शनिवार, 31 दिसंबर 2011

2011 को अच्छा मानें या बुरा?

आज 2011 वर्ष का समापन होने जा रहा है। पूरे वर्ष की गतिविधियों और उनके परिणाम पर दृष्टिपात करके इस वर्ष को अच्छा या बुरा नहीं कह सकते। इस वर्ष ब्लाग-लेखन द्वारा कई ब्लागर्स से जो संपर्क था वह व्यक्तिगत मुलाकातों के रूप मे भी सामने आया। कई गोष्ठियों मे श्रोता के रूप मे  भाग लिया और अनुभव प्राप्त किए। राजनीतिक रूप से जहां अपनी कम्युनिस्ट पार्टी के धरना  व प्रदर्शनों मे भाग लिया वहीं AISF  तथा प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यक्रमों मे भी उपस्थित रहा। पार्टी की कई बैठकों मे भी भाग लेने का अवसर मिला। कई ब्लागर्स की व्यक्तिगत समस्याओं हेतु ज्योतिषीय समाधान देने के भी अवसर मिले। एकमात्र मनोज कुमार जी ही ऐसे ब्लागर रहे जिनहोने अपने कार्य-संपन्नता की औपचारिक सूचना ई-मेल द्वारा दी। एक और ब्लागर ने पूछने पर स्वीकार किया कि उन्हें पहले से अब लाभ है। परंतु अधिकांश ने लाभ होने अथवा न होने की कोई सूचना देना मुनासिब नहीं समझा। एक ब्लागर की इच्छा का आदर करते हुये 'जन हित मे' स्तुतियाँ देना प्रारम्भ की ,परंतु उन ब्लागर ने ही उन्हे देखने की जरूरत नहीं समझी।

इसी वर्ष मार्च माह मे एक परिचित बैंक अधिकारी के पुत्र की तबीयत होली खेलने के बाद ऐसी खराब हुई कि डाक्टरों ने बचने के बारे मे ही संदेह व्यक्त कर दिया और बचने पर 'दिमाग' विकृत होने की बात कह दी। उन्होने चिकत्सा विश्वविद्यालय के ICU मे भरती अपने पुत्र के पास बुला कर ज्योतिषीय समाधान मांगा। मेरे द्वारा बताए मंत्रों के प्रयोग से उनका पुत्र सकुशल स्वस्थ होकर आया और परीक्षा परिणाम भी उसका अनुकूल ही आया। इस जानकारी से मन काफी संतुष्ट हुआ।

एक ब्लागर साहब और एक परिचित के पुत्र को पूर्ण लाभ होना मेरे ज्योतिषीय सिद्धांतों की वैज्ञानिकता को ही पुष्ट करता है। जबकि फेसबुक तथा ब्लाग्स मे कई लोग मेरी पद्धति का मखौल उड़ाते हैं,उन्हे प्रचलित दक़ियानूसी  पोंगा-पंथ ही भाता है।

इसी वर्ष हमारी बहन डॉ शोभा और बहनोई श्री कमलेश बिहारी माथुर S/O स्व.सरदार बिहारी माथुर,रेलवे अधिकारी (अलीगढ़),द्वारा हमारे विरुद्ध संलिप्त रहने का पर्दाफाश भी हो गया। हम तो छोटी बहन-बहनोई समझ कर उन पर विश्वास करते रहे और वे हमारे विरुद्ध लोगों को उकसाते व भड़काते रहे। 5 वर्ष से उनकी गतिविधियां संदिग्ध लग रही  थीं परंतु पूनम और यशवन्त मिलकर मुझे चुप करा देते थे। इस बार अप्रैल मे जब वे अपने भाई दिनेश की बेटी की शादी मे लखनऊ आ रहे थे तो फोन पर कई ऐसी बातें बहन जी द्वारा कही गई कि मैंने पूनम से कह दिया था कि इस बार तो अपने माता-पिता की पुत्री-दामाद होने के नाते अपने घ्रर  आने पर उनका स्वागत कर लेंगे परंतु भविष्य मे उन लोगों का स्वागत करना मेरे लिए संभव नहीं है।

यशवन्त को कमलेश बाबू चौराहे तक ले जाने की बात कह कर अपने साथ ले गए फिर हजरतगंज होते हुये अमीनाबाद तक जाकर लौटे बिफर कर यह कहते हुये कि यह न तो आलू की टिक्की खाता है न कुल्फी हम इसे अपने साथ नहीं ले जाया करेंगे। अगले दिन उन्हे फ्लाईट पकडनी थी लिहाजा मै खामोश रहा वरना पूछता कि क्या मैंने उसे आपके साथ लगाया था?उसे साथ ले जाने से  उसका साइबर ही ठप्प रहा। रास्ते मे उससे पूछते हैं 'मोपेड़' कितने मे बेची? आगरा छोडते समय काफी सामान काफी घाटे मे बेचना पड़ा खराब हो गई मोपेड़ भी घाटे मे ही बेची थी। उसकी खरीद मे जो रूपये लगे थे उनमे से आठ हजार शालिनी के थे शायद इसी लिए कमलेश बाबू को उसकी बिक्री के पैसों की फिक्र थी,जबकि जिस दिन मोपेड़ खरीद कर लाये थे उस दिन डॉ शोभा उपस्थित थीं और भौंचक रह गई थीं। डॉ शोभा ने मोपेड़ लाने की खुशी मे अपनी माँ द्वारा दी मिठाई का एक टुकड़ा भी न चखा था और उनके पति को उसकी बिक्री के पैसों की व्यापक चिंता थी।

आगरा का मकान मैंने मेरठ मे अपनी नौकरी के बचे पैसों से सिक्योरिटी जमा करके तथा 15 वर्षों तक मासिक 'किश्तें' जमा करके खरीदा था जिसे बेच कर लखनऊ मे घाटे मे आए थे। 1976 मे कमलेश बाबू ने हमारे बाबूजी द्वारा तीन मकान खरीदने की बात हमारी माँ से कही थी। बाबूजी की हैसियत एक भी मकान खरीदने की न थी क्योंकि दो वर्ष बाद ही उनका रिटायरमेंट था।बाद मे बहन जी ने माँ को सूचित किया था कि कमलेश बाबू अपनी बी एच ई एल,हरिद्वार की नौकरी छोड़ कर दरियाबाद की खेती सम्हाल लेंगे -बस बाबूजी अपना हिस्सा ले लें। ऐसा न होने के कारण ही मेरे लखनऊ आने पर मथुरानगर,दरियाबाद के ऋषिराज,नरेश ,उमेश को डॉ शोभा और कमलेश बाबू ने मेरे खिलाफ कुछ गलत-सलत भड़का दिया। निवाजगंज,लखनऊ मे कमल दादा ने फरवरी मे बताया था कि शोभा बचपन से ही टेढ़ी है। उनके निधन के बाद हवन के समय शैल जीजी ने भी कहा था कि शोभा चिढ़ोकारी है। अगस्त मे उनका भी निधन हो गया। मै संदेह के बावजूद चुप इसलिए रहता था कि ये लोग तिकड़म से पहले ही अजय को भी भड़का कर अलग-थलग कर चुके थे और इसका शक माईंजी पर डाल दिया था। ब्लाग जगत मे उनकी छोटी  पुत्री-मुक्ता(जिसके पति साफ्टवेयर इंजीनियर तथा कुक्कू के रिश्तेदार के रिश्तेदार हैं) जो सोनू नाम की फेक आई डी से यशवन्त और मेरे विरुद्ध अनर्गल प्रचार करके शक एक बार फिर माईंजी पर डाल चुकी थी।

अतः 1978 मे मेरा मकान एलाट होते ही कमलेश बाबू मेरे विरुद्ध साज़िशों मे लग गए जिंनका पता अब  लखनऊ आने पर ही चल सका और पुष्टि उनके 2011 मे हमारे घर आने पर हो सकी कि 'मधू' पत्नी कुक्कू तो कमलेश बाबू की भतीजी थीं। कमलेश बाबू ने हमारे तब के ज्योतिषीय सलाहकार डॉ रामनाथ को कुक्कू द्वारा खरीद कर शालिनी से 14 गुणों को 28 बता कर विवाह तय करवाया था। होटल मुगल से बरखास्तगी और राजनीतिक उठा- पटक मे भी कमलेश बाबू-कुक्कू-शरद मोहन(तीनों के पिता रेलवे के साथी रहे) गठजोड़ का ही हाथ था। इसी लिए वे लोग हमारे लखनऊ आने का शुरू से विरोध कर रहे थे। यह पता लगने  पर कि यशवन्त की ख़्वाहिश पर हमने घाटे मे भी लखनऊ आने का निर्णय किया था तो वे लोग उसके भी विरुद्ध मशगूल हो गए। अंततः मुझे उससे 'बिग बाजार' का जाब छुड़वाकर घर पर साइबर खुलवाना पड़ा जबकि डॉ शोभा-कमलेश बाबू अपने परिचित 'लुटेरिया' बिल्डर के यहाँ उसे जाब पर रखवाना चाहते थे। उसी लुटेरिया के माध्यम से उन्होने हमे यहाँ परेशान रखने का उपक्रम किया हुआ है।

इतना ही नहीं बी एच ई एल ,हरद्वार मे 'सीटू' से सम्बद्ध यूनियन मे सेक्रेटरी रह चुके कमलेश बाबू ने अपने पुराने संपर्कों के आधार पर सी पी एम से संबन्धित लोगों को पहले मुझ पर सी पी आई छोड़ कर सी पी एम मे शामिल होने का सुझाव भिजवाया। 17 जून 2011 को मेरे घर सी पी एम,मेरठ के कामरेड जो ब्लागर भी हैं आए और इस प्रकार की राय व्यक्त किए,कम से कम जलेस मे लेखन का ही उनका वैकल्पिक सुझाव था। चूंकि मैंने इन सुझावों को स्वीकार नहीं किया तो उन्हीं ब्लागर सी पी एम के कामरेड ने भाकपा के प्रदेश नेता द्वारा संचालित ब्लाग को फालों करके मेरे विरुद्ध अभियान चला दिया। इस अभियान का परिणाम मेरे विरुद्ध देखने के इच्छुक लोग संतुष्ट हो पाते हैं अथवा नहीं इसका पता 2012 मे ही चलेगा।

कविवर रवीन्द्र नाथ टैगोर के 'एकला चलो रे' का मै अनुगामी हूँ और सदैव प्रत्येक के भले के लिए प्रस्तुत रहता हूँ ,इसलिए मुझे नहीं लगता कि कितनी भी बड़ी ताकत बटोर कर मुझे परास्त करने मे किसी को भी सफलता आगे भी मिल सकेगी जैसे अभी तक नहीं मिल सकी है । सन 2012 मे सभी को सद्बुद्धि मिले और सभी समृद्धि कर सकें 2011 के समापन पर यही हमारी मंगल कामनाएं हैं।


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4 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.

    नूतन वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ मेरे ब्लॉग "meri kavitayen " पर आप सस्नेह/ सादर आमंत्रित हैं.

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  2. गुरूजी प्रणाम --प्रस्तुति बहुत ही ह्रदय विदारक लगी ! मै बारह दिनों के लिए रिफ्रेशेर क्लास के लिए हैदराबाद चला गया था ! अतः ब्लॉग की क्रम / उपस्थिति बंद हो गयी थी ! आज ही लौटा हूँ ! इस अवसर पर वश यही कहूँगा ---भगवान सभी के दिल में शांति और सहन की शक्ति दें ! मै और मेरी धर्मपत्नी की ओर से आप सभी को सपरिवार -नव वर्ष की शुभ कामनाएं !

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  3. गुरूजी प्रणाम --प्रस्तुति बहुत ही ह्रदय विदारक लगी !मै बारह दिनों के लिए रिफ्रेशेर क्लास के लिए हैदराबाद चला गया था ! अतः ब्लॉग की क्रम / उपस्थिति बंद हो गयी थी ! आज ही लौटा हूँ ! इस अवसर पर वश यही कहूँगा ---भगवान सभी के दिल में शांति और सहन की शक्ति दें ! मै और मेरी धर्मपत्नी की ओर से आप सभी को सपरिवार -नव वर्ष की शुभ कामनाएं !

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  4. ह्रदय विदारक प्रस्तुति|

    आप को सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें|

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