होटल मोगुल ओबेराय का नाम बदल कर होटल मुग़ल शेरेटन कर दिया गया .आयी.टी.सी. ने ओबेराय से कान्ट्रेक्ट तोड़ दिया और लम्बे समय तक दोनों में कानूनी विवाद चला.अमेरिका की शेरटन कं.से तालमेल किया गया.कुल तीन करोड़ का शुरू हुआ प्रोजेक्ट छै करोड़ में पूरा हुआ.आठ प्रतिशत की दर से कमीशन चलता था.बीच मैं रोड़ा था,अतः नए आये प्रोजेक्ट कामर्शियल मैनेजर श्री देव सदय दत्त ने कैश पर प्रशांतो कुमार करमाकर को लगा दिया और मुझे मेन फायीनांस सेक्शन दिया.काम बढने के साथ मेरे अधीन नए रिक्रूटी आते गए और मुझे सीनियर क्लर्क बना दिया गया.
इन्टरवियू के समय के सक्सेना सा :तो सिलेक्शन न होने के बाद कभी नहीं मिले ,परन्तु श्री विनोद कुमार श्रीवास्तव हम लोगों से मिलने आते रहे. मुझ से मेन कंट्राक्टर ने कोई लड़का अपने लेखा विभाग हेतु बताने को कहा और मैंने विनोद जी को उनके यहाँ जाब दिलवा दिया.इस प्रकार उनसे सतत संपर्क बना रहा.उनके एक सुपरवाईजर श्री अमर सिंह राठौर -बार्डर सिक्यूरिटी फ़ोर्स के रिटायर्ड सब इन्स्पेक्टर थे.वह हस्त-रेखा मे पारंगत थे. एक दिन विनोद मुझे जबरदस्ती उनके पास मेरा हाथ दिखाने ले गये;तब तक ज्योतिष पर मेरी रूचि नहीं थी.विनोद जी की खुशी के लिए ही मैंने अपना हाथ दिखाया था.राठौर जी ने जो कुछ बताया समयानुसार सही गया (केवल एक बात का समय निकल चुका है ).उन्होंने २६ वर्ष की उम्र में अपने मकान में चले जाने और ४३ वर्ष की उम्र मेंअपना होने की बात कही थी.इसमें मुझे उस वक्त विरोधाभास भी लगा और रु.२७५ प्रतिमाह वेतन में कैसे होगा यह भी समझ नहीं आया. परन्तु हुआ यही-रु.२९० प्रतिमाह की किश्त १५ वर्ष चुका कर रिश्वत न देने के कारण विलम्ब से रजिस्ट्रेशन हुआ .मकान एलाट होने तक सुपरवाईजर अकाउंट्स बन चुका था और वेतन काफी बढ़ चुका था जिससे किश्तों का भुगतान हो सका.उन सब का जिक्र अपने क्रम पर ही ठीक रहेगा.
आपात काल में भी में इंदिरा विरोधी रुख छिपाता नहीं था और खुल कर चर्चा करता था.साथ के कर्मचारी मेरे साथ बाहर निकलने में घबराते थे कहीं गिरफ्तार न कर लिए जाएँ.न तो मुझे डर था और न मैं गलत था,उस पर इंटेलीजेंस वालों से व्यक्तिगत परिचय जबकि वे लोग अनभिग्य थे कि आगंतुक लोग इंटेलीजेंस के हैं और उनसे मेरे मधुर सम्बन्ध हैं.थोडा-थोडा जो ज्योतिष का ज्ञान था उसके आधार पर मैनें चुनावों की घोषणा होते ही ऐलान कर दिया था -इंदिरा गांधी और संजय गांधी तक बुरी तरह से हारेंगें ,चौ.सा :ने इंटेलीजेंस इन्स्पेक्टर आर.एस.यादव से मेरी बात बतायी तो उन्होंने साफ़ कहा ऐसा ही होगा वे लोग भी सरकार से असंतुष्ट थे अतः जान-बूझ कर इंदिरा जी को गलत रिपोर्ट दी गयी थी कि माहौल उनके पक्ष में है जबकि हकीकत उलट थी.इसी कारण एक वर्ष कार्यकाल संविधान संशोधन द्वारा बढवाने के बावजूद ५ वर्ष में ही इमरजेंसी रहते हुए चुनाव करवा डाले.जब ०३ फरवरी १९७७ को बी.बी.सी.द्वारा बाबू जगजीवन राम द्वारा सत्ता कांग्रेस छोड़ने की घोषणा हुयी तो हमारे फायीनान्शियल मैनेजर विनीत सक्सेना सा :जो अब तक मेरी भविष्यवाणी को गलत बता रहे थे पलट कर मेरी बात की तस्दीक करने लगे.लेकिन उनकी नजर में नए प्रधानमंत्री जगजीवन बाबू ही होने वाले थे जबकि मैंने मोरारजी देसाई के पी.एम्.बनने की बात दृढ़तापूर्वक कही थी.
यूं.ऍफ़.सी.विनीत सक्सेना सा :की पत्नी रश्मि सक्सेना जी 'THE HINDUSTAN TIMES ' की पत्रकार थीं उनके साथ वह भी सेठ अचल सिंह के इन्टरवियू में इसलिए गए थे क्योंकि मैंने सेठ जी के चुनाव हारने की भविष्यवाणी कर रखी थी जबकि आगरा की ग्रामीण जनता में उनकी एक धाक थी और उनके न हारने की चर्चाएँ थीं.सेठ जी लोक सभा में सोते रहते थे और मतदान के समय जब उन्हें झकझोरा जाता था तो हाथ खड़ा कर देते थे एक बार तो दोनों हाथ खड़े कर दिए थे. फिर भी जनता उन्हें काम करने के कारण चुनती रहती थी. उनके विरुद्ध जनता पार्टी से श्री शम्भूनाथ चतुर्वेदी मैदान में थे ,वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जो डी.एस.पी. की नौकरी छोड़ कर आन्दोलन में कूदे थे. सक्सेना जी ने कहा आदमी तो अच्छा है सेठ जी से लेकिन उन्हें हरा नहीं पायेगा.और बहुत सी बातें इस दौरान आफिस की तथा व्यक्तिगत एवं राजनीतिक अगली बार......
Link to this post-
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंलेख बहुत अच्छा और विचारणीय है। आपको बहुत-बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंनवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ|
सार्थक पोस्ट स्वागत योग्य, बधाई
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिये धन्यबाद
जवाब देंहटाएं