मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

आगरा /1992 -93 ( विशेष राजनीतिक भाग- 6 )

गतांक से आगे.....


भकपा जिला काउंसिल के कार्यालय 'सुंदर होटल',राजा-की-मंडी मे रमेश कटारा ने कामरेड किशन बाबू श्रीवास्तव पर हमला कर दिया । नेमीचन्द समेत हम सभी लोगों ने इसे गंभीर चुनौती के रूप मे लिया । जिस शख्स को मिश्रा जी ने केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के चेयरमेन कामरेड काली शंकर शुक्ला के प्रभाव से यू पी राज्य कंट्रोल कमीशन का सदस्य बनवाया हो वह बगैर मिश्रा जी के समर्थन के डॉ धाकरे के गुट के माने जाने वाले का  श्रीवास्तव पर पार्टी कार्यालय मे हमला करने का साहस नहीं कर सकता था। श्रीमती श्रीवास्तव ने हम लोगों को बताया था कि आतंक का सहारा लेना मिश्रा जी के लिए नई बात नहीं है। पहले भी इसी कार्यालय मे मिश्रा जी और उनके सहयोगी का जगदीश प्रसाद ने डॉ राम विलास शर्मा पर साइकिल की चेन से हमला किया था। डॉ राम विलास जी 'सेंट जौंस कालेज,आगरा' से जाब छोड़ कर दिल्ली चले गए और वहीं बस गए। मिश्रा जी के व्यवहार के कारण एक विद्वान लेखक का नाता आगरा से टूट गया।

हमने अधिकृत रूप से राज्य सचिव कामरेड मित्रसेन यादव जी को सूचित किया। पार्टी कार्य से लखनऊ आने पर कामरेड रामचन्द्र बख्श सिंह से निजी मुलाक़ात करके पूरी घटना और उसमे मिश्रा जी की संलिप्तता का विवरण दिया। उन्होने खेत-मजदूर सभा के नेता और सांसद कामरेड राम संजीवन को आगरा जाकर तहक़ीक़ात करने को कहा। जब कामरेड राम संजीवन आगरा आए तो मिश्रा जी और उनके गुट का कोई सदस्य स्टेशन उनकी अगवानी करने नहीं गया। होटल मे भी मिश्रा जी उनसे नहीं मिले लेकिन कटारा ने अपनी सफाई दी। मैंने कामरेड श्रीवास्तव और उनकी पत्नी की उनसे विशेष रूप से मुलाक़ात करवा दी थी। सुबह की ताज से आकर शाम की ताज से राम संजीवन जी दिल्ली लौट गए। उन्होने अपनी रिपोर्ट लखनऊ भेज दी होगी। आगरा पार्टी के कामरेड्स ने कटारा और मिश्रा जी को पार्टी से निकालने की मांग रखी थी।....  

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