पुण्य तिथि-13 जून पर विशेष :
बाबूजी प्रणाम ,
चूंकि आत्मा अजर-अमर है अतः इस समय जहां भी आपकी आत्मा होगी इस पत्र का संदेश वहाँ आप तक अवश्य ही पहुँच जाएगा। मैंने जब एक बार आपसे कहा था कि आपने सच्चाई और ईमानदारी सिखा कर पंगु बना दिया है इस संसार में मैं चल नहीं पा रहा हूँ। तब आपने जवाब दिया था कि हमने तो सभी बच्चों को सच्चाई और ईमानदारी ही सिखाई थी जैसे तुम्हारे बहन-भाई ने अपना अलग रास्ता चुन लिया तो तुम भी चुन लेते या अब चुन लो लेकिन हमने गलत नहीं सिखाया है। न आपने गलत सिखाया था न मैं उसे छोड़ सकता था न छोड़ा है। हाँ जैसे कि यह मार्ग कंटकाकीर्ण होता है वैसा ही है मैं तो बचपन से ही अभ्यस्त था लेकिन मेरे साथ-साथ पूनम और यशवन्त को भी इसका अभ्यस्त बन कर कष्ट उठाना पड़ रहा है। पूनम का अक्सर प्रश्न होता है कि जब आपने किसी का बिगाड़ा नहीं है तब लोग आपकी ही क्यों खिलाफत करते हैं। कल फेसबुक पर इसका जवाब यह मिल गया है-
औरों की बात छोड़िए आपके ही पुत्र व पुत्री भी मुझे गलत समझते व कहते हैं। डॉ शोभा ने तो पूनम से मेरी शिकायत करते हुये ही कहा था कि दादा ने नेतागिरी के चक्कर में अपनी नौकरी गवाई ,नेतागिरी ही करनी थी तो सच्चाधारी और ईमानदार बनने की क्या ज़रूरत थी?अजय न नेतागिरी में रहे न ही सच्चे व ईमानदार तो उनको क्यों बार-बार नौकरी में झंझट हुये और उनको किसी दूसरे के फ़ाईनान्स पर ठेकेदारी करनी पड़ी मैं होता तो यह सवाल डॉ शोभा से उठाता परंतु पूनम यह सब क्या जानती थीं? फिर छोटी नन्द से सवाल उठाने का साहस भी उनमें नहीं है। खुद शोभा के मुताबिक ही अजय की स्थिति मेरे मुताबिक भी खराब थी जब उन्होने पूनम से यह सब कहा था -दो वर्ष पूर्व लखनऊ आने पर।
हाँ डॉ शोभा के पति कमलेश बाबू जो शादी के समय 1975 में 'मेशीनिस्ट' थे हरद्वार BHEL में वह झांसी आकर 'फोरमेन' के रूप में रिटायर होकर अब नेल्लोर में इंजीनियर बन कर हवाई यात्राएं जो करने लगे सो डॉ साहिबा को भाभी से बड़े भाई की शिकायतें करने का हक हासिल हो गया था।हरिद्वार में CITU की यूनियन में सक्रिय रह कर कमलेश बाबू BHEL के मेटीरियल से सिलाई मशीनें,पंखे आदि बना कर यूनियन के दम पर बाहर बेच कर धन कमाते रहे और झांसी आने के बाद मेनेजमेंट के खासमखास बन गए ऐसा सब करना मेरे लिए संभव नहीं था। मैं तो यह प्रयास करता हूँ कि नेतृत्व करने वाले लोग ईमानदार व सच्चे हों तो सब का कल्याण हो सके। 1976 में कमलेश बाबू ने यह प्रयास किया था कि आप दरियाबाद में अपना पुश्तैनी हिस्सा ले लें और उनको अपना प्रतिनिधि बना कर वहाँ भेज दें जिसके लिए वह BHEL की अपनी नौकरी भी छोडने को तैयार थे। उस वक्त रायपुर कोठी पर कब्जे वाले सुरेश भाई साहब से उनकी खूब छ्नती थी। अब मथुरानगर में कब्जे वाले ऋषिराज,नरेश और उमेश उनके प्रिय हैं।
मेरे लखनऊ आने के बाद शोभा/कमलेश बाबू ने दरियाबाद के लोगों को यह अफवाह उड़ा कर डरा दिया है कि मैं लखनऊ अपना हक लेने के इरादे से आया हूँ। उन लोगों ने RSS से सम्पर्क करके ब्लाग जगत व हमारी पार्टी तथा लोकेलटी में भी हमारे विरुद्ध लामबंदी कर रखी है। पूनम का चयन करने के बाद आप व बउआ तो यह संसार छोड़ गए शोभा/कमलेश बाबू ने भरसक प्रयास किया कि आप लोगों के बाद आप लोगों के चयन को मैं रद्द कर दूँ जो मैंने नहीं किया। अतः उन लोगों ने पूनम की बिरादरी के ब्लागर्स का चयन अपनी पूना वासी पुत्री की सहायता से मेरे विरुद्ध आग उगलने हेतु किया जिसमे वे अपने को सफल समझ रहे हैं। RKL,PTS,RSS,BSR,RPP सदृश्य ब्लागर्स/राजनेता उनको भरपूर सहयोग प्रदान कर रहे हैं। निशुल्क-निस्वार्थ सहायता करने के मेरे प्रयास को ध्वस्त करने हेतु मार्ग-दुर्घटना व पारिवारिक जनों को रुग्ण करने का तांत्रिक प्रयास उन लोगों द्वारा चलाया जा रहा है। तात्कालिक रूप से वे सफल तो हो सकते हैं किन्तु दीर्घकालिक रूप से उन सब को ही यह कुचक्र मंहगा साबित होगा।
क्योंकि स्वामी विवेकानंद के अनुसार समय से आगे विचार करने वाले को गलत समझा जाता है इसीलिए मुझे भी आज गलत समझा जा रहा है। अगले 50/100 वर्ष में मैं सही साबित हो जाऊंगा ऐसा मुझे दृढ़ विश्वास है। मुझे नहीं लगता कि आपके द्वारा दी गई 'ईमानदारी' व 'सच्चाई' की शिक्षा गलत सिद्ध होगी।
आपका पुत्र
विजय
स्व.ताज राज बली माथुर (चित्र महायुद्ध से लौटने के बाद ) |
चूंकि आत्मा अजर-अमर है अतः इस समय जहां भी आपकी आत्मा होगी इस पत्र का संदेश वहाँ आप तक अवश्य ही पहुँच जाएगा। मैंने जब एक बार आपसे कहा था कि आपने सच्चाई और ईमानदारी सिखा कर पंगु बना दिया है इस संसार में मैं चल नहीं पा रहा हूँ। तब आपने जवाब दिया था कि हमने तो सभी बच्चों को सच्चाई और ईमानदारी ही सिखाई थी जैसे तुम्हारे बहन-भाई ने अपना अलग रास्ता चुन लिया तो तुम भी चुन लेते या अब चुन लो लेकिन हमने गलत नहीं सिखाया है। न आपने गलत सिखाया था न मैं उसे छोड़ सकता था न छोड़ा है। हाँ जैसे कि यह मार्ग कंटकाकीर्ण होता है वैसा ही है मैं तो बचपन से ही अभ्यस्त था लेकिन मेरे साथ-साथ पूनम और यशवन्त को भी इसका अभ्यस्त बन कर कष्ट उठाना पड़ रहा है। पूनम का अक्सर प्रश्न होता है कि जब आपने किसी का बिगाड़ा नहीं है तब लोग आपकी ही क्यों खिलाफत करते हैं। कल फेसबुक पर इसका जवाब यह मिल गया है-
औरों की बात छोड़िए आपके ही पुत्र व पुत्री भी मुझे गलत समझते व कहते हैं। डॉ शोभा ने तो पूनम से मेरी शिकायत करते हुये ही कहा था कि दादा ने नेतागिरी के चक्कर में अपनी नौकरी गवाई ,नेतागिरी ही करनी थी तो सच्चाधारी और ईमानदार बनने की क्या ज़रूरत थी?अजय न नेतागिरी में रहे न ही सच्चे व ईमानदार तो उनको क्यों बार-बार नौकरी में झंझट हुये और उनको किसी दूसरे के फ़ाईनान्स पर ठेकेदारी करनी पड़ी मैं होता तो यह सवाल डॉ शोभा से उठाता परंतु पूनम यह सब क्या जानती थीं? फिर छोटी नन्द से सवाल उठाने का साहस भी उनमें नहीं है। खुद शोभा के मुताबिक ही अजय की स्थिति मेरे मुताबिक भी खराब थी जब उन्होने पूनम से यह सब कहा था -दो वर्ष पूर्व लखनऊ आने पर।
हाँ डॉ शोभा के पति कमलेश बाबू जो शादी के समय 1975 में 'मेशीनिस्ट' थे हरद्वार BHEL में वह झांसी आकर 'फोरमेन' के रूप में रिटायर होकर अब नेल्लोर में इंजीनियर बन कर हवाई यात्राएं जो करने लगे सो डॉ साहिबा को भाभी से बड़े भाई की शिकायतें करने का हक हासिल हो गया था।हरिद्वार में CITU की यूनियन में सक्रिय रह कर कमलेश बाबू BHEL के मेटीरियल से सिलाई मशीनें,पंखे आदि बना कर यूनियन के दम पर बाहर बेच कर धन कमाते रहे और झांसी आने के बाद मेनेजमेंट के खासमखास बन गए ऐसा सब करना मेरे लिए संभव नहीं था। मैं तो यह प्रयास करता हूँ कि नेतृत्व करने वाले लोग ईमानदार व सच्चे हों तो सब का कल्याण हो सके। 1976 में कमलेश बाबू ने यह प्रयास किया था कि आप दरियाबाद में अपना पुश्तैनी हिस्सा ले लें और उनको अपना प्रतिनिधि बना कर वहाँ भेज दें जिसके लिए वह BHEL की अपनी नौकरी भी छोडने को तैयार थे। उस वक्त रायपुर कोठी पर कब्जे वाले सुरेश भाई साहब से उनकी खूब छ्नती थी। अब मथुरानगर में कब्जे वाले ऋषिराज,नरेश और उमेश उनके प्रिय हैं।
मेरे लखनऊ आने के बाद शोभा/कमलेश बाबू ने दरियाबाद के लोगों को यह अफवाह उड़ा कर डरा दिया है कि मैं लखनऊ अपना हक लेने के इरादे से आया हूँ। उन लोगों ने RSS से सम्पर्क करके ब्लाग जगत व हमारी पार्टी तथा लोकेलटी में भी हमारे विरुद्ध लामबंदी कर रखी है। पूनम का चयन करने के बाद आप व बउआ तो यह संसार छोड़ गए शोभा/कमलेश बाबू ने भरसक प्रयास किया कि आप लोगों के बाद आप लोगों के चयन को मैं रद्द कर दूँ जो मैंने नहीं किया। अतः उन लोगों ने पूनम की बिरादरी के ब्लागर्स का चयन अपनी पूना वासी पुत्री की सहायता से मेरे विरुद्ध आग उगलने हेतु किया जिसमे वे अपने को सफल समझ रहे हैं। RKL,PTS,RSS,BSR,RPP सदृश्य ब्लागर्स/राजनेता उनको भरपूर सहयोग प्रदान कर रहे हैं। निशुल्क-निस्वार्थ सहायता करने के मेरे प्रयास को ध्वस्त करने हेतु मार्ग-दुर्घटना व पारिवारिक जनों को रुग्ण करने का तांत्रिक प्रयास उन लोगों द्वारा चलाया जा रहा है। तात्कालिक रूप से वे सफल तो हो सकते हैं किन्तु दीर्घकालिक रूप से उन सब को ही यह कुचक्र मंहगा साबित होगा।
क्योंकि स्वामी विवेकानंद के अनुसार समय से आगे विचार करने वाले को गलत समझा जाता है इसीलिए मुझे भी आज गलत समझा जा रहा है। अगले 50/100 वर्ष में मैं सही साबित हो जाऊंगा ऐसा मुझे दृढ़ विश्वास है। मुझे नहीं लगता कि आपके द्वारा दी गई 'ईमानदारी' व 'सच्चाई' की शिक्षा गलत सिद्ध होगी।
आपका पुत्र
विजय
Link to this post-
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
ढोंग-पाखंड को बढ़ावा देने वाली और अवैज्ञानिक तथा बेनामी टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम कर दिया गया है.असुविधा के लिए खेद है.