http://vidrohiswar.blogspot.in/2013/06/blog-post_9.html
दिये गए लिंक पर मैंने 09 जून 2013 को ही लिखा था-
1)-उनके प्रवचनों का अर्थ मैंने यह तत्काल लगा लिया था कि वह मुझे परेशान करने व उखाड़ने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे।
2)- पी टी एस साहब ने तिकड़म करते हुये मेरा आई डी/पास वर्ड हासिल कर लिया तो उसका मुक़ाबला करने हेतु पास वर्ड भी तब्दील करना पड़ा एवं एक नई आई डी/पास वर्ड सार्वजनिक कार्य हेतु बनाना पड़ा।
3)-बहरहाल याह बात साफ है कि यदि मैं दिये आश्वासन की पूर्ती करता हूँ तो कितनी जोखिम उठानी पड़ेगी पी टी एस महोदय की क्या-क्या कृपा हो सकती हैं? मुझे पूर्वानुमान है।
http://vidrohiswar.blogspot.in/2013/07/blog-post.html
इस लिंक पर 03 जूलाई को लिखा था-
1)-"पी टी एस के मुझसे खफा होने का कारण मात्र इतना सा है कि उनके बड़े नेता जी ने मुझे उनकी सहायता करने को कहा है जिसे मैंने सहर्ष निस्वार्थ भाव से स्वीकार कर लिया है। पहले उन्होने इर-रिलीवेंट कहानियाँ सुना -सुना कर मुझे भयभीत करने का प्रयास किया जिसमें असफल रहने पर फिर तांत्रिक प्रक्रियाओं के सहारे से मुझे ही नहीं परिवारी जनों को भी त्रस्त करने लगे। एक रोज़ मार्ग में साईकिल में पीछे से 'उ.प्र.सचिवालय' की तख्ती लगाए कार ने टक्कर मारी तो अगले दिन एक स्कूटर ने सामने से हैंडिल में टक्कर मारी।फिर उन्होने सार्वजनिक ब्लाग में लेखन अधिकार देने के साथ-साथ एडमिन राईट्स भी दे दिये जिसके आधार पर उनके सामने मुझे अपनी आई डी से ब्लाग पोस्ट निकालने को कहा। स्व्भाविक रूप से उन्होने आई डी पासवर्ड हासिल किया होगा जिसे मैंने घर पहुँचने से पूर्व ही पुत्र के माध्यम से बदलवा लिया और वह अपने मिशन में असफल रह गए। लेकिन अब मैंने सार्वजनिक लेखन हेतु एक नई आई डी ही बना ली अतः पुनः अपने सामने उनके द्वारा पोस्ट डलवाने पर मुझे कोई दिक्कत नहीं रही किन्तु उन्होने इसके पासवर्ड से खिलवाड़ करने का प्रयास किया जिससे यह आभास हुआ कि वह मूलतः मेरी निजी आई डी का पासवर्ड हस्तगत करके मेरे ब्लाग में पूना प्रवासी ब्लागर और उसके समर्थकों के संबंध में लिखे विषय में हेरा-फेरी करके उन लोगों को साफ-साफ बचाना चाहते थे। "
2)-जो बड़े कम्युनिस्ट के रूप में स्थापित होने के बाद भी क्षुद्र ब्लागर्स के हितों के संरक्षणार्थ तांत्रिक प्रक्रियाओं का सहारा लेकर खुद को सहायता देने वाले को ही तहस-नहस कर देना चाहते हैं। यह खुद भी एक जन्मपत्री का वैवाहिक विश्लेषण मुझसे प्राप्त कर चुके हैं।
http://vidrohiswar.blogspot.in/2013/08/13.html
इस लिंक पर लिखा था-
1)-मैंने एजेंडा से बाहर के उस प्रस्ताव को जो अध्यक्ष की अनुमति के बिना ही रखा गया था मीटिंग -मिनिट्स में दर्ज ही नहीं किया था। अतः घोटालू साहब की योजना ध्वस्त हो रही थी जिस कारण वह बौखला गए थे और मेरी कुर्सी में लातें ठेलते-ठेलते मेरे पैरों पर भी ठोकर मारने लगे और दबाव डालने लगे कि मैं उस अवैध प्रस्ताव को मिनिट्स में दर्ज करूँ जबकि मीटिंग संचालक एवं अध्यक्ष ने और संपादक महोदय ने भी मुझसे न लिखने पर कोई आपत्ति न की थी। घोटालू साहब की अभद्रता की इंतिहा तब हो गई जब वह मेरे पेट में उंगली भोंक कर लिखने का दबाव बनाने लगे। मैंने पूरी तरह घोटालू साहब और उनके दुष्कृत्यों की उपेक्षा कर दी।
2)-वस्तुतः पूना प्रवासी भृष्ट-धृष्ट -निकृष्ट-ठग ब्लागर की एक साथी घोटालू साहब की भाभी होती हैं जिनका ताल्लुक हमारे गृह ज़िले से है और वही घोटालू साहब के परम मित्र एक राजनीतिक दल के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष की भी रिश्तेदार हैं जिनको घोटालू साहब ने एक पूर्व विधायक के अतिरिक्त हमें परेशान करने हेतु लगाया था। इन सबके सम्मिलित प्रयासों के बावजूद मैंने घुटने नहीं टेके तो घोटालू साहब अब निकृष्टत्तम धूर्तता पर उतर आए हैं।
http://vidrohiswar.blogspot.in/2013/08/blog-post_18.html
इस लिंक पर लिखा था-
"भृष्ट-धृष्ट ब्लागर और उसके साथी ब्लागर्स तथा घोटालू साहब मेरे ज्योतिषीय विश्लेषणों को गलत साबित करके 'पोंगापंथी-ढ़ोंगी-ठग व लुटेरे' लोगों का बचाव करना चाहते हैं जो जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ते हैं। ये लोग शोषकों-उतपीडकों/व्यापारियों/उद्योगपतियों के दलाल हैं और उनके ही दूसरे ढ़ोंगी-पोंगापंथी दलालों का संरक्षण करने हेतु मुझ पर प्रहार करवा रहे हैं।"
http://vidrohiswar.blogspot.in/2013/09/1.html
इस अंक में लिखा था-
13 जूलाई को उसी शख्स ने मीटिंग के दौरान मेरे कुर्सी पर,पैरों पर अपने पैरों से और मेरे पेट पर अपनी उंगली से प्रहार किए थे। उसी की कारगुजारी के कारण मुझे 18 वर्ष बाद बाहर के डाक्टर का आसरा लेकर पुत्र का इलाज करना पड़ा। तब से अब तक परिवार के सभी सदस्यों के इलाज पर लगभग रु 2000/-फिजूल खर्च हो चुके है। इस नए रमेश कटारा ने अपने मित्र एक दूसरे दल के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष के माध्यम से मुझे पार्टी से अलग करवाने का विफल प्रयास किया था और अब सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ लोगों को मेरी छवी खराब करने के अभियान में लगाया है।
============*****====================
मैंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ब्लाग में 04 जून 2013 को पहली पोस्ट दी थी और कल दिनांक 09 सितंबर 2013 की पोस्ट देने के बाद उन तिकड़मी महोदय ने मुझे लेखन अधिकार से वंचित कर दिया है। 04 जून तक ब्लाग फालोर्स की संख्या छह वर्षों में कुल 50 थी और 09 सितंबर तक कुल 68 अर्थात जहां छह वर्षों में पार्टी ब्लाग का प्रचार नहीं किया गया था वहीं मेरे प्रयत्नों से 95 दिनों में कुल 18 नए फालोर्स बढ़ गए थे। पिछले छह वर्षों में प्रदेश पार्टी सचिव को ब्लाग से दूर रखा गया था किन्तु मैंने प्रदेश पार्टी सचिव एवं सहायक सचिव को भी ब्लाग लेखन में एडमिन बनवा दिया था। शायद यह बात भी अहंकारी प्रदीप तिवारी साहब को अखरी होगी इसी लिए मुझे लेखन अधिकार से वंचित कर दिया -उनकी तानाशाही उनको मुबारक। हो सकता है कि अब वह मुझे पार्टी से निकलवाने का भी उपक्रम करें।
उनको तो पार्टी पोस्ट से आय होती है लेकिन मैं सार्वजनिक किसी भी संस्था और पार्टी के जरिये कभी भी कोई कमाई नहीं करता रहा हूँ इसलिए मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं अपने निजी 5 और पत्नी का एक कुल 6 ब्लाग पहले से ही संचालित कर रहा हूँ इसलिए पार्टी ब्लाग से हटाये जाने के लिए प्रदीप तिवारी साहब का शुक्रिया अदा करता हूँ।
दिये गए लिंक पर मैंने 09 जून 2013 को ही लिखा था-
1)-उनके प्रवचनों का अर्थ मैंने यह तत्काल लगा लिया था कि वह मुझे परेशान करने व उखाड़ने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे।
2)- पी टी एस साहब ने तिकड़म करते हुये मेरा आई डी/पास वर्ड हासिल कर लिया तो उसका मुक़ाबला करने हेतु पास वर्ड भी तब्दील करना पड़ा एवं एक नई आई डी/पास वर्ड सार्वजनिक कार्य हेतु बनाना पड़ा।
3)-बहरहाल याह बात साफ है कि यदि मैं दिये आश्वासन की पूर्ती करता हूँ तो कितनी जोखिम उठानी पड़ेगी पी टी एस महोदय की क्या-क्या कृपा हो सकती हैं? मुझे पूर्वानुमान है।
http://vidrohiswar.blogspot.in/2013/07/blog-post.html
इस लिंक पर 03 जूलाई को लिखा था-
1)-"पी टी एस के मुझसे खफा होने का कारण मात्र इतना सा है कि उनके बड़े नेता जी ने मुझे उनकी सहायता करने को कहा है जिसे मैंने सहर्ष निस्वार्थ भाव से स्वीकार कर लिया है। पहले उन्होने इर-रिलीवेंट कहानियाँ सुना -सुना कर मुझे भयभीत करने का प्रयास किया जिसमें असफल रहने पर फिर तांत्रिक प्रक्रियाओं के सहारे से मुझे ही नहीं परिवारी जनों को भी त्रस्त करने लगे। एक रोज़ मार्ग में साईकिल में पीछे से 'उ.प्र.सचिवालय' की तख्ती लगाए कार ने टक्कर मारी तो अगले दिन एक स्कूटर ने सामने से हैंडिल में टक्कर मारी।फिर उन्होने सार्वजनिक ब्लाग में लेखन अधिकार देने के साथ-साथ एडमिन राईट्स भी दे दिये जिसके आधार पर उनके सामने मुझे अपनी आई डी से ब्लाग पोस्ट निकालने को कहा। स्व्भाविक रूप से उन्होने आई डी पासवर्ड हासिल किया होगा जिसे मैंने घर पहुँचने से पूर्व ही पुत्र के माध्यम से बदलवा लिया और वह अपने मिशन में असफल रह गए। लेकिन अब मैंने सार्वजनिक लेखन हेतु एक नई आई डी ही बना ली अतः पुनः अपने सामने उनके द्वारा पोस्ट डलवाने पर मुझे कोई दिक्कत नहीं रही किन्तु उन्होने इसके पासवर्ड से खिलवाड़ करने का प्रयास किया जिससे यह आभास हुआ कि वह मूलतः मेरी निजी आई डी का पासवर्ड हस्तगत करके मेरे ब्लाग में पूना प्रवासी ब्लागर और उसके समर्थकों के संबंध में लिखे विषय में हेरा-फेरी करके उन लोगों को साफ-साफ बचाना चाहते थे। "
2)-जो बड़े कम्युनिस्ट के रूप में स्थापित होने के बाद भी क्षुद्र ब्लागर्स के हितों के संरक्षणार्थ तांत्रिक प्रक्रियाओं का सहारा लेकर खुद को सहायता देने वाले को ही तहस-नहस कर देना चाहते हैं। यह खुद भी एक जन्मपत्री का वैवाहिक विश्लेषण मुझसे प्राप्त कर चुके हैं।
http://vidrohiswar.blogspot.in/2013/08/13.html
इस लिंक पर लिखा था-
1)-मैंने एजेंडा से बाहर के उस प्रस्ताव को जो अध्यक्ष की अनुमति के बिना ही रखा गया था मीटिंग -मिनिट्स में दर्ज ही नहीं किया था। अतः घोटालू साहब की योजना ध्वस्त हो रही थी जिस कारण वह बौखला गए थे और मेरी कुर्सी में लातें ठेलते-ठेलते मेरे पैरों पर भी ठोकर मारने लगे और दबाव डालने लगे कि मैं उस अवैध प्रस्ताव को मिनिट्स में दर्ज करूँ जबकि मीटिंग संचालक एवं अध्यक्ष ने और संपादक महोदय ने भी मुझसे न लिखने पर कोई आपत्ति न की थी। घोटालू साहब की अभद्रता की इंतिहा तब हो गई जब वह मेरे पेट में उंगली भोंक कर लिखने का दबाव बनाने लगे। मैंने पूरी तरह घोटालू साहब और उनके दुष्कृत्यों की उपेक्षा कर दी।
2)-वस्तुतः पूना प्रवासी भृष्ट-धृष्ट -निकृष्ट-ठग ब्लागर की एक साथी घोटालू साहब की भाभी होती हैं जिनका ताल्लुक हमारे गृह ज़िले से है और वही घोटालू साहब के परम मित्र एक राजनीतिक दल के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष की भी रिश्तेदार हैं जिनको घोटालू साहब ने एक पूर्व विधायक के अतिरिक्त हमें परेशान करने हेतु लगाया था। इन सबके सम्मिलित प्रयासों के बावजूद मैंने घुटने नहीं टेके तो घोटालू साहब अब निकृष्टत्तम धूर्तता पर उतर आए हैं।
http://vidrohiswar.blogspot.in/2013/08/blog-post_18.html
इस लिंक पर लिखा था-
"भृष्ट-धृष्ट ब्लागर और उसके साथी ब्लागर्स तथा घोटालू साहब मेरे ज्योतिषीय विश्लेषणों को गलत साबित करके 'पोंगापंथी-ढ़ोंगी-ठग व लुटेरे' लोगों का बचाव करना चाहते हैं जो जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ते हैं। ये लोग शोषकों-उतपीडकों/व्यापारियों/उद्योगपतियों के दलाल हैं और उनके ही दूसरे ढ़ोंगी-पोंगापंथी दलालों का संरक्षण करने हेतु मुझ पर प्रहार करवा रहे हैं।"
http://vidrohiswar.blogspot.in/2013/09/1.html
इस अंक में लिखा था-
13 जूलाई को उसी शख्स ने मीटिंग के दौरान मेरे कुर्सी पर,पैरों पर अपने पैरों से और मेरे पेट पर अपनी उंगली से प्रहार किए थे। उसी की कारगुजारी के कारण मुझे 18 वर्ष बाद बाहर के डाक्टर का आसरा लेकर पुत्र का इलाज करना पड़ा। तब से अब तक परिवार के सभी सदस्यों के इलाज पर लगभग रु 2000/-फिजूल खर्च हो चुके है। इस नए रमेश कटारा ने अपने मित्र एक दूसरे दल के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष के माध्यम से मुझे पार्टी से अलग करवाने का विफल प्रयास किया था और अब सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ लोगों को मेरी छवी खराब करने के अभियान में लगाया है।
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मैंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ब्लाग में 04 जून 2013 को पहली पोस्ट दी थी और कल दिनांक 09 सितंबर 2013 की पोस्ट देने के बाद उन तिकड़मी महोदय ने मुझे लेखन अधिकार से वंचित कर दिया है। 04 जून तक ब्लाग फालोर्स की संख्या छह वर्षों में कुल 50 थी और 09 सितंबर तक कुल 68 अर्थात जहां छह वर्षों में पार्टी ब्लाग का प्रचार नहीं किया गया था वहीं मेरे प्रयत्नों से 95 दिनों में कुल 18 नए फालोर्स बढ़ गए थे। पिछले छह वर्षों में प्रदेश पार्टी सचिव को ब्लाग से दूर रखा गया था किन्तु मैंने प्रदेश पार्टी सचिव एवं सहायक सचिव को भी ब्लाग लेखन में एडमिन बनवा दिया था। शायद यह बात भी अहंकारी प्रदीप तिवारी साहब को अखरी होगी इसी लिए मुझे लेखन अधिकार से वंचित कर दिया -उनकी तानाशाही उनको मुबारक। हो सकता है कि अब वह मुझे पार्टी से निकलवाने का भी उपक्रम करें।
उनको तो पार्टी पोस्ट से आय होती है लेकिन मैं सार्वजनिक किसी भी संस्था और पार्टी के जरिये कभी भी कोई कमाई नहीं करता रहा हूँ इसलिए मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं अपने निजी 5 और पत्नी का एक कुल 6 ब्लाग पहले से ही संचालित कर रहा हूँ इसलिए पार्टी ब्लाग से हटाये जाने के लिए प्रदीप तिवारी साहब का शुक्रिया अदा करता हूँ।
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