सब समय करे नर क्या करे ,समय बड़ा बलवान .
समय सब पर असर करे ,क्या पशु -परिंदा क्या इंसान ..
किसी दूरदर्शी कवि ने बिलकुल ही ठीक यह कहा है .कभी -कभी हम चाह कर भी वह नहीं कर पाते जो हम करना चाहते हैं .समय कुछ और ही करा देता है .दरअसल मै मोडरेशन क़े खिलाफ था और हूँ ,लेकिन खुद अपने दोनों ब्लाग्स पर मोडरेशन लगाने पर बाध्य हुआ हूँ .माओत्सेतुंग का कहना है कि ,दस कदम आगे बढ़ कर आठ कदम पीछे लौटना पीछे हटना नहीं कहलाता .युद्ध शास्त्र (milatary -science ) क़े नियमों में भी रण-नीति क़े तहत अपनी फौजों को पीछे हटने का आदेश देना पड़ जाता है .एक वयोवृद्ध इंजीनियर सा : क़े सानिध्य से कुछ ब्लोगर्स में जो जूतम -पैजार चली और उनके ब्लाग्स पर जो गन्दगी फ़ैली ,वैसे ही हादसे से बचने क़े लिए मोडरेशन लागू करना ही एकमात्र उपाय बचता था .हमारा यह ब्लॉग तो अपने संघर्षों का इतिहास ही है .उस पर ढोंग -पाखण्ड भरा पूरा का पूरा एक लेख टिप्पणी कालम में किन्ही बेनामी सा :ने चस्पा कर दिया ,वहां से हटा दिया तो दूसरे ब्लाग क्रांति -स्वर पर वह लेख लगा दिया गया .इसलिए मजबूरन मोडरेशन का ही सहारा लेना पड़ा ;आखिर ब्लाग पर गन्दगी फ़ैलाने और बे -वजह क़े झगडे में उलझने से तो यही बेहतर जो है .
आखिर ३१ वर्ष अपने मकान में रहने और आगरा में उसे बेच कर लखनऊ आने पर सवा माह किराये क़े घर में जो रहे थे उससे निजात मिले एक वर्ष बीतने को है .हालाँकि पूरा समय संघर्षों भरा रहा है और संघर्ष जारी है -दरअसल संघर्ष ही जीवन है .मानव क़े विकास की कहानी प्रकृती क़े साथ उसके संघर्षों की कहानी है .जहाँ प्रकृती ने राह दी वहां वह आगे बढ़ गया और जहाँ प्रकृती की विषमताओं ने रोका वहीँ रुक गया .परन्तु हमारा संघर्ष प्रकृती क़े साथ नहीं है .शोषण -वादी ,उत्पीडन कारी शक्तियां जो हमें धौंस -दबाव में लेना चाहती हैं ;हम उनके आगे झुकने को तैयार नहीं हैं ---संघर्ष इसी बात पर है .
आगरा में एक इं. सा :हमारे क्लाइंट रहे थे ,उनकी बेटा पाने की मनोकामना बेटा पाने की मनोकामना हमारे बताये उपायों द्वारा पूरी हुयी थी .उनको ढोंगियों -पाखंडियों क़े चंगुल से हमने केवल बचाया ही नहीं उन्हें तमाम ज्योतिषीय सूत्र भी दिए .वह भी चाहते थे की मै लखनऊ में शिफ्ट कर लूँ और उन पर और भरोसा कर लिया -यही सब से बड़ी गलती रही .उन्होंने जितने मकान दिखाए सौ प्रतिशत वास्तु -दोष वाले थे (जबकि उनको वास्तु का पूरा ज्ञान स्वंय मैंने प्राप्त करा दिया है );आगरा का मकान मै २३ सितम्बर ०९ को बेच चुका था .एन वक्त पर धोखा मिला -उस व्यक्ति से जो खुद किराये हेतु मकान लेता था तो फोन पर भी मुझ से राय लेता था -ऐसे व्यक्ति को भस्मासुर नहीं तो और क्या कहा जाए .उन्होंने जिस मकान क़े लिए एडवांस दिला दिया था वह केवल वास्तु -दोष वाला ही नहीं डिस्प्यूटेड भी था .जैसे -तैसे एक कमरे का मकान तीसरी मंजिल पर लेकर सारा सामान तितर -बितर ,इधर -उधर रख कर किसी तरह सवा महीना गुजारा और लगभग एक वर्ष पूर्व इस वर्तमान मकान में रजिस्ट्री करवाकर आ गए ;लेकिन उन ई .महोदय ने अपनी तिकड़म से यहाँ भी चक्रव्यूह खड़ा कर दिया है .वह इतना भी नहीं समझ रहे हैं की जो व्यक्ति दूसरों की समस्याओं का समाधान कराता है ,उनका खुद का भी गहरा तजुर्बा है -मुझसे लाभ उठाने का फिर भी परेशान करने पर आमादा हैं (किन्ही पुलिस -संपर्कों क़े कारण ).उन्हें यह भी नहीं पता की मै डी.एस .पी .(विजीलेंस )तथा कुछ एक इंस्पेकटर क़े साथ काम कर चुका हूँ ;सब बातें समझता हूँ और मुकाबला करने क़े तरीकों से भी वाकिफ हूँ सिर्फ ईमानदारी ,इंसानियत ,और शराफत क़े दायरे से बाहर न जा पाने क़े कारण नुक्सान उठता हूँ .लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं -विजय, को विजय न मिले .अब तक क़े सभी संघर्षों में हमारे विपक्षियों ने सदा ही मुहं की खाई है .
हमारे अपने घनिष्टतम और निकटतम रिश्तेदारों ने ब्लाग जगत में भी हमें परेशान करने वाले ब्लागर्स तैयार कर दिए हैं .एक ने काठ की हांडी चढ़ा ली है अब दुबारा वह भी नहीं चढ़ सकती .बल्कि ऐसे ब्लागर की अपने ही वर्ग में खूब छीछालेदर हो चुकी है .भस्मासुर ई .सा :और दूसरे ई .सा :से गाईडेड ब्लागर्स क्या और कितना सफल हो पाते हैं या इस बार भी विजय ,विजय को ही मिलनी है .
लखनऊ आने की साथार्कता ---सत्य और न्याय को मिली जीत
भस्मासुर ई . सा :ने जिन ई . सा :को मुझसे मकान का एडवांस दिलाया था उन्होंने अपने दोस्त क़े दामाद को दोखा देकर मकान कानूनी तौर पर अपना बनाया था ;लेकिन वास्तविक कब्ज़ा उसके मालिक क़े ही पास था .वह असली मालिक को हटा नहीं पा रहे थे मुझे बेच कर उससे लड़ाना चाहते थे .लेकिन एक ज्योतिषी क़े नाते ,मैंने उस व्यक्ति को वास्तु दोषों का निराकरण करने ,पूजा में ढोंग -पाखण्ड को हटाने तथा वैज्ञानिक विधि से पूजा करने का परामर्श दिया .उसने उन पर अमल किया और कल दि.२७ .१० .१०को १२ .४५ पर उसने फोन करके सूचित किया कि ,वह कानूनी मुकदमा भी जीत गया है .वह व्यक्ति पूर्व ज्वाइंट सेल्स टैक्स कमिश्नर का बेटा है .उसका अच्छा -खासा व्यापार था .एक एक्सीडेंट होने क़े बाद उसका मुनीम बैंक मनेजर से मिल कर उसके नाम पर दस लाख रु .कर्ज़ लेकर भाग गया था .इस मजबूरी का फायदा उठा कर ई . सा :ने बैंक से उसके मकान क़े कागज़ नीलामी में ले लिए थे जिन्हें दिखा कर भस्मासुर ई . सा :ने मुझे उस मकान मालिक से भिडाने का षड्यंत्र किया था .हो गया उलटा ----मेरी ज्योतिषीय सलाह से वह मकान मालिक कानूनन भी मालिक मकान मान लिया गया .उसकी जीत को मै लखनऊ आने पर अपनी पहली ज्योतिषीय सफलता मान सकता हूँ और मान सकता हूँ कि भस्मासुर का षड्यंत्र भी शीघ्र ही विफल होगा .
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ढोंग-पाखंड को बढ़ावा देने वाली और अवैज्ञानिक तथा बेनामी टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम कर दिया गया है.असुविधा के लिए खेद है.