02 जनवरी 2013 को गांधी प्रतिमा,हजरतगंज,लखनऊ पर एक प्रतिरोध धरने में जिसका आयोजन 'राही मासूम रजा साहित्य एकेडमी' ने किया था भाग लिया था। फेसबुक लेखन के आधार पर पुलिस द्वारा अवैध गिरफ्तारियों के विरोध में आयोजित इस धरने में नगर के साहित्यकारों,रंगकर्मियों और जागरूक राजनीतिज्ञों ने भाग लिया था। मुझे एकेडमी के महासचिव और फारवर्ड ब्लाक,उत्तर प्रदेश के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष कामरेड राम किशोर जी ने शामिल होने को कहा था,वह हमारी पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर अक्सर आते रहते थे और उनका सम्मान हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता गण भी करते थे अतः उनके कहने पर इस पुनीत कार्य में मैं भी शामिल हुआ था।
इसके बाद उनकी एकेडमी द्वारा आयोजित कई साहित्यिक गोष्ठियों में उनके साथ भाग लिया जिनमें हमारी पार्टी से संबन्धित कई रंग कर्मी भी शामिल होते रहे थे। 07 अप्रैल को सम्पन्न एक गोष्ठी में उनके साथ भाग लेने जाते वक्त उन्होने मुझसे कहा कि कहाँ सी पी आई में पड़े हो हमारे साथ आ जाओ। वस्तुतः वह अपनी पार्टी छोड़ कर एक अलग पार्टी बनाने जा रहे थे और उसी में मुझको शामिल करना चाहते थे। लिहाजा उस दिन के बाद से मैंने उनकी साहित्यिक गोष्ठियों में भाग लेना बंद कर दिया। किन्तु वह मेरे पुत्र से अपनी पार्टी और एकेडमी के समाचार/विज्ञप्तियाँ आदि हेतु सहयोग लेने घर तब तक आते रहे थे जब तक कि उनको घर आने से मना नहीं कर दिया था।
23 मई 2013 से अपनी पार्टी के प्रदेश सचिव कामरेड डॉ गिरीश जी के निर्देश पर 'पार्टी जीवन' के कार्यकारी संपादक को सहयोग देने पार्टी कार्यालय जाने लगा। का सं महोदय काम की बात कम फिजूल की बातें ज़्यादा करते थे जैसे कि उनके पिताजी ने अपने बचपन में एक सहपाठी को कमीज़ से पकड़ कर उठा कर फेंक दिया। उन्होने खुद ने अपनी स्टूडेंट लाईफ में अपने एक सहपाठी को सीतापुर में भीड़ भरे चौराहे पर पीट दिया। पार्टी कार्यालय में AIYF के एक वरिष्ठ नेता को उन्होने झन्नाटेदार झांपड़ रसीद किया आदि-आदि। उन्होने मुझे पार्टी ब्लाग पर एडमिन राईट्स देकर लिखने को कहा जबकि पिछले छह वर्षों से पार्टी के प्रदेश सचिव तक को उन्होने एडमिन नहीं बनाया था। मुझे इसमें उनकी गहरी चाल नज़र आई और मैंने पार्टी के प्रदेश सचिव डॉ गिरीश जी व प्रदेश सह-सचिव डॉ अरविंद राज जी को उनकी अनुमति लेकर एडमिन बना दिया। इस पर का सं महोदय मुझसे ज़बरदस्त खार खा गए। उन्होने अपने समक्ष मुझे ब्लाग पोस्ट करने को कहा जिससे कि वह मेरा ID पासवर्ड जान कर अपने अज़ीज़ ब्लागर्स से संबन्धित मेरे पोस्ट्स डिलीट कर सकें। मैं उतना तो मूर्ख नहीं हूँ जितना लोग मुझे समझते हैं। पार्टी कार्यालय छोड़ते ही मैंने पुत्र को फोन करके अपना पासवर्ड बदलने को कहा जिसे पहले ही अपने ब्लाग्स में एडमिन बनाया हुआ था अन्यथा मेरे साईकिल से घर पहुँचते-पहुँचते वह साहब अपने घर स्कूटर से पहुँच कर मेरा पासवर्ड स्तेमाल करके अपना गुल खिला चुकते। प्रदेश सचिव व सह-सचिव को इस कृत्य की मौखिक सूचना दे दी थी। फिर भी उनके निर्देश पर जाता रहा तब का सं महोदय ने चाय में कुछ टोटके बाज़ी करके पिला दिया था जिससे लौटते में मार्ग में मुझे काफी दिक्कत हुई।अतः मैंने पार्टी कार्यालय में चाय पीना ही बंद कर दिया , इससे पूर्व भी मार्ग में कार व स्कूटर द्वारा एक्सीडेंट कराने का जो प्रयास हुआ उसमें उनका ही हाथ नज़र आया था और इसका उल्लेख इसी ब्लाग में तभी किया भी था।
12 जूलाई 2013 को प्रदेश सचिव और प्रदेश सह-सचिव के जीप द्वारा बांदा जाते हुये विंड मिरर में विस्फोट हुआ और वे सौभाग्य से ड्राईवर समेत सुरक्षित बचे। इस घटना का ज़िक्र खुद डॉ गिरीश जी ने पार्टी के राष्ट्रीय सचिव कामरेड अतुल अनजान साहब एवं खुद का सं महोदय की उपस्थिती में 13 जूलाई 2013 को किया था। उस रोज ज़िला काउंसिल की बैठक के बाद यह अनौपचारिक वार्ता थी। उस दिन की मीटिंग के दौरान ही का सं महोदय ने मिनिट्स लिखने के दौरान पहले मेरी कुर्सी फिर मेरे पैरों पर अपने पैरों से ठोकर मारी फिर मेरे पेट में उंगली भोंक कर अनावश्यक निर्देश देने शुरू किए। उस दिन के बाद से मैंने पार्टी जीवन के कार्य हेतु उनको सहयोग करना बंद कर दिया किन्तु ब्लाग में लिखता रहा था जिसके लिए मैंने नई ID व पास वर्ड बना लिए थे। 09 सितंबर को का सं महोदय ने राष्ट्रीय सचिव कामरेड अनजान साहब से संबन्धित मेरी एक पोस्ट भी ब्लाग से डिलीट कर दी और मुझे एडमिन व आथरशिप से हटा दिया।
अगले ही दिन 10 सितंबर 2013 को मैंने 'साम्यवाद (COMMUNISM)' नामक एक अलग ब्लाग बना कर उसमें उस डिलीटेड पोस्ट को भी प्रकाशित कर दिया। तब से अब तक 112 दिन में 92 पोस्ट्स प्रकाशित हो चुकी हैं जिनको 5441 बार पढ़ा जा चुका है और 18 ब्लाग फालोर्स हो चुके हैं। जब 04 जून को पहली पोस्ट मैंने पार्टी ब्लाग में दी थी तब उसके फालोअर्स 50 थे और जब मुझे उससे प्रथक किया गया -09 सितंबर को उस ब्लाग के फालोअर्स बढ़ कर 65 हो चुके थे। 20 नवंबर 2013 से हमने एक नया फेसबुक ग्रुप 'UNITED COMMUNIST FRONT' भी प्रारम्भ कर दिया है और आज तक 216 कामरेड्स उसके सदस्य बन चुके हैं।
हालांकि इस ओर ध्यान देने से हमारे पहले से चल रहे ब्लाग्स -'क्रांतिस्वर', 'विद्रोही स्व-स्वर में' , 'जनहित में', 'सर्वे भवन्तु....', 'कलम और कुदाल' तथा श्रीमती जी का ब्लाग 'पूनम वाणी' पर लेखन प्रभावित हुआ है किन्तु उनको भी हम चला रहे हैं।
प्रश्न यह उठता है कि का सं महोदय ने ऐसा क्यों किया? उनको मुझसे क्या दुश्मनी थी? कामरेड राम किशोर जी इन महोदय के न केवल अभिन्न मित्र हैं बल्कि रिश्तेदार भी हैं उनके द्वारा मुझे पार्टी से बाहर कराने में विफल रहने पर उन्होने भीतर ही परेशान करके मुझे हटाने का षड्यंत्र रचा था जिसमें उनके एक जाति बंधु ने भी उनको सहयोग दिया है मुझे श्रद्धांजली देकर:
इस फोटो से ज्ञात होता है कि अपने षडयंत्रों में विफल रहने पर ये लोग किस स्तर तक गिर सकते है कि 'श्रद्धांजली' तक दे डालते हैं। तुर्रा यह है कि ये सभी पार्टी के बड़े नेता हैं जबकि मैं एक मामूली सा कार्यकर्ता हूँ।
मात्र एक माह की जान-पहचान कितना बड़ा झूठ लिखा है ?इन पंडित जी ने । सितंबर में हमारे 'साम्यवाद' ब्लाग की कई पोस्ट्स यह शेयर करते रहे थे और फ्रेंड रिक्वेस्ट भी खुद भेजी थी जिसे स्वीकार करके शायद मैंने गलती कर दी थी। 20 नवंबर 2013 को तो मैं पार्टी कार्यालय में प्रदेश सचिव जी से मिलने गया था जहां यह पंडित जी भी मिले थे व्यक्तिगत रूप से और 30 सितंबर की रैली में मेरे द्वारा उनसे न मिलने पर उलाहना भी यह फेसबुक पर दे चुके थे। जो 'झूठ' को बड़ा हथियार मानते हों वे व्यावहारिक रूप से भले ही अच्छे माने जाएँ अपने दुष्कृत्यों में सफल होंगे यह सुनिश्चित नहीं है। का सं महोदय व उनके यह सहयोगी दोनों ही राष्ट्रीय सचिव कामरेड अनजान व पूर्व महासचिव कामरेड बर्द्धन के व्यक्तिगत विरोधी हैं जिसका खुलासा मैंने अपने ब्लाग के माध्यम से कर दिया जिस कारण ये मुझसे घनघोर शत्रुता करने लगे। हम उम्मीद करते हैं इन दुष्कृत्यों को ये लोग 2013 की समाप्ती के साथ-साथ छोड़ सकें और 2014 में एक साफ-सुथरा जीवन शुरू कर सकें।
सभी जनों को आने वाले वर्ष 2014 की अग्रिम शुभकामनायें।
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