बुधवार, 17 अप्रैल 2013

उदारता और पात्र की अनुकूलता(भाग-2) ---विजय राजबली माथुर

"जीवन में जिनका साथ छूट जाता है
वो कभी किनारे पर होकर भी
अपने नहीं हो पाते
समय को पहचान कर, ये मान कर तभी
साथ रहती रेत और हवायें
कहती तुम लिखों और हम मिटाएं….
अपना वजूद कभी खतम न होने पाए…!"
http://tewaronline.com/?p=3892

यथार्थ और सत्य की अभिव्यक्ति है 'अनीता गौतम'जी की इन काव्य पंक्तियों मे। गतांक मे भुक्त-भोगी घटना का उल्लेख किया है उसकी भी पुष्टि प्रथम तीन पंक्तियों से हो जाती है। बाहरी दबाव मे पुनः मेरे मेल कर लेने का परिणाम मुझे कमजोर समझ कर निगलने के प्रयास के रूप मे सामने आया था।

भृष्ट-धृष्ट-निकृष्ट-ठग पूना प्रवासी ब्लागर द्वारा हमारे ज़िले से संबन्धित रांची स्थित ब्लागर के माध्यम से उनके पति के संपर्कों द्वारा उनकी जाति के एक राजनेता तथा खुद उक्त ब्लागर के संपर्कों से उनकी खुद की जाति के एक दूसरे राजनेता को हमे क्षति पहुंचाने हेतु नियुक्त किया गया। जिस जाति मे डॉ राजेन्द्र प्रसाद,डॉ सम्पूर्णानन्द,शास्त्री जी लाल बहादुर सरीखे राजनेताओं तथा रघुवीर सहाय 'फिराक गोरखपुरी'साहब  एवं हरिवंश राय 'बच्चन'जी सरीखे विद्वानों ने जातिसूचक उपनाम का प्रयोग न करके उच्च कीर्तिमान स्थापित किए थे उसी जाति मे जन्मे  भृष्ट-धृष्ट-निकृष्ट-ठग पूना प्रवासी ब्लागर एवं उनके मददगार प्रादेशिक राजनेता जातिगत उपनाम का प्रयोग न करते हुये भी जिस मानसिकता का परिचय दे रहे हैं उससे पता चलता है कि,उनकी बुद्धि उनके मस्तिष्क मे नहीं विराजती बल्कि उनके पैर के तलवों के नीचे दबी हुई है बल्कि इन लोगों के जो सहयोगी अपनी जातीय पहचान कायम किए  हुये हैं वे तो यही आभास दे रहे हैं कि अब उनकी पूरी की पूरी ब्रादरी की बुद्धि पैर के तलवों मे रहने लगी है। इसी कारण वे लोग अपनी सजातीय मेरी पत्नी (पूनम)को चौतरफा परेशान करने के उपक्रम लगातार किए हुये हैं। वे कमलेश बाबू/शोभा और उनकी  पूना निवासी पुत्री की चालों को तो कामयाब कर रहे हैं किन्तु यह भूल रहे हैं कि यदि वे कामयाब हुये तो सर्वाधिक नुकसान पूनम का ही होना है जो खुद उन लोगों की बिरादरी की हैं और उनके श्रीवास्तव होने के कारण ही हमारे ये रिश्तेदार उनको प्रताड़ित करना चाहते हैं। उसके बाद नुकसान यशवन्त को होगा जिससे भी हमारे ये रिश्तेदार घोर नफरत करते हैं। जहां तक मेरा प्रश्न है मैं पूर्ण आयु प्राप्त कर चुका हूँ(ज्योतिष मे 60 वर्ष को पूर्ण आयु माना गया है और मैं 61 से भी ऊपर हूँ)और 'बोनस' मे चल चल रहा हूँ। जैसा कि पूना प्रवासी ब्लागर के IBN7 वाले चमचा ब्लागर ने गोली से उड़ा देने की धमकी दी थी मुझे फर्क नहीं पड़ेगा। अतः मैं किसी भी तरह घुटने नहीं टेकने जा रहा।

इन ब्लागर्स व राजनेताओं को ब्राह्मण ब्लागर्स व ब्राह्मण राजनेताओं का खुला समर्थन तो इस वजह से है कि,शोषकों-उतपीडकों के खैर ख़्वाह पोंगापंथियों को मेरे द्वारा ज्योतिष की सरल व्याख्या द्वारा जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ने के अवसर हाथ से निकलते हुये जान पड़ते हैं। केवल लोहे की आरी से लकड़ी को तब तक नहीं काटा जा सकता जब तक कि उसमे लकड़ी के हत्थे न लगा लिए जाएँ। अतः ब्राह्मणवादी शोषक ब्लागर्स तथा राजनेता इन श्रीवास्तव ब्लागर्स व राजनेताओं को 'हत्थे' के रूप मे इस्तेमाल कर रहे हैं। 

रांची स्थित ब्लागर के वह रिश्तेदार राजनेता भी मुझसे दो जन्मपत्रियों का विश्लेषण निशुल्क प्राप्त कर चुके हैं परंतु एहसान फरामोश  पूना प्रवासी ब्लागर का अनुसरण कर रहे हैं। हमारे द्वारा उनको दिया गया सम्मान उनको हमारी कमजोरी समझ आता है। लगता है उनके प्रति उदारता बरतना भी पात्र की अनुकूलता  का न होना ही था।

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