शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

उदारता और पात्र की अनुकूलता(भाग-3 ) ---विजय राजबली माथुर

"डॉ साहब ऐसे लोग दूसरे लोगों को विभ्रम मे रखने हेतु अधूरा या द्वंदात्मक परिचय देते हैं क्योंकि उनके इरादे नेक नहीं होते हैं। ऐसे लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट मिलने पर आप सदृश्य प्रतिष्ठित लोगों के म्यूचुयल नाम देख कर स्वीकार तो कर लेता हूँ परंतु उनकी एक- दो पोस्ट्स पढ़ते ही भेद खुल जाता है और उनको तत्काल ब्लाक कर देता हूँ । अभी-अभी ऐसे ही एक सज्जन को ब्लाक किया है जिनके बीच आप समेत 54 लोग म्यूचुयल थे।"18 अप्रैल 2013 को एक स्टेटस पर मेरी यह टिप्पणी यों ही बेवजह नहीं है। 

इस पर उन विद्वान डाइरेक्टर  साहब ने यह जवाब दिया है-" भाई ! विचित्र मित्र ग़लती से बन जाते हैं । प्रायः उनकी वाल पढ़ लेने से ऐसी ग़लती की सम्भावना क्षीण हो जाती है । फिर भी कभी कभी फूल के साथ काँटे आ ही जाते हैं । चुभने पर उन्हें निकाल देने में कोई हर्ज भी नहीं ।"

दूसरी पार्टी के प्रादेशिक राजनेता श्रीवास्तव साहब को यदि उनकी बुजुर्गीयत के चलते और अपनी पार्टी के प्रदेश नेताओं द्वारा  उनको दिये जाने वाले सम्मान को देखते हुये मैंने भी उनको सम्मान दिया और उनके कार्यों का निशुल्क सम्पादन/निराकरण  कर दिया तो इसका अभिप्राय यह नहीं है कि मैं उनके आगे झुक या दब गया हूँ परंतु वह यही समझ रहे हैं । चाहे यह उनका गलत आंकलन हो या साजिशन वह ऐसा करते हों यह तो वही जानें। अभी 17 अप्रैल को  ही वह एक लेख पढ़ते हुये यह भी देख गए थे कि मेरी फ्रेंड लिस्ट मे कौन-कौन हैं?उसके मद्दे नज़र एक हाई कोर्ट वकील से उन्होने फ्रेंड रिक्वेस्ट भिजवाई जिसने 'एबाउट' मे अधूरा परिचय दिया हुआ था उसको स्वीकारते ही पोस्ट्स सामने आ गई जिनसे पोल खुल गई और ब्लाक कर दिया। 

यह श्रीवास्तव राजनेता साहब पूना प्रवासी-भृष्ट-धृष्ट-निकृष्ट-ठग ब्लागर की रांची स्थित हमदर्द  ब्लागर के रिश्तेदार हैं और पटना मे इनकी गहरी पैठ है। पूना प्रवासी ब्लागर ने पटना प्रवासी अपनी ब्राह्मण शिष्या (जिसने उनको 'द्रोणाचार्य'कहते हुये प्रशंसात्मक कविता लिखी थी)ब्लागर की मार्फत पहले यशवन्त को पूना मे नौकरी करने का प्रस्ताव भिजवाया था जिसे ठुकरा देने के बाद पटना प्रवासी ब्लागर ने अपने पति के आफिस मे उसको जाब का आफ़र दिलाया था। इन चालों और जालों मे न फँसने देने का परिणाम यह हुआ कि पूना प्रवासी और पटना प्रवासी ब्लागर्स ने मिल कर पटना मे पूनम के घर वालों  को तांत्रिक प्रक्रियाओं से परेशान करना प्रारम्भ कर दिया है जिसमे अब यह राजनेता श्रीवास्तव साहब भी जुड़ गए हैं।गत वर्ष हम लोग हाई कोर्ट वकील हरी मोहन माथुर  साहब(बड़े ताऊजी की बेटी बीना के पति) के यहाँ सिटी बस से जा रहे थे तब बस मे ही इन राजनेता श्रीवास्तव साहब का फोन आया कि,हम आपके घर आ रहे हैं। मजबूरन बताना पड़ा कि हम घर पर नहीं हैं,इन साहब ने आस-पास के कई वकीलों को हमारी खुफियागिरी करने के काम मे लगाया हुआ है और वह यही कनफर्म करना चाहते थे कि क्या हम वास्तव मे घर पर नहीं हैं। यह  श्रीवास्तव साहब अपनी पार्टी से बगावत इस आधार पर करना चाहते हैं कि उनकी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मुलायम सिंह जी के पक्षधर हैं। यह इस बात को भूल रहे हैं कि रांची वाले जिस ब्लागर से रिश्तेदारी के आधार पर यह  हमारे खिलाफ अभियान मे जुटे हुये हैं उसी रांची के मूल  निवासी एक श्रीवास्तव IAS महोदय ने मुलायम सिंह जी को मैनपुरी मे पिछले चुनावों मे  परेशान किया था यदि मुलायम सिंह जी अब केंद्र की सत्ता मे आ जाएँ तो उन IAS महोदय से बदला ले सकते हैं तब यह श्रीवास्तव राजनेता साहब कैसे अपनी ब्रादरी के अफसर का बचाव करा पाएंगे?

दूरदर्शिता का यही आभाव ही था जिसने भृष्ट-धृष्ट-निकृष्ट-ठग ब्लागर के उकसावे पर ज्योतिष के विरोध मे लेख लिखने व मेरे विरुद्ध टिप्पणी करने वाले लखनऊ के ब्लागर को अपने अंतर्राष्ट्रीय कंपटीशन मे मेरे समर्थन से वंचित कर दिया। 

वस्तुतः 19 अप्रैल 2012 को एक लेख-'रेखा राजनीति मे आने की संभावना' (http://krantiswar.blogspot.in/2012/04/blog-post_19.html) दिया था 
और 26 अप्रैल 2012 को तत्कालीन राष्ट्रपति महोदया ने रेखा जी को राज्यसभा मे मनोनीत करने की घोषणा कर दी थी। मेरे इस ज्योतिशियात्मक विश्लेषण से भयभीत होकर ही पूना प्रवासी-भृष्ट-धृष्ट-निकृष्ट-ठग ब्लागर ने IBN7,दिल्ली मे कार्यरत अपने चमचा सजातीय ब्लागर से 'ज्योतिष एक मीठा जहर' लेख तथा लखनऊ वाले ब्लागर से ज्योतिष की खिल्ली उड़ाने वाले लेख लिखवाये थे। 
मैंने पूर्व राज्यसभा सदस्य शबाना आज़मी जी को पुरस्कार मिलने पर भी ज्योतिशियात्मक विश्लेषण दिया था और बताए गए समय के भीतर ही उनको पुनः इस वर्ष लिमका पुरस्कार भी मिल गया है। 

पिछले अंक मे जिस FIR की कापी दी थी उन लोगों ने नाहक ही हम लोगों को सताया था उन पैसे वाले दुष्ट प्रवृति के लोगों का हम कोई बिगाड़ नही सिर्फ अपना बचाव करना चाहते थे। परमात्मा और प्रकृति की ओर से वे स्वतः ही दंडित हो गए। कमलेश बाबू के भतीज दामाद 'कुक्कू' को फ़ालिज लगा तो उसके पार्सल बाबू भाई को TB हुई। यह दूसरी बात है कि वे लोग फिर भी बदमाशियों मे लगे हुये हैं।  इसी प्रगर 'ठग' ब्लागर व उसके चमचे-चमचियों को भी कभी न कभी परमात्मा व प्रकृति की मार झेलनी ही पड़ेगी क्योंकी उनकी बदमाशियों का हमारे द्वारा जवाब न देने से वे हमे कमजोर समझ कर लगातार प्रहार किए जा रहे हैं। 

राजनेता श्रीवास्तव साहब भी अहंकार से ग्रसित होने के कारण हमारी 'उदारता' को कमजोरी मान कर चलने के कारण उतपीडनात्मक कारवाई जारी रखे हुये हैं। मुझे नहीं लगता कि ये लोग कभी भी वास्तविकता को समझ सकेंगे। हमारे बहन-बहनोई भी वैसे तो हमे परेशान कराने का दंड -नौ वर्ष तक झांसी मे एक मुकदमे का सामना करके भुगत चुके हैं परंतु वे भी समय-समय पर हमसे ज्योतिषीय मदद लेने के बावजूद ब्लागर्स,राजनेताओं और रिशतेदारों के माध्यम से अब भी हमे परेशान रखना जारी रखे हुये हैं। इन लोगों के प्रति भी उदारता बरतना काफी मंहगा पड़ गया है। इन लोगों को परमात्मा और प्रकृति द्वारा दंडित किए जाने पर भी हमे पीड़ा ही होगी। 

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