सरकारी परीक्षा,सरकारी कर्मचारी,पुलिसकर्मी और परीक्षार्थी :
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28 अक्तूबर 2018 को मतदाता दिवस भी था और उसी दिन PCS की परीक्षाएं भी थीं । दोनों कार्य कुछ विद्यालयों में एक साथ होने थे, किन्तु परीक्षा केन्द्रों के व्यवस्थापकों ने सरकारी कर्मियों को विद्यालय भवन के भीतर BLOs को बैठने भी नहीं दिया था। मतदान कर्मियों में रोष भी था लेकिन मतदाताओं के हितों का ख्याल भी । अतः उनके वरिष्ठ ने एक मतदान केंद्र पर अपने साथियों को भी समझाया और ACM से भी फोन पर बात की कि, कम से कम विद्यालय से कुछ बेंच बैठने हेतु दिलवा दें जिससे मतदाताओं का कार्य सम्पन्न किया जा सके। उनकी बात पर अमल हुआ और मतदाताओं की बात सुनी जा सकी।
* जब तक व्यवस्था नहीं हुई थी वह वरिष्ठ महोदय अपने साथियों को समझा रहे थे कि हम परीक्षार्थियों के एहसानमंद हैं क्योंकि विभिन्न परीक्षाओं से सरकार जो राजस्व अर्जित करती है उसी से अपने कर्मचारियों को वेतन देती है। उन्होने अपनी बात की पुष्टि में बताया कि कोई भी सरकारी परीक्षा निशुल्क नहीं होती और जितनी पोस्ट्स निकलती हैं उसके अनुपात में कई गुना अधिक बेरोजगार आवेदन करते हैं और बहुत कम धन ही परीक्षाएं सम्पन्न करवाने पर व्यय होता है। यह अधिशेष शुल्क सरकार की शुद्ध आय है जिसे वह अपने कर्मियों के वेतन - भत्ते देने में इस्तेमाल करती है।
इस गणित को समझा कर उन्होने अपने साथियों के रोष को विद्यालय और परीक्षार्थियों से हटवा लिया।
** इस व्याख्या के संदर्भ में देखें तो 831 पोस्ट्स हेतु इस PCS परीक्षा के लिए कुल 635844 ( छह लाख पैंतीस हजार आठ सौ चवालीस ) आवेदक परीक्षार्थियों ने @120 / - रु के हिसाब से सरकार को रु 76325680 (सात करोड़ तिरेसठ लाख पच्चीस हजार छह सौ अस्सी रुपये ) का भूगातान किया था जिसमें से प्रदेश के 29 जिलों के परीक्षा केन्द्रों का व्यय घटा कर सरकार के पास कई करोड़ रुपयों की बचत हुई।
वर्ष भर में कई प्रकार की परीक्षाएं होती हैं और सभी में सरकार बेरोजगार युवकों से खूब कमाई करती है।
*** मतदान कर्मियों के साथ - साथ पुलिस कर्मियों की एक अलग समस्या थी कि उनको इस ड्यूटी के बाद रात के ग्यारह बजे तक अपने क्षेत्र के चौराहों पर भी ट्रेफिक कंट्रोल करना होता है फिर अगले दिन समय से ही ड्यूटी भी पहुँचना होता है। पुलिस कर्मियों की छुट्टियाँ दीपावली पर्व तक केनसिल कर दी गई हैं वे ज़रा सा भी आराम नहीं कर सकेंगे और ऐसा प्रत्येक पर्व के आस - पास होता है। पुलिस कर्मियों की वेदना थी कि किसी भी राजनीतिक दल की सरकार पुलिस कर्मियों का कोई ख्याल नहीं रखती है बल्कि सबके निशाने पर पहले पुलिसकर्मी ही रहते हैं।
**** परीक्षार्थियों की वेदना थी कि, बेरोजगार युवकों के अभिभावकों पर यह परीक्षा शुल्क अनावश्यक बोझ होता है अतः सभी परीक्षाएं सरकार की ओर से निशुल्क होनी चाहिए।
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28 अक्तूबर 2018 को मतदाता दिवस भी था और उसी दिन PCS की परीक्षाएं भी थीं । दोनों कार्य कुछ विद्यालयों में एक साथ होने थे, किन्तु परीक्षा केन्द्रों के व्यवस्थापकों ने सरकारी कर्मियों को विद्यालय भवन के भीतर BLOs को बैठने भी नहीं दिया था। मतदान कर्मियों में रोष भी था लेकिन मतदाताओं के हितों का ख्याल भी । अतः उनके वरिष्ठ ने एक मतदान केंद्र पर अपने साथियों को भी समझाया और ACM से भी फोन पर बात की कि, कम से कम विद्यालय से कुछ बेंच बैठने हेतु दिलवा दें जिससे मतदाताओं का कार्य सम्पन्न किया जा सके। उनकी बात पर अमल हुआ और मतदाताओं की बात सुनी जा सकी।
* जब तक व्यवस्था नहीं हुई थी वह वरिष्ठ महोदय अपने साथियों को समझा रहे थे कि हम परीक्षार्थियों के एहसानमंद हैं क्योंकि विभिन्न परीक्षाओं से सरकार जो राजस्व अर्जित करती है उसी से अपने कर्मचारियों को वेतन देती है। उन्होने अपनी बात की पुष्टि में बताया कि कोई भी सरकारी परीक्षा निशुल्क नहीं होती और जितनी पोस्ट्स निकलती हैं उसके अनुपात में कई गुना अधिक बेरोजगार आवेदन करते हैं और बहुत कम धन ही परीक्षाएं सम्पन्न करवाने पर व्यय होता है। यह अधिशेष शुल्क सरकार की शुद्ध आय है जिसे वह अपने कर्मियों के वेतन - भत्ते देने में इस्तेमाल करती है।
इस गणित को समझा कर उन्होने अपने साथियों के रोष को विद्यालय और परीक्षार्थियों से हटवा लिया।
** इस व्याख्या के संदर्भ में देखें तो 831 पोस्ट्स हेतु इस PCS परीक्षा के लिए कुल 635844 ( छह लाख पैंतीस हजार आठ सौ चवालीस ) आवेदक परीक्षार्थियों ने @120 / - रु के हिसाब से सरकार को रु 76325680 (सात करोड़ तिरेसठ लाख पच्चीस हजार छह सौ अस्सी रुपये ) का भूगातान किया था जिसमें से प्रदेश के 29 जिलों के परीक्षा केन्द्रों का व्यय घटा कर सरकार के पास कई करोड़ रुपयों की बचत हुई।
वर्ष भर में कई प्रकार की परीक्षाएं होती हैं और सभी में सरकार बेरोजगार युवकों से खूब कमाई करती है।
*** मतदान कर्मियों के साथ - साथ पुलिस कर्मियों की एक अलग समस्या थी कि उनको इस ड्यूटी के बाद रात के ग्यारह बजे तक अपने क्षेत्र के चौराहों पर भी ट्रेफिक कंट्रोल करना होता है फिर अगले दिन समय से ही ड्यूटी भी पहुँचना होता है। पुलिस कर्मियों की छुट्टियाँ दीपावली पर्व तक केनसिल कर दी गई हैं वे ज़रा सा भी आराम नहीं कर सकेंगे और ऐसा प्रत्येक पर्व के आस - पास होता है। पुलिस कर्मियों की वेदना थी कि किसी भी राजनीतिक दल की सरकार पुलिस कर्मियों का कोई ख्याल नहीं रखती है बल्कि सबके निशाने पर पहले पुलिसकर्मी ही रहते हैं।
**** परीक्षार्थियों की वेदना थी कि, बेरोजगार युवकों के अभिभावकों पर यह परीक्षा शुल्क अनावश्यक बोझ होता है अतः सभी परीक्षाएं सरकार की ओर से निशुल्क होनी चाहिए।
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