(आज लखनऊ वापिस लौटे हुए एक वर्ष पूर्ण हो चुका है और यहाँ की धरती पर उतरते ही भस्मासुरों से संघर्ष प्रारंभ हो गया जो अब भी जारी है . ये एहसान फरामोश लोग हैं और इनका उल्लेख मात्र सूचनात्मक है वर्णन तो क्रमानुसार ही होगा).
डा.दिव्या की दिव्य शक्ति
quick and fast decision but slow and steady action का अनुगामी होने के कारण मैंने उपरोक्त अनुच्छेद तक लिख-लिखवा कर इस पोस्ट को सेव करा रखा था,इसी बीच बैंकाक में प्रवास कर रही डा.दिव्या श्रीवास्तव ''ZEAL" का एक पूरा पोस्ट मेरे पुत्र यशवंत पर आ गया जिस में हम दोनों का भी उल्लेख है.पढ़ कर ऐसा लगा कि डा.दिव्या के पास कोई दिव्य दृष्टि व शक्ति अवश्य ही है जो उन्होंने पूर्वानुमान के आधार पर पहल कर दी.डा.दिव्या ''क्रन्तिस्वर'' पर जब पहली बार आयीं तो तुरंत Follower भी बन गयीं उस के बाद उन्होंने तो तुरंत ''विद्रोहीस्वर'' तथा यशवंत के ब्लौग ''जो मेरा मन कहे''को भी follow कर लिया.उनके पोस्ट्स में कुछ न कुछ ऐसा तथ्य होता ही है कि उस पर अपने विचार भी देने होते हैं.कभी कभी उन पर अनर्गल टिप्पणियाँ देख कर जो लोग न समझ कर या जान बूझ कर वैसा कर रहे होते हैं उन्हें स्पष्ट करने हेतु भी पुनः पुनः विचार देने पड़े हैं.मात्र इतने भर पर ही डा.दिव्या ने हमलोगों को जो मान सम्मान दिया है उसे बनाए रखने का पूरा प्रयास हम करेंगे.डा.दिव्या से बहुत ज्ञान वृद्धि हमारी भी हुई है.हम उनके सम्पूर्ण परिवार के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं.
श्रीमती वीना श्रीवास्तव
हमारे ही दरियाबाद की वीना जी जो लखनऊ में ही रही हैं की भी यशवंत पर विशेष कृपा रही है.उन्होंने न केवल यशवंत के बल्कि मेरे भी ब्लौग को फोलो किया है.स्वयं अच्छी -२ कविताओं से ज्ञान वर्धन करती रहती हैं. उनका कहना हमारे ज्योतिष के अनुसार सही है.वस्तुतः पूर्व जन्म के संचित कर्म-फल ही इस जन्म का प्रारब्ध या भाग्य कहलाते हैं.वीना जी के पिता जी ने भी मेरे पिता जी की ही भांति अपनी दरियाबाद की जायदाद ठुकरा दी और आत्म निर्भर रहे.हमारे और उनके बीच यह बात समान है.उनके समस्त परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए हमारी शुभ कामनाएं.
इसी क्रम में लखनऊ से सम्बंधित अल्पना वर्मा जी के आबुधाबी से लिखे पोस्ट्स ''पाखी''के माध्यम से पढ़े;उनके दोनों ब्लोग्स जानकारी का खजाना हैं जिनका अध्ययन धीरे धीरे करंगे और कुछ नया ज्ञान प्राप्त करेंगे.लखनऊ के ही डाक्टर डंडा लखनवी साहब की रचनाएं भी ज्ञानवर्धक हैं.''ज्योतिषियों और वैज्ञानिकों की नोंक झोंक '' शीर्षक में उन्होंने यथार्थ चित्रण किया है,मैं उन से सहमत हूँ और अपने पोस्ट्स-''ज्योतिष और हम''तथा ''ढोंग पाखण्ड और ज्योतिष ''में लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर चुका हूँ.
आशीष जी को आशीष
डाक्टर दिव्या जी ने संस्कारों की बात उठाई है तब मेरठ वासी और वर्तमान में जालंधर में रह रहे आशीष जी का ज़िक्र किये बगैर इस पोस्ट का समापन नहीं किया जा सकता.आशीष जी दो वर्ष पूर्व मेरठ के बिग बाज़ार में यशवंत को मिले थे.यशवंत ने अपनी ड्यूटी सही ढंग से निभाई और उनकी माता जी को सहयोग दिया तभी से उनकी उस पर विशेष कृपा रही है.परन्तु मेरे ब्लौग पर आकर जो मान सम्मान मुझे उन्होंने व्यक्त किया है वह भी उनके परिवार के सुसंस्कारों का ही प्रभाव दर्शाता है.वह अपने परिवार सहित इसके लिए धन्यवाद के पात्र हैं.
४९ वर्षों के बाद दोबारा लखनऊ आने पर एक वर्ष के भीतर ही योग्य -अनुभवी लोगों के विचारों से हमारी जो ज्ञान वृद्धी हुई,उसके लिए सबके आभारी हैं.
Typist -यश(वन्त)
लखनऊ से सम्बंधित दो ब्लोगर्स -१.श्रीमती (डाक्टर )दिव्या श्रीवास्तव २.श्रीमती वीणा श्रीवास्तव से परिचय और विशेष कर मुंबई से सम्बंधित आचार्य संस्कृत आर्य से संपर्क ब्लॉग लेखन की विशिष्ट उपलब्धि कहे जा सकते हैं .पोर्ट ब्लेयर की पाखी और दिल्ली के माधव जैसे छोटे -२ बच्चों ने जब खुद आकर मेरे ब्लॉग पर दस्तक दी तो उनसे परिचय हो कर जी खुश हो गया .यह सब लखनऊ आगमन पर ही संभव हुआ है .
"क्रांति स्वर'' और "विद्रोही स्वर'' दो अख़बार निकालने की तमन्ना थी,अब ये ब्लॉग के रूप में आप के समक्ष है.
हमने ब्लॉग लेखन ''स्वान्तः सुखाय और सर्व जन हिताय'' प्रारंभ किया है.यदि हमारे विचारों -सुझावों से कुछ थोड़े से लोग भी लाभ उठा सकें तो हमारा प्रयास सार्थक है .सार्थकता टिप्पणियों और उनकी संख्या पर निर्भर नहीं है.न तो विपरीत टिप्पणियों से हम हतोत्साहित होंगे न ही प्रशंसक टिप्पणियों से खुश होंगे .हमने जो ज्ञान अर्जित किया है;वह कोई कंजूस का धन नहीं है जो उसे छिपा कर रखा जाये .हमारा ज्ञान किसी गुरु की अनुकंपा पर भी प्राप्त नहीं हुआ है बल्कि यह संघर्षों द्वारा उपार्जित ज्ञान है.१७८९ ई. की फ़्रांसीसी राज्य क्रांति के प्रणेता जीन जेक रूसो से एक बार जब पूछा गया कि आपने किस विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की है तो उनका उत्तर था -''I have studied in the university of difficulties '' आज हम स्वतंत्रता ,समता और भ्रातृत्व वाले जिस लोकतंत्र में हैं वह रूसो के विचारों से ही सामने आया है .
हमारा देश ११ या १२ सौ वर्षों की गुलामी के बाद अभी ६३ वर्ष पूर्व ही आज़ाद हुआ है और अभी भी लोगों की गुलामी वाली मानसिकता बरकरार है.लोग गुलामी के प्रतीकों से उसी प्रकार चिपके हुए हैं जिस प्रकार बंदरिया अपने मरे बच्चे की खाल को चिपकाये घूमती है.क्रान्तिस्वर में सामजिक,राजनीतिक,धार्मिक,आध्यात्मिक और ज्योतिष संबंधी जानकारी आप लोगों के बीच बांटने की कोशिश कर रहे हैं.विद्रोही स्वर में संघर्षों की कहानी है.
अन्य ब्लॉगर्स से संपर्क कराने में सर्वप्रथम भूमिका सुरेन्द्र सिंह भाम्बू जी के Aggrigator ''लक्ष्य''की है.उसके बाद जो ब्लॉगर्स हमारे संपर्क में आये उनके विचारों से अवगत होने के अवसर मिल रहे हैं.संकृत आर्य जी के माध्यम से छत्तीसगढ़ के पत्रकारिता छोड़कर ब्लौगर बने साहब के विचारों से भी संपर्क हुआ.कुछ ब्लॉगर्स दूसरों पर व्यक्तिगत आक्षेप करते हैं जो अनुचित है.किन्तु कुछ लोगों की आदत विरोध के लिए विरोध करना ही है वैसी टिप्पणियाँ भी हमें सन्मार्ग से विचलित नहीं कर सकतीं,अतः उनका भी स्वागत है.
डा.दिव्या की दिव्य शक्ति
quick and fast decision but slow and steady action का अनुगामी होने के कारण मैंने उपरोक्त अनुच्छेद तक लिख-लिखवा कर इस पोस्ट को सेव करा रखा था,इसी बीच बैंकाक में प्रवास कर रही डा.दिव्या श्रीवास्तव ''ZEAL" का एक पूरा पोस्ट मेरे पुत्र यशवंत पर आ गया जिस में हम दोनों का भी उल्लेख है.पढ़ कर ऐसा लगा कि डा.दिव्या के पास कोई दिव्य दृष्टि व शक्ति अवश्य ही है जो उन्होंने पूर्वानुमान के आधार पर पहल कर दी.डा.दिव्या ''क्रन्तिस्वर'' पर जब पहली बार आयीं तो तुरंत Follower भी बन गयीं उस के बाद उन्होंने तो तुरंत ''विद्रोहीस्वर'' तथा यशवंत के ब्लौग ''जो मेरा मन कहे''को भी follow कर लिया.उनके पोस्ट्स में कुछ न कुछ ऐसा तथ्य होता ही है कि उस पर अपने विचार भी देने होते हैं.कभी कभी उन पर अनर्गल टिप्पणियाँ देख कर जो लोग न समझ कर या जान बूझ कर वैसा कर रहे होते हैं उन्हें स्पष्ट करने हेतु भी पुनः पुनः विचार देने पड़े हैं.मात्र इतने भर पर ही डा.दिव्या ने हमलोगों को जो मान सम्मान दिया है उसे बनाए रखने का पूरा प्रयास हम करेंगे.डा.दिव्या से बहुत ज्ञान वृद्धि हमारी भी हुई है.हम उनके सम्पूर्ण परिवार के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं.
श्रीमती वीना श्रीवास्तव
हमारे ही दरियाबाद की वीना जी जो लखनऊ में ही रही हैं की भी यशवंत पर विशेष कृपा रही है.उन्होंने न केवल यशवंत के बल्कि मेरे भी ब्लौग को फोलो किया है.स्वयं अच्छी -२ कविताओं से ज्ञान वर्धन करती रहती हैं. उनका कहना हमारे ज्योतिष के अनुसार सही है.वस्तुतः पूर्व जन्म के संचित कर्म-फल ही इस जन्म का प्रारब्ध या भाग्य कहलाते हैं.वीना जी के पिता जी ने भी मेरे पिता जी की ही भांति अपनी दरियाबाद की जायदाद ठुकरा दी और आत्म निर्भर रहे.हमारे और उनके बीच यह बात समान है.उनके समस्त परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए हमारी शुभ कामनाएं.
इसी क्रम में लखनऊ से सम्बंधित अल्पना वर्मा जी के आबुधाबी से लिखे पोस्ट्स ''पाखी''के माध्यम से पढ़े;उनके दोनों ब्लोग्स जानकारी का खजाना हैं जिनका अध्ययन धीरे धीरे करंगे और कुछ नया ज्ञान प्राप्त करेंगे.लखनऊ के ही डाक्टर डंडा लखनवी साहब की रचनाएं भी ज्ञानवर्धक हैं.''ज्योतिषियों और वैज्ञानिकों की नोंक झोंक '' शीर्षक में उन्होंने यथार्थ चित्रण किया है,मैं उन से सहमत हूँ और अपने पोस्ट्स-''ज्योतिष और हम''तथा ''ढोंग पाखण्ड और ज्योतिष ''में लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर चुका हूँ.
आशीष जी को आशीष
डाक्टर दिव्या जी ने संस्कारों की बात उठाई है तब मेरठ वासी और वर्तमान में जालंधर में रह रहे आशीष जी का ज़िक्र किये बगैर इस पोस्ट का समापन नहीं किया जा सकता.आशीष जी दो वर्ष पूर्व मेरठ के बिग बाज़ार में यशवंत को मिले थे.यशवंत ने अपनी ड्यूटी सही ढंग से निभाई और उनकी माता जी को सहयोग दिया तभी से उनकी उस पर विशेष कृपा रही है.परन्तु मेरे ब्लौग पर आकर जो मान सम्मान मुझे उन्होंने व्यक्त किया है वह भी उनके परिवार के सुसंस्कारों का ही प्रभाव दर्शाता है.वह अपने परिवार सहित इसके लिए धन्यवाद के पात्र हैं.
४९ वर्षों के बाद दोबारा लखनऊ आने पर एक वर्ष के भीतर ही योग्य -अनुभवी लोगों के विचारों से हमारी जो ज्ञान वृद्धी हुई,उसके लिए सबके आभारी हैं.
Typist -यश(वन्त)
Link to this post-
.
जवाब देंहटाएंआदरणीय विजय जी,
इतना बढ़िया लेख आपके सुन्दर और भावुक मन की परिचायक है। विभिन्न ब्लॉग के लेखों पर आपके कमेंट्स में इमानदारी, सच्चाई एवं निर्भीकता दिखती है। बहुत से विषयों पर आपके कमेंट्स में ढेरों जानकारी मिलती है जो अक्सर किताबों में उपलब्ध नहीं होती। सभी विषयों में ख़ास कर आजादी के दीवानों , महापुरुषों और शहीदों के बारे में आपका ज्ञान अद्भुत है। आपके अन्दर राष्ट्र के लिए असीम प्यार दीखता है।
विजय जी, मैंने अपने जीवन में आप जैसे निष्पक्ष, इमानदार और संवेदनशील व्यक्ति कम ही देखे हैं। आप के ब्लॉग पर बहुत कुछ नया सीखने को मिलता है। आपने जो स्नेह मुझे दिया है, उसके लिए आपकी आभारी हूँ।
वीना जी मेरी बहुत अच्छी मित्र है , उनकी रचनाओं से बहुत प्रभावित हूँ। आशीष जी एवं वीना जी की नियमित पाठक हूँ। पाखी एवं माधव के ब्लॉग निसंदेह सराहनीय हैं।
इस सुन्दर लेख के लिए आपका आभार विजय जी।
नवरात्री की शुभकामनाओं के साथ ,
दिव्या
.
आपका सफ़र सतत चलता रहे, सफलता मिलती रहे, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंयही जीवन का फलसफा है...हर मोड़ पर न जाने कितनों से टकराती है...काफी अच्छा लिखते हैं आप.
जवाब देंहटाएंपहले तो देरी के लिए मुआफी...आपने बहुत अच्छा लिखा है साथ ही हम ब्लॉगर मित्रों का जो मान बढ़ाया है उसके लिए क्या कहूं...इतना कुछ तभी लिखा जा सकता है जब आप खुद किसी के बारे में सोचें और उसकी बातों पर ध्यान दें। ऐसा कहां होता है लोग मिलते हैं फिर आंखों से ओझल भी हो जाते हैं, कौन किसको याद रखता है।
जवाब देंहटाएंसबके बारे में जो आपने लिखा है वाकई प्रशंसा के काबिल है। आप जो लिखते है वो ज्ञानवर्धक तो होता ही है, आप इतना बारीकी से अध्ययन भी करते हैं ये भी पता चल गया..यह आपकी खूबी है। आपके लिए और कुछ नहीं कह सकती...शब्द शायद कम पड़ जाएं। दिव्या जी तो खैर लिखती ही अच्छा हैं। बच्चो के ब्लॉग भी छाए ही रहते हैं....बस धन्यवाद