बिल्डर को मिलाकर हमारे मकान में गड़बड़ियाँ तो कराई हीं.अगल-बगल क़े लोगों को भी दुष्प्रचार द्वारा हमारे विरुद्ध जुटाया गया.सबसे भीषण हमला हुआ मेरी पत्नी पर २७ दिसंबर ,सोमवार को.तांत्रिक प्रक्रिया द्वारा उनके मस्तिष्क को विचलित किया गया जिसके परिणामस्वरूप वह सीढ़ियों पर बिलकुल ऊपर पहुँच कर धुलक गईं और एकदम नीचे आकर गिरीं.यशवन्त ने घबराकर मुझे आवाज दी और मैं पूजा बीच में छोड़ कर नीचे उतरा तथा सहारा देकर उन्हें ऊपर ले गया.उपलब्ध दवाईयों तथा वैज्ञानिक स्तुतियों का सहारा लिया. हालाँकि,अभी बदन ,सिर आदि में दर्द व बुखार का प्रकोप पूरा नहीं हटा है,परन्तु खतरे को काबू कर लिया है.
कोशिश यह है कि,किसी तरह मेरी पत्नी ही लखनऊ को रिजेक्ट कर दें और मुझे यहाँ से हटना पड़े.यशवन्त को भी जाब में परेशान किया गया था तो उसे साईबर कैफे खुलवा दिया था.अब उसके व्यवसाय तथा मेरे ज्योतिष को आर्थिक क्षति पहुंचाई जा रही है.लेकिन धन ही सब कुछ नहीं होता ऐसा हमारे विरोधियों को नहीं पता है.
यशवन्त क़े माध्यम से हम ब्लाग जगत से जुड़े और हमें कुछ विद्वान -सज्जन लोगों से सम्मान तथा सहानुभूति भी प्राप्त हुई है एवं वही हमारे लिये सबसे बड़ी पूंजी है.मैं किसी भी प्रकार की न तो समीक्षा करना चाहता हूँ न ही किसी को अच्छा या बुरा बताना चाहता हूँ ,परन्तु जिनसे प्रेरणा व ज्ञान प्राप्त हुआ या जिनके आलेख/कविता आदि हमें पसन्द आये उनका ज़िक्र करना और उनका शुक्र -गुज़ार होना तो हमारा कर्त्तव्य बनता ही है.क्रन्तिस्वर पर केवल तीन ही विद्वानों-डा.टी.एस.दराल सा :,सलिल वर्माजी (चला बिहारी ब्लागर बनने वाले),विजय कुमार वर्माजी का ही उल्लेख हुआ है.इनके आलावा भी -अल्पना वर्मा जी ,वीना श्रीवास्तव जी,रंजना जी,मोनिका शर्मा जी,मनोज कुमार जी,महेंद्र वर्मा जी,पी.सी.गोदियाल सा :,क़े.क़े.यादव जी और आकांक्षा जी क़े ब्लॉगों से बहुत कुछ सीखने समझने को मिला है -इन सब का भी आभारी हूँ.और भी बहुत से ब्लाग ऐसे हैं जिनसे कुछ न कुछ सीखा ही है.*
कुल मिला कर ऐसा कुछ नहीं है जो हमें हताश कर सके और हमारे क़दमों को रोक सके.अभी २६ दिस.को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी क़े ८५ वें स्थापना दिवस पर उनकी गोष्ठी में सुनने का अवसर मिला.वक्ताओं ने भ्रष्टाचार व चुनाव -सुधार पर व्यापक विचार व्यक्त किये."हमें तुम्हारे स्विस बैंक खातों का हिसाब चाहिए"यह था नारा (स्लोगन).का.अतुल अँजान ने बताया कि,घोटालों-घपलों से आवारा पूंजी जन्मी जिसने भ्रष्टाचार को आसमान पर पहुंचा दिया.उनसे पूर्व का. गिरीश ने भी बताया था कि,भ्रष्टाचार अंग्रेजों क़े ज़माने से-नजराना,शुकराना,भेंट आदि क़े रूप में चलता आया है,परन्तु तब इसे हिकारत की निगाह से देखा जाता था.पकडे जाने पर भ्रष्टाचारी की ज़लालत होती थी.टी.टी.कृष्णामाचारी,केशव देव मालवीय आदि भ्रष्टाचार क़े कारण मंत्री-मण्डल से हटाये गये थे.धीरे-धीरे भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बताया जाने लगा और यह आज बेशर्मी की सारी हदें पार कर चुका है.
मैं न तो विद्वान हूँ न ही कोई विशेषज्ञ परन्तु मेरी अल्प बुद्धी ने जो समझा है,वह यह है कि हमारी प्रचलित संस्कृति ही भ्रष्टाचार क़े मूल में है.लोग-बाग अपने भगवान से सौदे-बाजी करते है कि,यह या वह काम पूरा होने पर इतने/उतने रु.का प्रशाद चढ़ाएंगे.इसी प्रकार मतलब साधने वाले इन्सान से भी सौदेबाजी होती है.
यदि समाज से सिर्फ पैसे वालों का सम्मान करने की प्रवृती समाप्त हो जाये तो भ्रष्टाचार का निर्मूलन होते देर नहीं लगेगी.आईये नव-वर्ष २०११ में संकल्प लें कि, योग्यता व विद्वता को ही पूजेंगे,धनाढ्यता को नहीं.२०११ का वर्ष आप क़े लिये व आपके सभी परिवारीजनों क़े लिये मंगलमय,शुभ,स्वास्थ्यकारी एवं उज्जवल हो.
*क़े आर .जोशी जी (Patali the village ),पूनम श्रीवास्तव जी (झरोखा),जाकिर अली 'रजनीश' साहब (तस्लीम),क़े नाम जल्दी जल्दी में छूट गये थे.
Link to this post-
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंअभी केवल शुभकामनाएं, पोस्ट पढने आती हूं, दुबारा-
जवाब देंहटाएंनये वर्ष की अनन्त-असीम शुभकामनाएं.
उम्मीद है नया साल इंसानियत का पैगाम लेकर आयेगा ...
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को नए साल की शुभकामनायें !
विजय जी, आपकी ब्लॉग यात्रा के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई। हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं---------
मिल गया खुशियों का ठिकाना।
वैज्ञानिक पद्धति किसे कहते हैं?
happy new year
जवाब देंहटाएंthank you for sharing
ाच्छा लगा आलेख। आपको भी नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएं