से उनकी पत्नि ने तब कहा भी था कि वे अपने भाई-भाभी व भतीजियों का ख्याल न करें अर्थात उनका अहित होने दें। तिस पर भी खूबी यह रही कि आगाह किए जाने के बावजूद श्रीमतीजी के भाई-भाभी अपनी उन चाचियों के अनुगामी बने रह कर हाल ही में अपना शारीरिक,मानसिक,आर्थिक ज़बरदस्त नुकसान करा चुके हैं लेकिन उनसे सावधान रहने को तैयार नहीं हैं।जहां तक हमारा प्रश्न है हम एक हद से ज़्यादा नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं होते हैं और अपने को ऐसे लोगों से अलग-थलग कर लेते हैं चाहे वे किसी भी क्षेत्र के हों। मेरी श्रीमती जी तथा पुत्र को भी 'ज्योतिष' का प्रारम्भिक ज्ञान तो है ही बाकी पुस्तकाध्यन से विकसित कर सकते हैं। हमें अपने बारे में अच्छा सोचने व अच्छा करने का नैतिक हक है चाहे जो कोई जो सोचे व करे।"
http://vidrohiswar.blogspot.in/2015/03/blog-post_29.html

***:गंभीर षड्यंत्र :
 उनकी श्रीमतीजी ने उनके समक्ष ही पूनम से यह कहा कि वह अपनी भतीजियों का ख्याल न करें लेकिन मुझसे कहा कि मैं उनके पुत्रों-मनोज व मधुकर का गार्जियन बन जाऊँ जो बाद में मेरे पुत्र यशवंत के गार्जियन बन जाएँगे।
  उनके इस कथन का अभिप्राय यह रहा होगा कि मैं खुद ज्योतिष का जानकार होने के नाते अपना बचाव तो हर हाल में कर ही लूँगा लेकिन किसी भी सूरत में उनके भतीजे ( जो मेरी पत्नी के बड़े भाई हैं ) का कोई सहयोग  न करूँ जिससे कि उनके द्वारा किए गए षडयंत्रों से वे लोग अनभिज्ञ रह कर अपना बचाव न कर सकें। इसी वजह से उनकी बीमारी को गंभीरता तक पहुंचा देने के बाद उनकी पत्नी ने उनकी भतीज बहू से पूनम के पटना जाने पर पाबंदी लगवा दी थी और हमने टिकट केन्सिल करवा दिये थे। लेकिन टेलीफोन पर प्राप्त हाल के अनुसार मैं पिछले माह पूनम को उनके भाई जान से उनके विरोध के बावजूद  मिलवा ही लाया।  हालांकि उनको मेरा वहाँ  जाना नागवार लगा।मैंने जो दवाएं व उपाए बताए थे उनका प्रयोग उनके द्वारा नहीं किया गया और वे अभी भी अपनी आरा व देवघर वाली चाचियों के दुष्चक्र में फंसे हुये हैं और इसी वजह से मेरा जाना उनको नागवार गुज़रा है।

वास्तु दोष :
काफी समय पूर्व ईशान क्षेत्र से उनके मकान मालिक की भारी-भरकम आलमारी को मैंने इसलिए हटवा दिया था कि वह पुरुष- वर्ग के लिए हानिकारक है किन्तु अपनी चाचियों के कहने पर उन्होने उसे पूर्ववत कर लिया जिसका रोग बढ़ाने में महत्वपूर्ण हाथ रहा। इतना ही नहीं ईशान क्षेत्र को और खराब करने हेतु उनसे जूते-चप्पलों का रैक भी रखवा दिया गया। उनके सबसे छोटे चाचा जो उनसे मात्र सात साल ही बड़े होंगे के आदेश पर 'गया' दान-पुण्य भी कर आए जबकि मैंने लिखित में उनको मंदिरों व पुजारियों को दान देना उनके लिए हानिकारक बताया था। किसी भी गृहस्थ द्वारा घर में मूर्ती या चित्र रख कर मंदिर बनाना घोर वास्तु-दोष है किन्तु अपनी चाचियों की सलाह पर वह घर में अब मंदिर भी सजा कर रखे हुये हैं। 

1996 में मैंने उनके माता-पिता तथा पत्नी की उपस्थिती में उनसे कहा था कि वह अपनी पुत्रियों  का ख्याल करें व उनकी उपेक्षा करने वाले अपने चाचा-चाची व भुआओं का नहीं। उनका जवाब था कि वह अपनी पुत्रियों का  नहीं बल्कि अपने चाचा-चाची व भुआओं का  ही ख्याल करेंगे और आज भी वही कर रहे हैं। हालांकि उनकी आरा व देवघर वाली चाचियों ने अपने लोगों की जन्म-पत्रियों का विश्लेषण मुझसे लेकर पहले लाभ उठाया है किन्तु पूनम के भाई को मेरे विरुद्ध भड़का कर लाभ उठाने से वंचित कर दिया है। रिश्ते में उनके  बड़े वे लोग निहायत ही बेशर्म व एहसान फरामोश हैं और अपनी भतीज बहू की एक बहन को धूर्ततापूर्ण हरकतों से विधवा बनवाने के बाद अब अपनी भतीजी व  मेरे विरुद्ध घृणित अभियान चलाए हुये हैं जिसमें विफल रहने पर अपने भतीजे पर निशाना साधा जा रहा है और फिर भी वे उनको ही पूज रहे हैं । यह ठीक है कि मैं अपना बचाव करने में सक्षम हूँ किन्तु पूनम के भाई जान के परिवार का बचाव न हो पाने से पूनम को जो मानसिक क्षति होती है अंततः उसका प्रभाव तो हमारे परिवार पर भी पड़ता ही है और यही लक्ष्य उनकी धूर्त चाचियों का है जिसमें फिलहाल तो वे पूर्णरूपेण सफल हैं ही। लेकिन :

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