1965 -67 मे नवी-दसवी कक्षा मे एक विद्वान के विचार जो पढे थे आज भी कंठस्थ हैं कि,"सभी को उदार होना चाहिए,किन्तु उसके साथ-साथ 'पात्र'की अनुकूलता भी होनी चाहिते। "
तब से ही उस पर व्यावहारिक अमल भी करता रहा हूँ। आचार्य हजारी प्रसाद द्विदी जी के लेख मे इस उद्धरण "अर्जुनस्य द्वै प्रतिज्ञे-न दैन्यम न पलायनम " के साथ 'न अधैर्यम' अपने लिए जोड़ लिया । मैंने इसे जब भी कहा 'अधैर्यम' अपनी तरफ से लगा कर कहा। नाक बंद करके कुछ समय तक पानी मे डूबे रहा जा सकता है परंतु मैं पानी को आँखेँ नहीं डुबाने दे सकता। बस इतना तक ही 'धैर्य' मैं रख सकता हूँ।
'Quick and fast decision,but slow and steady action' मेरा अपने लिए बनाया गया सूत्र है मैंने सदैव इसका पालन किया है और सफल रहा हूँ। जब-जब शत्रु ने ललकारा है मैंने भारी नुकसान सह कर भी 'चुप्पी' रखी है। उपरोक्त सूत्रों पर अमल करते हुये ही मैं शत्रु का जवाब देता या उसका मुक़ाबला करता हूँ। चाहे कोई कितना ही 'मूर्ख' कहे या समझे।
'Decided at once,decided for ever and ever' यह मेरा अपने लिए बनाया गया 'स्थाई सूत्र' है। इसका परित्याग मैं नहीं कर सकता भले ही प्राणों का त्याग करना पड़े तो सदैव उसके लिए तत्पर हूँ।
तब से ही उस पर व्यावहारिक अमल भी करता रहा हूँ। आचार्य हजारी प्रसाद द्विदी जी के लेख मे इस उद्धरण "अर्जुनस्य द्वै प्रतिज्ञे-न दैन्यम न पलायनम " के साथ 'न अधैर्यम' अपने लिए जोड़ लिया । मैंने इसे जब भी कहा 'अधैर्यम' अपनी तरफ से लगा कर कहा। नाक बंद करके कुछ समय तक पानी मे डूबे रहा जा सकता है परंतु मैं पानी को आँखेँ नहीं डुबाने दे सकता। बस इतना तक ही 'धैर्य' मैं रख सकता हूँ।
'Quick and fast decision,but slow and steady action' मेरा अपने लिए बनाया गया सूत्र है मैंने सदैव इसका पालन किया है और सफल रहा हूँ। जब-जब शत्रु ने ललकारा है मैंने भारी नुकसान सह कर भी 'चुप्पी' रखी है। उपरोक्त सूत्रों पर अमल करते हुये ही मैं शत्रु का जवाब देता या उसका मुक़ाबला करता हूँ। चाहे कोई कितना ही 'मूर्ख' कहे या समझे।
'Decided at once,decided for ever and ever' यह मेरा अपने लिए बनाया गया 'स्थाई सूत्र' है। इसका परित्याग मैं नहीं कर सकता भले ही प्राणों का त्याग करना पड़े तो सदैव उसके लिए तत्पर हूँ।
विश्व साक्षर्ता दिवस पर 08 सितंबर को कामरेड चतुर्वेदी जी ने जो यह कहा वही मेरा प्रिय सिद्धान्त है-
Jagadishwar Chaturvedi
जो सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो - उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं, इस ओर ध्यान मत दो।(स्वामी विवेकानन्द)
Shyam Kali Comrade garib jis din apni takat pahchan jayega to usase jyada dhani koi nahi hoga.
शायद उदारता हेतु 'पात्रता' का चयन करने मे कहीं न कहीं चूक हो गई होगी तभी तो 'ठग' और उसके 'जासूस' ने मुझसे चार-चार कुंडलियों के विश्लेषण हासिल करने के बाद मेरे प्रोफेशन और योग्यता का बेरहम मखौल उड़ाया तथा पर्ले दर्जे की 'एहसान फरामोशी' पेश की। 05 सितंबर को 'ठग' ने जो दावा किया उस पर फेसबुक मे 07 को मैंने यह कहा-
आखिर मे ठग ने कुबूल ही लिया कि,उसकी पोटली मे विषधर थे। लेकिन अब बाहर निकाल दिया का दावा दिग्भ्रमित करने वाला है क्योंकि 05 सितंबर को उस पोटली मे चेनल वाले और गैर चेनल वाले सभी विषधर नतमस्तक थे।
एवं-
गांवों की आबो-हवा से वाकिफ लोग जानते हैं कि 'गौ' भी अपनी संतान की रक्षा के लिए 'शेर' तक से भिड़ जाती है और वह संतान रक्षा के उपक्रम मे शेर को मार भी देती है। यदि कोई ईमानदार अपनी संतान रक्षा हेतु 'ढाल'बन कर वार अपने ऊपर झेल लेता है तो हाय-तौबा क्यों?'ठग' ने तो अपने बचाव मे अपनी संतान को ढाल बना लिया है।
मुझे नहीं लगता कि 'ठग पार्टी' समझदारी का परिचय देगी इसी लिए 06 तारीख को ही मैंने fb पर लिख दिया था कि,-
'रोटी खाई घी -शक्कर से ,दुनिया लूटी मक्कर से। 'का अनुगामी ठग जब चौराहे पर खड़ा होकर शोर मचाये -'हाय लुट गया,पिट गया' और लोग उसके आगे-पीछे उसके रुदन मे रुदन मिलाने लगें तब यही समझना पड़ेगा कि इन सब की बुद्धि मस्तिष्क मे नहीं पैर के तलवे मे निवास करती है।
लेकिन इससे पूर्व यह भी घोषणा कर चुका था - ( 04 तारीख को fb मे लिखना पड़ा)-
बेंगलोर के एक इंजीनियर साहब की मांग पर 'जनहित मे' नामक ब्लाग प्रारम्भ किया गया था और उसमे जन-कल्याण हेतु प्राचीन स्तुतियाँ दी जा रही थी। एक बार अन्ना/रामदेव आंदोलन के पीछे ब्लागर्स/फेसबुकियों के भागने के कारण उसे स्थगित किया था जिसे पुनः ब्लागर्स की मांग पर ही चालू कर दिया था। किन्तु विदेश प्रवासी एहसान फरामोश फेसबुकिए और पूना प्रवासी और उसके जासूस ब्लागर्स द्वारा कुत्सित एवं वीभत्स कृत्यों तथा दुष्प्रचार किए जाने के कारण इन्टरनेट पर उस ब्लाग को प्रतिबंधित कर दिया है। अभी तो प्रवासी फेसबुकिए की निंदा करने के उपरांत तीन ब्लागर्स को जन्म्पत्रियों के विश्लेषण भेज दिये थे। लेकिन अब एहसान फरामोश निकृष्ट ब्लागर्स की धृष्ट हरकतों के कारण किसी भी ब्लागर/फेसबुकिए को कोई ज्योतिषीय परामर्श नहीं दिया जाएगा ।
इस पर टिप्पणी देखें-
Arvind Vidrohi Muft me kuch mat dijiye ,, jankari lekar swarthi log mazak udaate hai
जासूस ने मुझसे 'ठग' की बुराई और ठग से मेरी बुराई बड़ी बहदुरी से की और इसी लपेटे मे खुद अपने पति पर भी इल्ज़ाम जड़ दिया। जबकि मैं उनसे मिला हूँ और उनको फेयर पाया ।
किसी
को भी कोई ऐसा कर्म नहीं करना चाहिए या ऐसा रिश्ता नहीं बनाना चाहिए जिसे
सार्वजनिक ना किया जा सके या उसको छुपाने की जद्दो जहद करनी पड़े | यह कर्म
और अनकहे रिश्ते ही होते है जो दुश्वारिया उत्पन्न करते है और
हमें पुराने परिचितों से नज़र छुपानी पड़ती है तथा कुछ लोगो को नाजायज़ फायदा
उठाने का मौका भी दे देती है | अपने जीवन साथी , परिजनों और मित्रो पे
भरोसा करना चाहिए और उनके भरोसे को बरक़रार रखना चाहिए | --- अरविन्द
विद्रोही
'ठग' और उसके 'जासूस' ने एहसान फरामोशी के उपरांत यह स्टैंड लिया कि उन लोगों की बातों को सार्वजनिक न किया जाये और इसी बात की धमकी IBN7 मे कार्यरत 'विषधर' ने दी थी। 'अरविंद' जी ने शुद्ध सौ प्रतिशत सही बात कही है उससे इंकार करना घोर बेईमानी होगा।
मेरे लेख ' पिताजी की पुण्य तिथि पर एक स्मरण ' पर गत वर्ष यह टिप्पणी विराजमान है-
बहुत सुंदर.. क्या बात है
और अब यही साहब पूछते हैं-
पुण्य तिथि पर दी गई टिप्पणी मे दिये गए विचार इनके सम्पूर्ण चरित्र,स्वभाव,कार्यशैली,मनोदशा,पारिवारिक संस्कार,सामाजिक सोहबत,दूसरों को बेवकूफ समझने की पृवृति आदि का खुलासा करने के लिए पर्याप्त हैं। टिप्पणियाँ डिलीट करने मे माहिर यह साहब अब यदि डिलीट भी करते हैं तो वह यहाँ भी सुरक्षित कर ली है।
"समझो , मानो -
वह दुश्मन होकर भी दुश्मन नहीं
क्योंकि तुम्हारी पोटली को फाड़ने के उपक्रम में
उसने तुम्हारी पोटली से
कई विषैलों को बेनकाब कर
बाहर कर दिया"
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गुरूजी प्रणाम - पढ़ने के बाद अजब सा लगा | पर अपनी बुद्धिमता , कुशलता और दूरदर्शिता से परख करनी पड़ेगी |
जवाब देंहटाएंयहाँ से बहुत कुछ चुरा(नेग में) कर ले जा रही हूँ ... भाई :)
जवाब देंहटाएंविभा जी चुराने की कोई बात ही नहीं है,ब्लाग पर प्रकाशित होते ही सार्वजनिक है बहुत शौक से लीजिये। वैसे भी हमारे यहाँ छिपाव-दुराव का कोई लेखन नहीं है जो आपके या और भी किसी के लेने से कोई घबराहट हो। हम आपके प्रयास की सराहना व स्वागत करते हैं।
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