मंगलवार, 12 जुलाई 2011

आगरा/१९८०-८१ ( कारगिल भाग २ )



जब मैंने मेनेजर चावला साहब से डा. साहब से हुई भेंट का जिक्र किया तो उन्होंने उनसे मिलने की इच्छा व्यक्त की ,एक रोज वह जल्दी सो कर उठ गए और मेरे साथ टी.बी.अस्पताल की और गए.डा.साहब अपनी कोठी के बरामदे में ही बैठे थे देख कर बाहर आ गए ,मैनें चावला जी का परिचय दिया तो उन्होंने चावला जी और मुझे अगले सन्डे को अपने घर भोजन पर बुलाया.परन्तु चावला जी अकेले ही चले गए और ठीक भी हुआ क्योंकि वही बड़े अपसेट थे.हालांकि वह तो मांसाहारी थे किन्तु डा.साहब के यहाँ भेड़ का मांस परोसा गया था जो चावला जी ने बेमन से खाया.मैं तो शाकाहारी था यदि वह ले जाते तो बिना खाए ही आता.

एक दिन बिना पूर्व सूचना के सरदार नृप जीत सिंह चावला,जी.एम्.-होटल मुग़ल कारगिल के होटल में सीधे पहुँच गए.सभी लोगों से व्यक्तिगत हाल-चाल पूंछा,किन्तु शायद गोपनीय तरीके से टोनी चावला जी को मुझे परेशान करने का हिंट दे गए.एन.एस.चावला जी तो एक-डेढ़ घंटे में ही चले गए लेकिन फिर टोनी चावला जी का व्यवहार एक हरबंस सिंह सेखों( जो मोना सरदार थे )को छोड़ कर सभी के प्रति बेरुखा हो गया विशेष कर मेरे प्रति तो टेढ़ा.
[अतुल माथुर,हरवंस सिंह सेखों (पीछे) सतपाल सिंह साथ ,में ]

इस चित्र में हरबंस सिंह सेखों,सत्य पाल सिंह,अतुल माथुर और उनके साथ मैं हूँ.सेखों फ्रंट आफिस के थे,एस.पी.सिंह ऍफ़.एंड बी.सेक्शन के और अतुल माथुर कुक था.यह वही अतुल माथुर है जिसके पिता के ताऊ जी(आर.एस.माथुर जिनका मेरठ कालेज और कचहरी के पास आर.एस.ब्रदर्स नामक रेस्टोरेंट है)  ने हमारे फूफा जी को चार्ज में पंखों की जगह मिट्टी की हांडियां हैण्ड ओवर की थीं और बाद में फूफा जी लम्बे समय तक सस्पेंड  रहे थे.वैसे मैंने अतुल से इस घटना का जिक्र नहीं किया था और उसका व्यवहार मेरे साथ बहुत ठीक था वह मुझे पूरा सम्मान देता था.वह दूध की चाय नहीं पीता था और नीम्बू डाल कर पीता था,मेरे अलावा  सब उसका मखौल उड़ाते थे .एक दिन उसने मुझे भी वह चाय दी मुझे अच्छी लगी लेकिन और लोग चखने को भी तैयार नहीं थे.

टोनी चावला जी ने चाय -नाश्ते,खाने वगैरह पर अपनी पाबंदी लगा दी तब कभी-कभी अतुल किचेन में बुला कर मुझे एक्स्ट्रा चाय पिला दिया करता था.शाकाहारी खाना खाने वाले केवल दो लोग थे -मेरे आलावा इंजीनियरिंग सुपरवाईजर .हम ही दो ड्रिंक भी नहीं करते थे.मेरे दुसरे साथी ने चावला जी से भोजन पर टकराना शुरू कर दिया,उनकी खुराक भी ज्यादा थी.वह मांसाहार के बदले अधिक मक्खन की मांग करते थे,ड्रिंक के बदले जूस मांगते थे.मुझे मक्खन वगरह ज्यादा हजम करना मुश्किल था अतः मैंने उनकी मांग का समर्थन नहीं किया.चावला जी कहते थे दोनों शाकाहारियों को एक सा भोजन मिलेगा उसमें भेद नहीं होगा.

एक दिन उन महोदय का चावला जी से इतना झगडा हुआ कि,उन्होंने खाने का बहिष्कार कर दिया.उनके भी सुपरवाईजर ग्रेड का ही होने के कारण मुझे उनका साथ देना पड़ा.हम लोग बाजार अपने खर्च पर खाना खाने जाने लगे और रात को बिना खाए रहे.एक दिन रास्ते के एक दुसरे होटल के कुक ने बुला कर हम लोगों को चाय नाश्ता कराया,उनके मालिक को यह मालूम होते हुए भी कि हम लोग उनके प्रतिद्वंदी होटल के कर्मचारी हैं कोई एतराज कभी नहीं किया.यह मौलिक अंतर उत्तर भारत के अपने मेनेजर और लद्धाखी व्यापारी के व्यक्तित्व का है.लद्धाखी शिया उस समय ईरान के आयतुल्ला रोह्हल्ला खोमैनी के समर्थक थे,जेड.ए.भुट्टो उनके आदर्श थे.कश्मीर घाटी के सुन्नियों से उन लोगों के सम्बन्ध मधुर नहीं थे परन्तु हम लोगों के प्रति व्यवहार बहुत अच्छा था.

उसी दौरान दुसरे सुपरवाइजर महोदय मुझे एक दिन मिलेटरी के सिनेमा हाल में 'गाय और गोरी'पिक्चर जबरदस्ती दिखाने ले गए.मैं सिनेमा वगैरह नहीं देखता था.वह थोडा ओछे स्वभाव के थे अतः बदलने पर दूसरी पिक्चर मैंने भी उन्हें दिखा दी.
हर वंस सिंह सेखों के साथ 

एक दिन सारे स्टाफ का झगडा टोनी चावला जी से हो गया.आगरा का सारा स्टाफ वापिस जाने के लिए उद्यत हो गया.टोनी चावलाजी की श्रीमती जी ने हस्तक्षेप करके सब को रुकने पर राजी कर लिया,परन्तु टोनी चावला जी का व्यवहार पूर्व वत रहने के कारण सत्य पाल सिंह,इंज.सुपरवाईजर और मैंने वापिस लौटने का ठोस निर्णय कर लिया.चावला जी ने परमीशन नहीं दी.तीनों लोगों ने अपना सामान बाँध लिया और चूंकि श्रीनगर हेतु बस सुबह ५ बजे चलती थी,स्टैंड के पास एक होटल में रुक गए ऐन चलने के टाईम टोनी चावला ने इंजीनियरिंग सुपरवाईजर को लालच देकर या धमका कर रुकने पर राजी कर लिया और उसने अपना सामान खोल लिया.लेकिन हम दो लोगों को पहुँचाने सारा स्टाफ आया था.हम आफिशियल जीप लेने के पक्ष में नहीं थे परन्तु सेखों ने कहा कि वह लोग घूमने जा रहे हैं और उन्होंने अपने लिए जीप माँगी है और चूंकि उनके पजेशन में है अतः वे लोग हमें पहुंचा रहे हैं न कि चावला जी.उनकी बात माननी पडी.

कारगिल की कुछ और बातें ,लौटने का सफ़र आदि-आदि अगली बार........

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