शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

बर्द्धन जी के जन्मदिवस पर --- विजय राजबली माथुर

 आदरणीय बर्द्धन जी का जन्मदिन मुबारक हो। हम उनके सुंदर,स्वस्थ,सुखद,समृद्ध उज्ज्वल भविष्य एवं दीर्घायुष्य की मंगल कामना करते हैं।
25 सितंबर बर्द्धन जी का जन्मदिन है इसका पता तो पिछले वर्ष ही हुआ जब उनके विषय में केंद्रीय पार्टी का एक लेख पढ़ा इसे बाद में  साम्यवाद ब्लाग पर भी निकाला था। लेकिन लखनऊ आने के बाद पार्टी से संबन्धित कुछ विशेष घटनाक्रम ज़रूर मेरे साथ 25 सितंबर को ही हुये हैं। यों तो मैं 09 अक्तूबर 2009 को ही आगरा छोड़ कर लखनऊ पहुँच गया था। कुछ निजी  समस्याओं के कारण यहाँ तुरंत पार्टी कार्यालय में संपर्क नहीं  कर सका था जब मकान लेकर सेटिल हुआ तब कई बार क़ैसर बाग गया लेकिन  राज्य सचिव कामरेड गिरीश जी जिनको आगरा से ही जानता था न मिले जब उनसे लखनऊ में पहली मुलाक़ात हुई तो वह तारीख 25 सितंबर 2010 थी । तब से आज पाँच वर्ष पूर्ण हो गए हैं। पिछले वर्ष 25 सितंबर 2014 को ही एक वरिष्ठ कामरेड द्वारा फेसबुक पर मुझको ब्लाक भी किया गया है। उसकी भी आज प्रथम वर्षगांठ पूर्ण हुई। 

फेसबुक पर बर्द्धन जी के संबंध में एक साहब का ब्यौरा पढ़ा कि लुटियन में एक सरकारी बंगला एलाट होने के बावजूद उन्होने नहीं लिया और पिछले 30 वर्षों से अजोय भवन में एक कमरे के क्वार्टर में ही रह रहे हैं। यह उनके सादगीपूर्ण जीवन का ज्वलंत प्रतीक है जबकि वह महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व सदस्य हैं। जब आगरा भाकपा का कार्यालय सुंदर होटल, राजा की मंडी पर स्थित था तब एक बार बर्द्धन जी  निर्धारित समय से पूर्व ही वहाँ पहुँच गए थे अतः डॉ राम गोपाल सिंह चौहान  साहब व जिलामंत्री रमेश मिश्रा जी तब तक वहाँ नहीं पहुँच सके थे तथा कामरेड हफीज साहब भी उस वक्त किसी कार्य से कहीं गए हुये थे। मैं अकेले ही कार्य कर रहा था। बर्द्धन जी ने कमरे में प्रवेश करते ही 'प्रणाम' शब्द बोला तभी मुझे उनके आगमन का पता चला और मैंने खड़े होकर उनको अभिवादन किया व बैठने का निवेदन किया। उन्होने मुझसे मेरा हाल-चाल पूछ कर कार्य करते रहने को कहा और खुद एक अखबार पढ़ने लगे। उनकी इस सादगी पूर्ण शैली का मैं खुद गवाह रहा हूँ। छोटे से छोटे कार्यकर्ता के प्रति भी बर्द्धन जी का व्यवहार आत्मीय होता है। उनको कई सभाओं में सुनने के अवसर मिले हैं। लखनऊ में पिछले वर्ष 04 सितंबर 2014 को भी उनके ज्ञानवर्द्धक वक्तव्य को सुनने का लाभ मिला है। स्वतः ही उनके प्रति मन में श्रद्धा उत्पन्न होती है। 

परंतु 2012 से ही लखनऊ में प्रदेश पार्टी का संचालक होने का दावा करने वाले  मास्को रिटर्न एक वरिष्ठ कामरेड के श्रीमुख से बर्द्धन जी के विरुद्ध सुनने को मिलता रहा है। उनके मुखारविंद से निकले शब्दों में कुछ प्रमुख यह हैं कि उनके समर्थन के बगैर कोई भी राज्य सचिव कामयाब नहीं हो सकता। जिस दिन लोगों को पता चल जाएगा कि कामरेड गिरीश जी की पीठ पर उनका हाथ नहीं है उसी दिन से सभी अपने हाथ सिकोड़ लेंगे। एक तरफ वह कहते हैं अतुल जी को दिल्ली भेज कर उन्होने इतने ऊंचे ओहदे पर पहुंचा दिया है। दूसरी तरफ एक पत्रकार जो तीन पहिया स्कूटर से चलते हैं को वह अतुल जी के खिलाफ फीडबैक देते हैं। चूंकि अतुल जी भी कामरेड बर्द्धन जी की ही तरह छोटे से छोटे कार्यकर्ता को समान भाव से देखते हैं। इसलिए दोनों के विरुद्ध अभियान चलवाया जाता है। मजबूरी में इन दोनों नेताओं के चरित्र हनन करने वाले उन महोदय के विश्वस्त को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना पड़ गया था किन्तु अब भी  इंनका वह चहेता दोनों पर प्रहार करता रहता है। अतुल जी के विरुद्ध पिछले वर्ष के दुष्प्रचार के बाद इन महोदय ने अतुल जी को फोन पर आधे घंटे तक गुमराह करने वाली बातें कहीं। उनको झूठा आश्वासन दे दिया कि राज्य सम्मेलन में वह गिरीश जी को हटवा देंगे और उनके स्थान पर अरविंद जी को बनवा तो देंगे किन्तु वह भी अच्छे नहीं हैं। जबकि इलाहाबाद सम्मेलन में गिरीश जी को ही बनवाने के बाद अरविंद जी को बदनाम करने के यत्नों में लग गए। (क्योंकि अगले सम्मेलन के जरिये उनको अपने एक ऐसे चहेते को राज्यसचिव के पद पर बैठाना है जो अभी बाईस वर्षों से एक ही पद पर आसीन है । )मैंने अतुल जी व अरविंद जी दोनों को ही ई-मेल के जरिये उनसे सावधान रहने का आग्रह किया था किन्तु वे दोनों बड़े नेता हैं और मैं एक अदना सा कार्यकर्ता अतः दोनों ने ही मेरी बात को कोई तवज्जो नहीं दी। अतुल जी को गुमराह करने के लिए उन्होने फोन पर मुझे अपना आदमी बता दिया था, शायद अतुल जी ने उसको सही समझा होगा। 

हाल ही में अरविंद जी से फेसबुक पर अतुल जी के विरुद्ध बयान दिलवा दिया गया है। इसके प्रतिवाद में मैंने एक पोस्ट 'साम्यवाद' ब्लाग पर दी तो उसे 'एब्यूसिव' घोषित करा दिया गया जिसका परिणाम यह रहा कि 'एब्यूसिव' घोषित होने के बाद उस पोस्ट के पाठक 64 प्रतिशत और बढ़ गए अतः ऐसा करने वाले धन्यवाद के पात्र हैं। किन्तु उन महोदय की एक शिष्या मुझको फोन पर sms करके भयभीत करती रहीं और जब फेसबुक पर इसकी चर्चा डाली तो एक अन्य sms के जरिये सारी ज़िम्मेदारी अरविंद जी पर डाल दी। उनकी शिष्या के समर्थन में एक ऐसे कामरेड( जिनको उन्होने ज़िला सम्मेलन में पार्टी की रोटियाँ तोड़ने वाला बताया था ) ने मुझको फोन करके कहा कि वह तो अतुल जी की 'भक्त' है। यदि अतुल जी को ऐसे भक्त व समर्थक मिले हैं तो उनके विरुद्ध भ्रामक दुष्प्रचार कैसे सफल न हो?

आज बर्द्धन जी के 91 वें जन्मदिवस पर जहां हम उनके उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायुष्य की कामना करते हैं । यह भी कामना करते हैं कि बर्द्धन जी की पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई उक्त स्वंयभू तानाशाह के प्रभाव से मुक्त हो।  *********************************************
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