शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2015

मिसेज X ( रेखा की जन्मपत्री से साम्य ) व y कुंडलियों में क्या विशेष है? ---विजय राजबली माथुर


मिसेज X    (09 अक्तूबर 1954,प्रातः 04 बजे,आगरा).....................................................मिसेज Y (07 सितंबर 1979,प्रातः 07-50,आगरा)                             

03 जून 2007 को  हिंदुस्तान,आगरा के अंक मे  प्रकाशित श्रीमती शबाना आज़मी और सुश्री रेखा की जन्मपत्रियों का विश्लेषण उन्हीं को आधार मान कर किया गया था। लेकिन आज यहाँ  प्रस्तुत दोनों कुंडलियाँ मेरे द्वारा ही बनाई गई हैं और ये परस्पर माता-पुत्री की हैं। माता के लिए -मिसेज X और पुत्री के लिए मिसेज Y का प्रयोग किया जा रहा है। इस पूरे परिवार से एक ही कालोनी मे रहने  के कारण जान-पहचान थी। ग्रहों की चाल को प्रेक्टिल रूप से स्पष्ट करने हेतु इन कुंडलियों का सहारा लिया जा रहा है । मिसेज X का जन्म आगरा मे,मद्रास मे जन्मी फिल्म अभिनेत्री 'रेखा' से लगभग 31 घंटे पूर्व हुआ है। रेखा और मिसेज X की राशियाँ एक ही 'कुम्भ' हैं किन्तु लग्न अलग-अलग हैं। मिसेज X की जन्मपत्री का चयन इसी वजह से किया है कि,'रेखा' की जन्मपत्री का जो विवेचन दिया जा चुका है वह इस विश्लेषण की सहायता से आसानी से समझा जा सकता है।

मिसेज X

आगरा मे 09 अक्तूबर 1954 की प्रातः 04 बजे X का जन्म हुआ है उस आधार पर जन्म कुंडली बनी है। जन्म लग्न सिंह है,राशि कुम्भ है जो सुश्री रेखा की भी है। समस्त ग्रह रेखा और X की कुंडलियों मे एक ही राशियों मे  हैं। जन्म समय मे 31 घंटे का अंतर होने के कारण सिर्फ लग्न अलग-अलग हैं। अतः ग्रह जिन भावों मे रेखा के हैं उससे भिन्न भावों मे X के हैं।  X की जन्मपत्री के जिस भाव मे जिस राशि मे ग्रह हैं उनके अनुसार फल लिखा है और प्रेक्टिकल (वास्तविक ) जीवन मे वैसा ही चरितार्थ होता दिखा है अतएव 'रेखा'की कुंडली मे उन्हीं ग्रहों के उन्हीं राशियों मे दूसरे भावों मे होने के कारण जो फल लिखा है वह भी प्रेक्टिकल (वास्तविक )जीवन मे वैसा ही चरितार्थ होना चाहिए । यही वजह X की जन्म कुंडली उदाहरणार्थ लेने का कारण बनी हैं।

X ने अपनी जन्मपत्री बनवाने को जब कहा तो विशिष्ट रूप से यह भी निवेदन * किया कि,लिखित मे जो दें उससे अलग हट कर उन्हें ,उनके निगेटिव प्वाईंट्स व्यक्तिगत रूप से ज़रूर बता दें। अमूमन तमाम बातें ऐसी रहती हैं कि नजदीकी से नजदीकी व्यक्ति भी निगेटिव प्वाईंट्स नहीं जान पाता है परंतु ग्रहों का ज्योतिषीय विश्लेषण उन तथ्यों को उजागर कर सकता है। चूंकि X की पुत्री Y को न्यूम्रोलाजी का कुछ ज्ञान था अतः उसने अपनी माँ को उनके अपने निगेटिव प्वाईंट्स बताये थे और उन्हीं का वेरीफिकेशन वह मुझ से कराना चाहती थीं,कि क्या ग्रहों की चाल से इतना सब वाकई ज्ञात हो सकता है ?शायद अपनी पुत्री के ज्योतिषीय ज्ञान पर उन्हें भरोसा न रहा हो किन्तु उन्होने मुझे बताया कुछ नहीं सिर्फ मुझ से बताने को कहा था और बाद मे आत्म-स्वीकृति द्वारा मेरे कथन की परिपुष्टि की थी।

X के शिक्षक पति बेहद सौम्य व्यवहार वाले थे। किन्तु उनकी (x की ) कुंडली मे स्थित राशि बता रही थी कि वह काफी उग्र स्वभाव के और आक्रामक होंगे। अतः विश्लेषण लिखना शुरू करने से पूर्व X से साफ-साफ पूछा कि क्या मास्टर साहब जैसे दिखाई देते हैं उसके उलट स्वभाव उनका है ,क्या वह वास्तव मे दबंग हैं? X का जवाब प्रश्नवाचक था कि क्या उनकी कुंडली से उनके पति का यह स्वरूप सामने आया है। हाँ कहने पर उन्होने कुबूल किया कि शहर मे तो वह नम्र रहते हैं गाँव मे दबंगी दिखाते हैं कभी वांछित व्यक्ति न मिलने पर उसके घर से भैंस खोल कर अपने घर ले आए थे। समस्त बातें रफ पेपर से पढ़ कर उन्हें सुना दी जिन्हें उन्होने स्वीकार कर लिया परंतु लिखित मे वही दिया जो पॉज़िटिव था। बाद मे X ने अपने हाथ मे भी निगेटिव बातों का ज्ञान होने की बात पूछी थी उन्हें बता दिया था कि जन्मपत्री को गणना मे गलती के आधार पर आप नकार भी दें लेकिन अपनी लकीरों को छिपा या बदल नहीं सकती हैं।

X के पति भाव मे बैठा 'चंद्र' उनके पति को ऊपर से सौम्य बनाए हुये था और लग्न पर पूर्ण सप्तम दृष्टि के कारण खुद X के चेहरे को लावण्य मय रूप  प्रदान कर रखा था ,लग्न ने कमर तक उनके शरीर को आकर्षकत्व प्रदान किया था। उनकी कुंडली मे पति का कारक ग्रह ब्रहस्पति द्वादश भाव मे उच्च का है और नवम  दृष्टि से आयु के  20 वे भाव को देख रहा है जहां  'मीन' राशि स्थित है जो खुद बृहस्पति  की ही राशि है । अतः  जीवन के 20वे वर्ष मे उनका विवाह तय हो गया और 08 दिसंबर 1974 को विवाह बंधन मे बंध गईं।उस समय वह बृहस्पति  की महादशा के अंतर्गत 'चंद्र' की अंतर्दशा मे थीं जिसका प्रभाव बाधापूर्ण होता है। तृतीय भाव मे उच्च का शनि है जिसने उनके बाद भाई नहीं उत्पन्न होने दिये। उनके बाद दो बहने और हुई तब ही भाई हुये। शनि की स्थिति उन्हें निम्न -स्तर के कार्यों हेतु प्रेरित करने वाली है। सुख भाव मे मंगल की वृश्चिक राशि मे शुक्र स्थित है जो यह दर्शाता है कि विपरीत योनि के लोग उनमे आकर्षण रखते होंगे और वह उनमे ,उनके जीवन मे उनके प्रेमियों का भी हस्तक्षेप होगा। हाथ की लकीरों से रिश्ता भी स्पष्ट था और उन्हें बता दिया कि छोटे देवर व छोटे बहनोई से उनका शारीरिक संबंध होना चाहिए जिसे यह कह कर उन्होने कुबूल किया कि इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। पंचम संतान भाव मे 'मंगल' व 'राहू' की स्थिति से उन्होने बचपन मे अपनी पुत्री Y के अनुत्तीर्ण होने की ही बात नहीं स्वीकारी बल्कि हँसते हुये यह भी स्वीकार किया कि " 'एबार्शन' तो जान-बूझ कर करवाए -कितने बच्चे पैदा करते?" उन्होने यह भी स्वीकार किया कि पैदा करने पर पहचान का भी भय था।उनकी प्रथम संतान पुत्र है जो ग्रह योगों के अनुरूप ही पूर्ण आज्ञाकारी है।  मिसेज Y उनकी दूसरी संतान है और उससे एक वर्ष छोटी दूसरी पुत्री है। उच्च के बृहस्पति  ने धन-दौलत,मान-सम्मान,उच्च वाहन सुख सभी प्रदान किए हैं।


मिसेज Y

Y की राशि भी अपनी माँ वाली 'कुम्भ'ही है परंतु लग्न-'कन्या' है जो 'प्रेम' मे असफलता प्रदान करती है। और इस कुंडली मे लग्नेश,पंचमेश व सप्तमेश सभी 'द्वादश'भाव मे बैठे है जो 'व्यय भाव' होता है। अतः Y को प्रेम के मामले मे सावधानी की आवश्यकता थी जो बात  उसने अपनी माँ के माध्यम से पुछवाई थी। X को स्पष्ट रूप से बता दिया गया था कि यदि विवाह करना हो तो 'एरेंज्ड मेरेज' के जरिये ही हो वरना 'प्रेम-विवाह' सफल  नहीं हो सकता। यह बात Y के 2003  मे जाब पर बेंगलोर जाते समय X ने पूछी थी और 2008 मे जब Y ने अंतरजातीय प्रेम विवाह की बात उठाई तो मास्टर साहब ने बेटी और उसके प्रेमी को गोली से उड़ा देने की धमकी दी। X ने पूर्व जानकारी के आधार पर कोई नाटक खेला जिसमे उनका बी पी भी काफी लो हो गया और मास्टर साहब की पूर्व शिष्या लेडी डॉ के मुताबिक दिमाग पर भी झटके का असर था। लिहाजा अपनी शिष्या रही डॉ की सलाह पर मास्टर साहब 'एरेंज्ड मेरेज' करने को राजी हो गए। 15 दिन की तड़ापड़ी मे तैयारी करके 29 जनवरी 2008 को Y का विवाह किया गया।

X और Y की जब तुलना की जाये तो ग्रहों की चाल का असर साफ-साफ समझ आ जाएगा। इंटर पास X को सफलता और क्वालिफ़ाईड इंजीनियर Y को असफलता अपने-अपने ग्रहों के अनुरूप ही मिल रही थी। यदि पूर्व मे ज्योतिषीय ज्ञान से खतरे का आंकलन न होता तो निश्चय ही Y को अपने प्रेमी सहित मौत का सामना करना पड़ता क्योंकि कुंडली मे चंद्रमा षष्ट भाव मे राहू के साथ 'ग्रहण योग' बना रहा है। X की कुंडली मे लग्नेश सूर्य बुध की राशि मे है और बुध शुक्र की राशि मे शनि के साथ जो कि सप्तमेश है ,पंचम 'प्रेम' भाव मे शनि सरीखा राहू तो है ही पंचमेश बृहस्पति  'चंद्र' की राशि मे है और 'चंद्र' सप्तम भाव मे शनि की राशि मे। इस प्रकार लग्नेश,पंचमेश और सप्तमेश मे अच्छा तालमेल होने के कारण X विवाहोपरांत भी प्रेमियों से सफल संपर्क कायम रख सकीं जबकि Y को फजीहत और झगड़े के बाद ही X की तिकड़म और हस्तक्षेप से मन की  मुराद पूरी करानी पड़ी। X के हाथ मे विवाह रेखा के समानान्तर दो और सफल रेखाएँ स्पष्ट रूप से स्थित हैं जबकि Y के हाथ मे एक ही रेखा भी जटिल संकेत देती है।
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 *'रेखा',X और Y के विश्लेषणों द्वारा माता-पिता और संतान के अंतर सम्बन्धों का भी परिचय स्पष्ट मिलता है। इसके अतिरिक्त y की कुंडली में लग्न, पंचम व सप्तम भावों के स्वामी क्रमशः बुध,शनि व बृहस्पति में परस्पर संबंध होने के बावजूद जो कि 'प्रेम-विवाह' के योग उपस्थित तो करते हैं परंतु कुंडली के बारवें स्थान में अवस्थित होने के कारण 'मारक' योग भी प्रदान करते हैं। इसीलिए पितृ भाव में उसके स्वामी 'बुध' के शत्रु 'मंगल' की उपस्थिती ने पिता के विरोध को प्रकट किया था जबकि मातृ भाव का स्वामी 'बृहस्पति' y की माँ की कुंडली में बारवें भाव में होने के बावजूद 'उच्च' का y की माँ के लिए सहायक व शुभ था जबकि y की कुंडली में बारवें होने के कारण 'मारक'। परंतु माँ  x के सहयोग ने  पुत्री y को अपने प्रेमी को ही पति बनाने का सुअवसर विजातीय होने के बावजूद प्रदान कर दिया है।  

x की जन्मपत्री उनके हस्तरेखा के अध्यन के आधार पर बनानी पड़ी क्योंकि जन्म दिनांक,समय व वर्ष उपलब्ध नहीं था। अतः हस्तरेखाओं के आधार पर पहले यह पुष्टि की कि, विवाह 21 वें वर्ष में हुआ था फिर संतान रेखाओं के आधार पर जीवित संतानों व कराये गए 'एबारशंस' की पुष्टि जिसके बाद ही गणना करना संभव हुआ। जन्मतिथि व माह एवं वर्ष की गणना करने हेतु x का अनेकों बार हस्त-परीक्षण करना पड़ा और इस क्रम में पुष्टि हेतु अनेकों प्रश्न पूछने पड़े जिनका सही-सही उत्तर x द्वारा दिया गया कारण यह भी था कि y जो उनकी पुत्री है पहले ही अपनी माँ को उस ओर सचेत कर चुकी थी। अन्यथा किसी महिला द्वारा इतनी आसानी से नितांत गोपनीय बातों को अन्य व्यक्ति के समक्ष स्वीकारना संभव न था। 

y का विवाह 30 वें वर्ष में जिस भाव पर पति कारक ग्रह बृहस्पति की पूर्ण सप्तम दृष्टि थी सम्पन्न हुआ।  y की लग्न 'कन्या' व पंचम- संतान  भाव में स्थित राशि मकर के कारण प्रथम संतान कन्या उत्पन्न हुई। जबकि x की लग्न 'सिंह' व पंचम -संतान भाव में 'धनु' राशि स्थित होने के कारण प्रथम संतान पुत्र हुआ। x का लग्नेश 'सूर्य ' दिवतीय भाव जो वाणी का भी कारक भाव है में अपने मित्र ग्रह बुध की कन्या राशि में स्थित है जिस कारण 'x ' का व्यवहार व बोली काफी मधुर हुई जो लोगों को उनकी ओर आकर्षित करने में सहायक रही। यही कारण था कि 20 वर्ष की आयु में भी और 54 वर्ष की आयु में भी ' x ' विपरीत योनि के लोगों को आकर्षित करने में सफल रहीं। घर-परिवार-समाज में भी सफल व सम्मानित रहीं। 

ग्रह- नक्षत्रों के प्रभाव को कोई स्वीकार करे अथवा अस्वीकार उनका जीवन में अमिट प्रभाव पड़ता ही पड़ता है। 

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