सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

यादों के झरोखे से -61 वर्ष (भाग-3 )---विजय राजबली माथुर

पिछले भाग-2- से आगे......... 

जब मैंने इस ब्लाग का प्रारम्भ किया था तब मेरा विचार नितांत व्यक्तिगत-घरेलू बातों से परहेज रखने का था और इसी लिए इन बातों का ज़िक्र पूर्व मे नहीं किया था किन्तु हमारे लखनऊ आने के बाद भी बहन/बहनोई द्वारा हमारे लखनऊ स्थानांतरण पर सवाल उठाया गया और हद्द तो तब हो गई जब वे लोग 2011 मे हमारे घर आए। शोभा ने तो अपने भतीजे को 'कुपूत' की संज्ञा दी ही जबकि पहले वही उसे हस्तगत करना चाहती थीं। कमलेश बाबू की एक बात ने अत्यंत आश्चर्य ही नहीं प्रस्तुत किया बल्कि उन लोगों के प्रति अब कठोर निर्णय लेकर दूरी बनाने को भी मजबूर किया। इसका उल्लेख उपयुक्त अवसर पर ही करना उचित होगा। 

1995 मे जब बउआ व बाबूजी ने मुझ पर पुनर्विवाह का दबाव बनाया था तब यदि वे आगे भी जीवित रहते तो निश्चय ही बहन/बहनोई अपने खेल मे कामयाब हो जाते जैसे कि वे 1981 मे मेरे तथा 1988 मे अजय के विवाह के समय हो गए थे। चूंकि उन सब बातों का विस्तृत उल्लेख इसी ब्लाग मे हो चुका है अतः दोहराना आवश्यक नहीं है। तमाम फोटो व जन्मपत्रियाँ केवल इसलिए लौटा दी गई थीं कि वे लड़कियां शोभा की सास अर्थात कमलेश बाबू की माताजी को पसंद नहीं थीं। जिन शालिनी को उन्होने पसंद करवाया था वह उनकी रिश्तेदार की नन्द थीं। उनके घर वालों को पहले ही पता था कि,उनका जीवन-काल मात्र 35 वर्ष है। ज़रूर ही उन लोगों ने कमलेश बाबू के पिताजी को सच बता कर मदद मांगी होगी और उन लोगों ने हमारे माता-पिता से यह बात छिपाई होगी। उस वक्त मैं खुद ज्योतिष का ज्ञान होने के बावजूद  पारंगत नहीं था जिनसे हम लोग सलाह लेते थे उनको कमलेश बाबू के इशारे पर शालिनी के भाई कुक्कू (जो कमलेश बाबू के दोस्त भी थे और भतीज दामाद भी)ने खरीद लिया होगा। पंडितों के इसी बिकाऊपन के मद्दे नज़र मुझे खुद बाद मे ( धोखा खाने के बाद) मशक्कत करके  खुद ज्योतिषीय ज्ञान बढ़ाना पड़ा। आज उसी पर प्रहार पूना प्रवासी 'भ्रष्ट-धृष्ट-धूर्त-ठग ब्लागर'के माध्यम से करवाकर पोंगा पंडितवाद को संरक्षण दिया जा रहा है।

यह बेहद दुखद पहलू है कि हमारी बहन जी की आदर्श  हमारी भुआ साहिबा ने तो अपने एक बड़े भाई के खिलाफ अदालत मे मुक्कदमा भी लड़ा था और एक पोस्टमेन को खरीद कर अदालत से भेजे उनके नाम के सम्मन हड़प लिए थे और सूचना के आभाव मे वह पैरोकारी  न कर सके तथा भुआ के हक मे 'एक्स पार्टी' निर्णय हो गया। भुआ के छोटे बेटे( जो इस समय हमारे घर से एक किलो मीटर की दूरी पर मकान बनाए हुये हैं और शोभा/कमलेश बाबू के घनिष्ठ हैं)ने अपने किसी DIG मित्र के सहयोग से छल से जीते मुकदमे के आधार पर खेतों पर कब्जा लिया था। 

हमारे पिताजी ने तो अपना हक नहीं लिया था और आजीवन नौकरी के जरिये तंग हाली मे गुज़ारा किया। अतः पुश्तैनी एक चुटकी भी धूल या कंकड़ी लिए बगैर जब मैंने 15 वर्षों की किश्तों मे कमला नगर,आगरा मे आवास विकास का मकान हासिल किया तो भुआ समेत सभी रिशतेदारों को खूब चुभा था और अब सामने आया है कि बहन/बहनोई भी उन लोगों के सरताज थे। 1975 मे शोभा की शादी के बाद 1976 मे कमलेश बाबू ने शोभा के जरिये बउआ को कहलाया था कि बाबूजी दरियाबाद मे अपना हिस्सा ले लें और चूंकि मैं या अजय उसे देखने वहाँ नहीं जाएँगे तो कमलेश बाबू BHEL,हरिद्वार की नौकरी छोड़ कर दरियाबाद मे बाबूजी के प्रतिनिधि के तौर पर देखेंगे। बाबूजी,अजय और मैं इसके पक्ष मे नहीं थे अतः उनके मंसूबे पूरे नहीं हो सके और उन्होने हम भाईयों को सबक सिखाने का दृढ़ निश्चय कर उस पर अमल भी कर लिया। हम लोग उनको बहन/बहनोई मानते रहे और वे लोग हम लोगों को दुश्मन। हालांकि BHEL,झांसी से फोरमेन के रूप मे अवकाश ग्रहण करके अब प्राईवेट फर्म मे इंजीनियर भी बन गए दोनों पुत्रियों का विवाह भी कर चुके अपना मकान भी भोपाल मे बना चुके  लेकिन तब भी श्वसुर की संपत्ति कैसे हस्तगत करें (जबकि हम लोग उससे दूर हैं)इसी फिराक मे लगे हुये हैं। दरियाबाद मे हमारे विरुद्ध नाहक दुष्प्रचार कर दिया है कि मैं लखनऊ ,आगरा छोड़ कर इसलिए आया हूँ कि दरियाबाद मे पुश्तैनी हिस्सा कब्जे मे ले सकूँ। चकबंदी मे हम दोनों भाईयों का नाम होने के बावजूद लखनऊ आने के तीन वर्ष बीत जाने पर भी हम दरियाबाद नहीं गए हैं जबकि एक राजनीतिक कार्यक्रम मे बाराबंकी तो अभी 27 जनवरी को हो भी आए हैं। मुझे ये सूचनाएँ कमल दादा ने दी और उनकी ही बहन शैल जीजी ने तो शीघ्र ही उन दोनों का निधन हो गया है। माधुरी जीजी ने कमलेश बाबू द्वारा अपने सबसे छोटे भाई को परेशान करके ज़मीन मे हिस्सा मांगने की सूचना दी तो शीघ्र ही उनका भी निधन हो गया और कमलेश बाबू के उन छोटे भाई की दोनों आँखों की रोशनी चली गई जो खुद मैं अप्रैल 2011 मे उनकी भतीजी की शादी के समय देख आया हूँ। उसी के बाद वे लोग हमारे घर आए थे। 

ITC के कुछ शेयर बाबूजी के पास थे उनको कमलेश बाबू ने मुझे अपने नाम कराने की सलाह आगरा मे ही दी थी कि खुद को अकेला बता कर क्लेम कर दो। मैं अनैतिक कार्य नहीं कर सकता था भले ही बाबूजी की मेहनत की रकम डूब जाए तो डूब जाये। फिर उनका सुझाव था कि अजय को फरार बता दो शोभा हस्ताक्षर कर देंगी। लेकिन वकील कमलेश सिंह जी  ने उन लोगों से मिलने से मना कर दिया  तब कमलेश बाबू ने गर्दन और कंधा झटकाते हुये कहा कि वकील को मिलना तो चाहिए था। फोन पर इंकार करने के दस मिनट बाद वकील कमलेश सिंह जी की मोटर साईकिल का एकसीडेंट हो गया उनके दोनों हाथों मे प्लास्टर चढ़ाना पड़ा। इस दुर्घटना को देख कर मैंने शोभा/कमलेश बाबू से किनारा करना ही बेहतर समझा है। 

अब उन लोगों ने न केवल मूल रूप से पटना वासी और फिलहाल पूना प्रवासी ब्लागर जो उनकी छोटी बिटिया की विमान नगर मे पड़ौसन भी रही है के माध्यम से ब्लाग जगत मे मेरे व यशवन्त के विरुद्ध घृणित अभियान चलाया बल्कि उसी के माध्यम से हमारी पार्टी के एक नेता को भी उकसा रखा है। उन नेताजी का कहना है कि आजकल कोई बिना स्वार्थ के किसी को एक ग्लास पानी भी नहीं पिलाता है । वही नेताजी मुझको कहते हैं कि वह मुझे दरियाबाद मे अपना हिस्सा व हक दिला देंगे। 'मुद्दई सुस्त-गवाह चुस्त' तो कहावत सुनी  थी लेकिन बिना मांगी मदद देने को व्याकुल लोग सुने तो नहीं थे ,देखने को मिल गए। 

पूना निवासी और पटना से संबन्धित पूनम की एक रिश्तेदार के माध्यम से उन लोगों ने पूनम के घर भी हमारे विरुद्ध माहौल बनाने मे कामयाबी हासिल कर ली है और इसी वजह से सितंबर मे उनको बुलाने पटना जा कर भी हम उनके भाई के घर नहीं गए थे।कुल मिला कर उनका लक्ष्य श्रीवास्तव होने के कारण पूनम को परेशान करना है जिसमे श्रीवास्तव ब्लागर्स का ही उनको भरपूर सहयोग भी मिल रहा है। दूसरी ओर यशवन्त को परेशान करने व दबोचने के अभियान भी साथ-साथ चलाये हुये हैं।  

न ही मेरा लेखन न ही मेरी राजनीति अपने निजी स्वार्थों के लिए हैं न ही रिश्ते नाते। मैंने जीवन पर्यंत शोषण-उत्पीड़न,अत्याचार-ढोंग-पाखंड-आडंबर  का विरोध करने का बीड़ा उठाया हुआ है और बगैर भयभीत हुये डट कर समस्त परिस्थितियों का अंतिम श्वास व रक्त की अंतिम बूंद तक मुक़ाबला करता रहूँगा। 'जीवन ही संघर्ष है-संघर्ष ही जीवन है'।

Link to this post-



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

ढोंग-पाखंड को बढ़ावा देने वाली और अवैज्ञानिक तथा बेनामी टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम कर दिया गया है.असुविधा के लिए खेद है.

+Get Now!