सोमवार, 26 फ़रवरी 2018

षष्ठी पूर्ती पर बधाई के साथ- साथ सुरक्षात्मक सलाह




जन्मदिन मुबारक हो। हम आपके सुंदर, सुखद,स्वस्थ, समृद्ध और दीर्घायुष्य जीवन की मंगलकामना करते हैं।  












तृतीय भाव में परस्पर विरोधी ग्रहों की स्थिति और उस भाव में स्थित राशि के स्वामी की परस्पर विरोधी ग्रह की राशि में स्थिति से साफ - साफ स्पष्ट है कि, आपके भाई  मूलतः आपके  विरोधी होंगे। आपके छोटे भाई ने 1995 और 96  में ही सार्वजनिक रूप से पटना में अपमानित करने के बाद 1999 में आगरा में आपसे कहा था " जब माँ और दादी अपने मायके नहीं जाती हैं तो तुम क्यों जाती हो ? " बाबू जी साहब के कूल्हे में फ्रेक्चर की जानकारी उनको देने के बाद वह झल्ला कर बोले कि, उनका घूमने मूड खराब कर दिया फिर उनका LTC बेकार गया रात्रि 11 बजे सवा साल के बेटे को लेकर झगड़ कर हमारे घर से रवाना हो गए थे।

बड़े वाले 1995 में पहले तो आकर दयाल लाज में  एक दिन ठहर गए फिर दूसरे एक दिन रुक कर तड़के अपनी दोनों बेटियों को गोद में लेकर रवाना हो गए थे। 2006,2009,2012,2015 में आपके वहाँ जाने पर उनको एतराज था लेकिन आप ज़िद्द कर गईं जिससे मुझे अपमानित होना पड़ा। 08 दिसंबर 2016 को उन्होने स्पष्ट कर दिया कि, आपका कुछ भी नुकसान हो उनको कोई फर्क नहीं है फिर दोबारा पूछने पर भी इसी वाक्य को दोहरा दिया आपकी उपस्थिती में ही।

1996 में उन्होने कहा था - वह अपने चाचा - चाची और भुआ के साथ हैं और उनके द्वारा उनकी नन्ही - नन्ही बेटियों की प्रताड़णा करने पर भी उनका प्रतिवाद नहीं करेंगे। 2015 में पुनः दोहराया कि,  "उनकी नहीं तो किसकी मानेंगे ? " यह वाक्य उन चाचा के बारे में था जिनके बारे में बाबूजी साहब ने बताया था कि वह अपनी माँ को ठगने का प्रयास कर रहे थे। उनके इशारे पर ही 1996 में वह बाबूजी साहब को धोखे में रख कर " अभी आ रहे हैं " लेकिन  उनकी टीम के साथ चले गए थे।

यह सब तब है जबकि आपके भाई साहब के चाचा - भुआ वाले भाव में स्थित राशि का शत्रु ग्रह विराजमान है और उस भाव का स्वामी ग्रह अपने स्थान से बारवांह अर्थात व्ययकारक है। उनके  चाची भाव की राशि का स्वामी शत्रु ग्रह की राशि में तथा शत्रु ग्रह के साथ ही है।

इस प्रकार उनके चाचा - चाची और भुआ उनके प्रतिकूल हैं और व्यवहार में भी ऐसा ही सामने आया भी है। वह अपने चाचाओं और चाचियों के इशारे पर ही आपका विरोध करते रहे हैं। आपकी भाभी साहिबा भी अपने चचिया सुसरों व चचिया सासों के इशारे पर ही 2015 में आपके लिए बोलीं थीं कि, " हमको उनकी ज़रूरत नहीं है " और यह भी कि,  मनोज ( ओंकार ) उनके साथ  24 सों घंटे हैं। यह वही मनोज- ओंकार हैं जिनको 1995 में भी वह अपने साथ लाई थी।इन मनोज - ओंकार ने ही जब 01-09-2012 को आप पटना से देवघर गईं थीं तब आपके समक्ष ही कहा था कि, बहन- भाई,भतीजा - भतीजी कुछ नहीं होता है।  इन मनोज - ओंकार की माँ ने ही SGPGI, लखनऊ में 2013 में आपसे अपनी भतीजियों का ख्याल न करने को कहा था तथा मनोज के मेरे पुत्र का गार्जियन बनने की बात भी कही थी  जबकि मनोज - ओंकार के पिता ने आपके भाई साहब का ख्याल न रखने को मुझसे कहा था। यहाँ से लौट कर उन लोगों ने पटना में आपके भाई - साहब व भाभी जी को हमारे खिलाफ भड़का दिया। 2014 में पटना के जिस नर्सिंग होम के जिस वार्ड और बेड पर मनोज - ओंकार के पिता रहे थे उसी पर 2015 में आपके भाई साहब को भर्ती होना पड़ा खुद्द आपकी भाभी जी ने कबूला था फिर भी उन लोगों के ही चंगुल में फंसे हुये हैं।बल्कि अपनी बेटियों को भी अपनी उसी चाची के समर्थन में मेरे खिलाफ खड़ा कर दिया है जो उनकी बेटियों की आपसे बुराई करके गई थी।

आप स्वम्य इस विश्लेषण को समझने में सक्षम हैं अतः उम्मीद है कि, उपेक्षा करके नुकसान को आमंत्रित नहीं करेंगी। यदि हो सके तो अपने भाई साहब - भाभी जी को भी समझा कर उनको लगातार हो रहे नुकसान से बचने की सलाह दें। 


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