२० अप्रैल हमारी दिवंगत माँ का भी जन्मदिन है और हमारे दिवंगत छोटे बहनोई का भी ।
बहन ने माँ को बताया था कि कमलेश बाबू को टिंडे की सब्जी पसंद नहीं है कभी नहीं खाते है। जब वह पहली बार बहन के साथ हमारे घर शाहगंज आगरा के प्रतापनगर वाले किराये के मकान में आए थे। बउआ (माँ ) ने भरवां टिंडे की सब्जी बना भोजन के साथ परोसी थी , वह स्वादपूर्वक खा गए बल्कि और की मांग भी की। फिर कमलानगर , आगरा वाले अपने मकान में भी कई बार भरवां टिंडे की सब्जी वह शौक से खाते रहे। बउआ व कमलेश बाबू के जन्मदिन के अवसर पर अकस्मात यह पुरानी घटना सादर स्मरण हो आई।
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१९७२ और २०२० में फ़र्क
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१५ मई १९७२ को सरधना रोड ,कंकरखेड़ा, स्थित जिस फेक्टरी में बी ए कर के बेरोजगार होने के कारण मैंने पहली नौकरी अकाउंट्स विभाग में शुरू की थी वह जैनियों की थी और उसमें एक क्लर्क जैनी थे, कैशियर मालिकों के मामा थे और मेनेजर अकाउंट्स रिटायर्ड बैंक मेनेजर थे। मेरे पास कोई अनुभव नहीं था जैन साहब बताने को तैयार नहीं थे और मुझको अनफ़िट और सरप्लस बताते थे । मेनेजर साहब कमर्शियल अकाउंट्स से अनभिज्ञ थे ।
पुरानी फ़ाइलें मेनेजर साहब से मांग कर अध्ययन करके दो दिन बाद मैंने मेनेजर साहब से कुछ वाउचर्स मुझसे भी बनवाने का निवेदन किया और मैं भी वाउचर्स बनाने लगा तब वह जैन साहब मेनेजर साहब से कहने लगे आप मेनेजर हैं केवल वाउचर्स पास कीजिए चेक करने को उनको दिलवाएं।
दो - तीन दिन बाद वह मेनेजर साहब से बोले अब इनको काम आ गया है यही सारे वाउचर्स बनाएंगे और वह चेक करेंगे, वाउचर नहीं बनाएंगे सिर्फ वाउचर्स देखेंगे । न तो मेनेजर साहब को न ही मुझको आपत्ति थी कुछ माह बाद ही मुझको अनफ़िट और सरप्लस बताने वाले जैन साहब ने मुझे बिल पेमेंट्स,चेक बनाना सब कुछ सौंप दिया ।
सवा तीन साल मैं वहाँ रहा मेरे संबंध जैन साहब से मधुर रहे फिर वह भी सहयोग करते रहे।
२०२० मे मुझे निजी संस्थान में कार्यरत लोगों से जो सूचनाएं मिलती हैं उनमें सभी संस्थानों में सीनियर्स जूनीयर्स को प्रतिद्वंदी मान कर उखाड़ने के प्रयासों में संलग्न पाए गए हैं। कोरोना लाकडाउन में नौकरियां जाने की आशंका में सीनियर्स अपने वरिष्ठ जूनियर के विरुद्ध कई जगह षड्यंत्रों में मशगूल हो गए हैं। क्योंकि सेवायोजक कहीं पुराने ज्यादा वेतन वाले कर्मचारी को हटा कर कम वेतन वाले उसके निकटतम जूनियर से काम न चला ले अतः उसके भी जूनि यर्स को उसके विरुद्ध भड़काना सीनियर मोस्ट का शगल बन गया है।कोरोना लाकडाउन नौकरियों में अनिश्चितता व संघर्ष का जनक सिद्ध हो रहा है।
बहन ने माँ को बताया था कि कमलेश बाबू को टिंडे की सब्जी पसंद नहीं है कभी नहीं खाते है। जब वह पहली बार बहन के साथ हमारे घर शाहगंज आगरा के प्रतापनगर वाले किराये के मकान में आए थे। बउआ (माँ ) ने भरवां टिंडे की सब्जी बना भोजन के साथ परोसी थी , वह स्वादपूर्वक खा गए बल्कि और की मांग भी की। फिर कमलानगर , आगरा वाले अपने मकान में भी कई बार भरवां टिंडे की सब्जी वह शौक से खाते रहे। बउआ व कमलेश बाबू के जन्मदिन के अवसर पर अकस्मात यह पुरानी घटना सादर स्मरण हो आई।
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१९७२ और २०२० में फ़र्क
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१५ मई १९७२ को सरधना रोड ,कंकरखेड़ा, स्थित जिस फेक्टरी में बी ए कर के बेरोजगार होने के कारण मैंने पहली नौकरी अकाउंट्स विभाग में शुरू की थी वह जैनियों की थी और उसमें एक क्लर्क जैनी थे, कैशियर मालिकों के मामा थे और मेनेजर अकाउंट्स रिटायर्ड बैंक मेनेजर थे। मेरे पास कोई अनुभव नहीं था जैन साहब बताने को तैयार नहीं थे और मुझको अनफ़िट और सरप्लस बताते थे । मेनेजर साहब कमर्शियल अकाउंट्स से अनभिज्ञ थे ।
पुरानी फ़ाइलें मेनेजर साहब से मांग कर अध्ययन करके दो दिन बाद मैंने मेनेजर साहब से कुछ वाउचर्स मुझसे भी बनवाने का निवेदन किया और मैं भी वाउचर्स बनाने लगा तब वह जैन साहब मेनेजर साहब से कहने लगे आप मेनेजर हैं केवल वाउचर्स पास कीजिए चेक करने को उनको दिलवाएं।
दो - तीन दिन बाद वह मेनेजर साहब से बोले अब इनको काम आ गया है यही सारे वाउचर्स बनाएंगे और वह चेक करेंगे, वाउचर नहीं बनाएंगे सिर्फ वाउचर्स देखेंगे । न तो मेनेजर साहब को न ही मुझको आपत्ति थी कुछ माह बाद ही मुझको अनफ़िट और सरप्लस बताने वाले जैन साहब ने मुझे बिल पेमेंट्स,चेक बनाना सब कुछ सौंप दिया ।
सवा तीन साल मैं वहाँ रहा मेरे संबंध जैन साहब से मधुर रहे फिर वह भी सहयोग करते रहे।
२०२० मे मुझे निजी संस्थान में कार्यरत लोगों से जो सूचनाएं मिलती हैं उनमें सभी संस्थानों में सीनियर्स जूनीयर्स को प्रतिद्वंदी मान कर उखाड़ने के प्रयासों में संलग्न पाए गए हैं। कोरोना लाकडाउन में नौकरियां जाने की आशंका में सीनियर्स अपने वरिष्ठ जूनियर के विरुद्ध कई जगह षड्यंत्रों में मशगूल हो गए हैं। क्योंकि सेवायोजक कहीं पुराने ज्यादा वेतन वाले कर्मचारी को हटा कर कम वेतन वाले उसके निकटतम जूनियर से काम न चला ले अतः उसके भी जूनि यर्स को उसके विरुद्ध भड़काना सीनियर मोस्ट का शगल बन गया है।कोरोना लाकडाउन नौकरियों में अनिश्चितता व संघर्ष का जनक सिद्ध हो रहा है।
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