शनिवार, 24 फ़रवरी 2018

पीपल के पत्ते ------ विजय राजबली माथुर

                                               



कभी - कभी बहुधा घटित होते रहने वाली छोटी सी बात भी एक अलग ध्यान आकर्षित कर देती है और आज कुछ ऐसा ही हुआ। मेरी श्रीमती जी ने एक गमले में और पौधों के अलावा एक पीपल का पौधा भी लगा रखा है। चिड़ियों द्वारा लाये बीज से यह पौधा स्वतः प्राप्त हुआ था। हमेशा की तरह आज भी दो पीले पड़ चुके पत्ते हवा से झड़ कर छत पर गिरे हुये थे इनको देख कर 55 वर्ष पूर्व की एक घटना का स्मरण हो आया।हम लोग बाबूजी के नान फेमिली स्टेशन सिलीगुड़ी ट्रांसफर हो जाने के कारण शाहजहाँपुर में नानाजी के पास 1962 से ही थे। 1963 में मैं 7 वीं कक्षा का छात्र था  और इससे मतलब भी नहीं था तब भी जी एफ कालेज यूनियन के छात्रसंघ चुनाव में एक उम्मीदवार  का पेंफ्लेट मुझे स्कूल से लौटते वक्त दे दिया गया। वह पेंफ्लेट और कुछ नहीं छांव में सुखाये हुये पीपल के पत्ते पर सफ़ेद पेंट से लगाई मोहर द्वारा उस उम्मेद्वार  को वोट देने की अपील थी।यह एक सादगी भरा, अलग हट कर अनोखा प्रचार माध्यम था जबकि और लोग कागज के पर्चे बाँट रहे थे पीपल के पत्ते चर्चा और आकर्षण बटोर रहे थे। 
दूसरी घटना 20 वर्ष पूर्व आर्यसमाज, कमलानगर- बल्केश्वर, आगरा के वेद प्रचार सप्ताह में  मेरठ के गायक प्रचारक वेगराज जी द्वारा सुनाये वर्णन की है। ढोंग - पाखंड -  आडंबर पर प्रहार करते हुये व्यर्थ के सांप्रदायिक तनाव का विरोध करते हुये उन्होने बताया था कि बिना सोचे विचारे बेवजह लोग आपस में लड़ना शुरू कर देते हैं और बेगुनाह मारे जाते हैं।
उन्होने बताया कि एक गाँव से ताजिये का जुलूस निकल रहा था चूंकि ताजिये बहुत लंबे थे और झुकाये नहीं जा सकते थे अतः मार्ग में पड़ रहे  शिव मंदिर  के वृक्ष की डालियों को काटने की बात उठी तथाकथित हिन्दू अड़ गए कि उनके शिव भगवान की जटाएँ नहीं काटी जा सकतीं। बढ़ती तकरार से खून - खराबे की आशंका के मद्दे नज़र पुलिस ने ताजिये उसी स्थान पर रखवा कर सुरक्षा के लिए पहरा बैठा दिया और जुलूस के लिए पीपल शाखाओं के काटने का मामला अदालत के फैसला आने तक  के लिए टल गया। अदालती कारवाई जैसी होती है उसमें फैसला क्या आता या नहीं आता उससे पहले एक रोज़ जोरदार आंधी तूफान आ गया जिससे ताजिये भी फट कर बिखर गए और पीपल की शाखाएँ भी टूट कर पत्ते भी झड़ कर बिखर गए । अगले रोज सफाई कर्मचारी ने बुहार कर पत्ते और ताजिये सब फेंक दिये। प्राकृतिक न्याय के आगे किसी की कुछ नहीं चली। हिन्दू - मुस्लिम सांप्रदायिकता धरी की धरी रह गई। इसी लिए आर्यसमाज देश - काल- जाति- धर्म - नस्ल से परे मनुष्य मात्र को आर्य= आर्ष = श्रेष्ठ बनाने की बात करता है।   

जब बात पीपल के पत्तों की चली है  तब लगभग पाँच वर्ष पुरानी इस पोस्ट को भी उद्धृत कर रहा हूँ  : 


हार्ट अटैक: ना घबराये ......!!!
सहज सुलभ उपाय ....
99 प्रतिशत ब्लॉकेज को भी रिमूव कर देता है पीपल
का पत्ता....
पीपल के 15 पत्ते लें जो कोमल गुलाबी कोंपलें न हों, बल्कि पत्ते
हरे, कोमल व भली प्रकार विकसित हों। प्रत्येक का ऊपर व नीचे
का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें।
पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें। इन्हें एक गिलास
पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह
जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान
पर रख दें, दवा तैयार।
इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद प्रातः लें।
हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात लगातार पंद्रह
दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल
का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती। दिल के रोगी इस नुस्खे
का एक बार प्रयोग अवश्य करें।
* पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की अद्भुत
क्षमता है।
* इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे, 11 बजे व 2
बजे ली जा सकती हैं।
* खुराक लेने से पहले पेट एक दम खाली नहीं होना चाहिए,
बल्कि सुपाच्य व हल्का नाश्ता करने के बाद ही लें।
* प्रयोगकाल में तली चीजें, चावल आदि न लें। मांस, मछली,
अंडे, शराब, धूम्रपान का प्रयोग बंद कर दें। नमक, चिकनाई
का प्रयोग बंद कर दें।
* अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मैथी दाना, सेब
का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए काले चने, किशमिश, गुग्गुल,
दही, छाछ आदि लें । ......
तो अब समझ आया, भगवान ने पीपल के पत्तों को हार्टशेप
क्यों बनाया..
http://vijaimathur05.blogspot.in/2013/12/blog-post_24.html



Link to this post-



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

ढोंग-पाखंड को बढ़ावा देने वाली और अवैज्ञानिक तथा बेनामी टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम कर दिया गया है.असुविधा के लिए खेद है.

+Get Now!