-अग्र मंत्र,आगरा - मई-जुलाई-2004 |
फेसबुक,10-10-2012 |
फेसबुक,06-10-2012 |
आज के इन्टरनेट के युग मे फेसबुक पर Frend=मित्र=दोस्त का चलन है लेकिन यहाँ भी आदरणीय राजेन्द्र मोहन शेरी साहब की 'बाल कहानी-डेढ़ दोस्त' पूरी तरह सटीक बैठती है। रिश्तों की बात करें तो राजेन्द्र मोहन शेरी साहब हमारे मामाजी लगते हैं (उनके छोटे बहनोई विष्णु दयाल माथुर साहब हमारी नानीजी के चचेरे भाई के सुपुत्र हैं )। किन्तु राजेन्द्र जी और इनके बड़े भाई साहब ने खुद को मुझसे भाई साहब कहलवाया । आगरा मे इन लोगों के कई विद्यालय हैं और इनके आग्रह पर ही कमला नगर स्थित इनके 'एम एम शेरी कन्या विद्यालय' मे मैंने यशवन्त को दाखिल करवाया था जहां उसने के जी से हाईस्कूल तक शिक्षा प्राप्त की । इंटर्मेडिएट मे दयालबाग के राजेन्द्र जी के बताए कालेज मे ही पढ़वाया।
एम एम शेरी इंटर कालेज,शहज़ादी मंडी से रिटायर्ड प्रिंसपल राजेन्द्र जी प्रबन्धक की हेसियत से कमला नगर के विद्यालय मे आते रहते थे। अक्सर मै उनसे मिलने चला जाता था। वह अपने तजुर्बों के आधार पर बहुत सी ऐसी बातें बताते रहते थे जो केवल बच्चों के लिए ही नहीं बड़ों के लिए भी शिक्षाप्रद हैं। 'डेढ़ दोस्त' भी ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है जिसे मैंने सहायक सम्पादक की हेसियत से 'अग्र मंत्र,आगरा - मई-जुलाई-2004' मे प्रकाशित करवाया था। बाल ब्लागर -अक्षिता (पाखी )के ब्लाग पर एक टिप्पणी के रूप मे भी इसे उद्धृत किया था। अब अपने इस ब्लाग मे भी इसे प्रकाशित करने की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई कि फेसबुक पर अधिकांश लोग और ब्लाग्स पर भी संवेदन हींन हैं किन्तु कुछ गिने-चुने लोग इन दोनों माध्यम मे भी वाकई गंभीर हैं।
ऊपर आदरणीय अफलातून जी और डॉ सुनीता द्वारा फेसबुक पर यशवन्त की वाल पर दी गई टिप्पणियाँ उद्धृत की हैं जिनमे कृतज्ञता व्यक्त की गई है। अफलातून जी बुजुर्ग विद्वान हैं और सुनीता जी आधुनिक एवं युवा विद्वान हैं लेकिन शिष्टाचार का पालन करना दोनों ने अपना फर्ज समझा। सामान्यतः मैं 'नई -पुरानी हलचल' पर यशवन्त को कोई मदद नहीं करता हूँ परंतु कभी-कभी कुछ विशिष्ट पोस्ट्स लगाने की उसे सिफ़ारिश कर देता हूँ। अफलातून जी और सुनीता जी की पोस्ट्स भी प्रारम्भ मे मैंने उसे बता दी थीं और अब वह स्वतः ही उनके ब्लाग्स देख कर चयन कर लेता है।
इसी क्रम मे पूर्व मे मैंने सविता सिंह जी,श्याम बिहारी श्यामल जी,डॉ मोहन श्रोतरीय जी,डॉ सरोज मिश्रा जी,मदन तिवारी जी,'रश्मी प्रभा साहिबा एवं सोनिया बहुखंडी गौड़ साहिबा' के ब्लाग्स भी यशवन्त को बताए थे। इनमे अंतिम दो साहिबाओं ने यशवन्त से अनेक प्रकार की मदद हासिल की और मुझसे भी 4-4 कुंडलियों का विश्लेषण निशुल्क हासिल किया। शिष्टाचार से कोसों दूर दोनों साहिबाओं ने यशवन्त और मेरे विरुद्ध फेसबुक एवं ब्लाग जगत मे घृणित प्रचार चला कर अपनी 'एहसान फरामोशी' का परिचय दिया जिसमे IBN7 के तिकड़मी पत्रकार ब्लागर ने आग मे घी का कार्य किया । ऐसे मे अफलातून जी एवं सुनीता जी द्वारा यशवन्त को दिया गया धन्यवाद उसके लिए 'आशीर्वाद' स्वरूप है। उनकी बात पर ही राजेन्द्र मोहन जी की 'डेढ़ दोस्त' कहानी एक बार फिर याद आ गई और उसे आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर दिया।
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