सेठ जी का इन्कम टैक्स का केस श्रीमती आरती साहनी ने एसेस्मेंट दोबारा करने का आदेश इन्कम टैक्स आफिसर फूल सिंह जी को दे दिया। सारी पुस्तकें सीज करते समय श्रीमती साहनी पैकिंग नोट और इनवाईस बुक्स जमा कराना भूल गई थीं । इसी का फायदा उठा कर वकील साहब ने उन्हे केस इस प्रकार पेश किया कि,शक के आधार पर वह केस दोबारा खोल दें। अब वकील साहब ने मुझ से कहा कि सारी इनवाईसेज इस प्रकार तैयार करनी हैं कि जो स्टाक बेलेन्स शीट मे दिखाया गया है उससे एक जोड़ी जूते का फर्क आ जाये। वस्तुतः ये व्यापारी स्टाक रेजिस्टर तो रखते नहीं हैं और जितना प्रतिशत लाभ दिखाना चाहते हैं उसी के हिसाब से स्टाक घटा या बढ़ा देते हैं। इस मामले मे भी यही था ,अतः रेट घटा कर मात्रा बढ़ा कर बिल दोबारा बनाए गए और स्टाक एडजस्ट किया गया । पूरा प्रकरण काफी दिमाग खाने का था । जब वकील साहब के मुताबिक बिल बुक्स तैयार हो गई तो आई टी ओ साहब के समक्ष पेश की गई। फूल सिंह जी ने अध्यन करके खूब माथा-पच्ची कर ली और कोई गलती न पकड़ सके ,केवल जो अंतर वकील साहब ने जान-बूझ कर डलवाया था वही था और उसे खुद वकील साहब ने ही इंगित कर दिया था। फ़ाईनल एसेस्मेंट के दिन आई टी ओ साहब ने सेठ जी से कहा कि,तुम्हें वकील साहब और अकाउंटेंट अच्छे मिल गए हैं वरना तो तुम बुरी तरह फंस चुके थे,इन दोनों ने तुम्हारी गर्दन बचा ली है अब तुम ही बताओ क्या दण्ड लगाया जाये। वकील साहब ने आई टी ओ साहब को सुझाव दिया कि -बुक्स आफ अकाउंट्स रिजेक्ट कर दें । उन्होने हँसते हुये फैसला लिखा और वकील साहब का सुझाव मानते हुये मात्र रु 10000/-का अर्थ दण्ड लगा कर सूचना अपीलेट कमिश्नर श्रीमती आरती साहनी को भेज दी। एक ईमानदार अधिकारी के रूप मे सख्ती दिखा कर श्रीमती साहनी ने सेठ जी को रिश्वत देने के प्रयास का अच्छा सबक सिखाया था कई वर्ष तक उनकी नींद और चैन उड़ा रहा था। आई टी ओ साहब को जो भेंट दिये होंगे परंतु मुझेऔर जैसा वकील साहब ने मुझे बताया वकील साहब को भी एक बताशा भी नहीं खिलाया जबकि पहले ढाई लाख तक पेनल्टी देने को तैयार बैठे थे।
काम का एक ही प्रभाव था कि अब काम सेठ जी के आदेश पर नहीं मेरे अपनी इच्छा पर निर्भर हो गया था। मै
कम्यूनिस्ट पार्टी के काम से भी दिन मे दुकान से उठ कर बता कर चला जाता था वह मना नहीं करते थे। पहले सिर्फ दूसरे स्टाफ को दीपावली पर गिफ्ट के साथ जूते देते थे अब मुझे भी देना शुरू कर दिया था। कई बार ज्योतिषीय सलाह भी मुझ से कर लेते थे और बात मान भी लेते थे। ......
काम का एक ही प्रभाव था कि अब काम सेठ जी के आदेश पर नहीं मेरे अपनी इच्छा पर निर्भर हो गया था। मै
कम्यूनिस्ट पार्टी के काम से भी दिन मे दुकान से उठ कर बता कर चला जाता था वह मना नहीं करते थे। पहले सिर्फ दूसरे स्टाफ को दीपावली पर गिफ्ट के साथ जूते देते थे अब मुझे भी देना शुरू कर दिया था। कई बार ज्योतिषीय सलाह भी मुझ से कर लेते थे और बात मान भी लेते थे। ......
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