रविवार, 1 अप्रैल 2012

आगरा/1994 -95 /(भाग-6 )

गतांक से आगे ......

मै नहीं समझ सका कि क्यों डॉ शोभा यशवन्त को हस्तगत करना चाहती थीं और क्यों अजय की श्रीमती जी ने बउआ को वैसा न करने का सुझाव दिया(वह तो कमलेश बाबू की ममेरी बहन की नन्द हैं और के बी साहब ने ही उनकी शादी करवाई थी ) कि क्या वह यशवन्त को अपने पास रखना चाहती थीं?मुझसे किसी ने भी तब कोई जिक्र क्यों नहीं किया ?क्या यशवन्त किसी के पास रह लेता ?जब बउआ ने ग्यारह माह बाद बताया तब क्या उन्हें अपने लोगों के जीवन न रहने का एहसास हो गया था?उस समय इन सब बातों पर विचार करने का समय न था और बाद मे ध्यान से निकल गया था। कल जब 25 मार्च को भाग-5 लिख रहे थे तब दिमाग मे 25 मार्च 1981 की वह घटना भी कौंध रही थी कि तब शालिनी से एंगेज्मेंट हो चुकने के तुरंत बाद उन लोगों ने शालिनी का हाथ देख कर बताने को कहा था मेरे माता-पिता ने भी उन लोगों का समर्थन कर दिया था।



(बाएँ से दायें-बउआ,सरोजनी देवी-शालिनी की माँ,मधू-कुक्कू की पत्नी और कमलेश बाबू की भतीजी,शालिनी,खुद,बाबूजी और उनकी गोद मे डॉ शोभा की ज्येष्ठ पुत्री,पीछे की पंक्ति मे -अजय,कुक्कू,डॉ शोभा,सीमा,जय शंकर लाल-शालिनी के पिता )

(सीमा,मधू,शालिनी )
शालिनी की दोनों हथेलियों का अवलोकन करने से स्पष्ट था कि उनकी उम्र कुल 35 वर्ष ही है। अर्थात वह शादी अधिक से अधिक 13 वर्ष ही चलनी थी। यदि उसी समय हकीकत बता देता तो तत्काल रिजेक्ट कर दिया जाता और वह विवाह न होता। हाथ एंगेज्मेंट के पहले देखने को कहा जाता तो हकीकत ही बताना था। असमंजस मे तब चुप रहना मेरे लिए काफी घातक रहा। फिर वह बात दिमाग से इस प्रकार निकल गई जिस प्रकार गधे के सिर से सींग। जब नवंबर 1993 मे लव लीन ने शालिनी को बताया कि भुआ आपकी उम्र 36 वर्ष ही है तब भी पुरानी बात याद न आई और मैंने शालिनी को समझा दिया कि भतीजी की बात को अन्यथा न लें। किन्तु उसी दिन से वह बीमार पड़ गई थीं और अंततः 36 वे वर्ष मे दुनिया छोड़ ही गई।

जैसा कि पहले ही उल्लेख कर चुका हूँ कि शालिनी से विवाह कमलेश बाबू के पिताजी ने तय कराया था। पहले जितने भी लोगों ने संपर्क किया था सब का जिक्र बउआ डॉ शोभा से करती थीं और कमलेश बाबू की माताजी किसी न किसी आधार पर सभी लड़कियों को रिजेक्ट करा देती थीं। मुझसे मेरे माता-पिता ने कोई राय लेना कभी मुनासिब नहीं समझा । नीचे उन पत्रों की स्कैन कापियाँ दे रहा हूँ जिनकी पुत्रियों के प्रपोज़ल डॉ शोभा ने अपनी सास के हवाले से रिजेक्ट करवाए थे-


यह पत्र बार्डर सिक्योरिटी फोर्स के रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर अमर सिंह जी का है जिनकी राय मैंने मांगी थी किन्तु उनके ठीक बताने के बावजूद डॉ शोभा ने बउआ को सूचित किया था कि उनकी सास कहती हैं मात्र 10 माह का अंतर कम है और इसी ग्राउंड पर बाबूजी ने वहाँ मना कर दिया था।









इन सभी पत्रों और उनके साथ आई फ़ोटोज़ को पहले बाबूजी अलीगढ़ डॉ शोभा के पास डाक से भेजते थे और डॉ शोभा अपनी सास साहिबा के कमेन्ट के साथ लौटाती थीं। जयपुर से आए एक फोटो पर डॉ शोभा की सास अर्थात के बी माथुर साहब की माताजी का रिमार्क मुझे बेहद बेहूदा लगा था कि -'लड़की के कूल्हे भारी हैं'। मेरे बोलने की कहीं कोई गुंजाईश न थी अपने बारे मे ही मेरी कोई भूमिका नहीं थी।

आखिरी पत्र अजय के एक्सीडेंट के समय सहयोग देने वाले परिवार की बेटी की नन्द की बाबत है। पटना के मशहूर दवा व्यवसायी थे (के जी मेडिकल हाल वाले कृष्ण  गोपाल माथुर साहब ) जिनके यहाँ कई बार डकैती भी पड़ी और अंततः वे लोग पूना शिफ्ट हो गए। डॉ शोभा की सास ने यह कह कर रिजेक्ट कराया कि पटना का पानी खराब है वहाँ की लडकिया बीमार रहती हैं। नामनेर ,आगरा के वह माथुर साहब भी अब पूना शिफ्ट हो गए हैं किन्तु उस लड़की की शादी आगरा मे ही सेंट्रल बैंक के एक क्लर्क से उन्होने करा दी थी जो अब अधिकारी हैं। ये दोनों पति-पत्नी अपनी पुत्रियों की जन्मपत्रियाँ बनवाने  कमला नगर मेरे घर पर कई बार आए हैं।बड़ी बेटी के  विवाह हेतु मुझसे ही कुंडलियाँ भी मिलवाई हैं। रांची स्थित कोल इंडिया के रिटायर्ड डिप्टी चीफ सेक्यूरिटी आफ़ीसर आर पी माथुर साहब,विनीश जी के चाचा थे और मुझ से मित्रवत व्यवहार रखते थे। शालिनी व मुझे विनीश जी की पत्नी -ज्योति से उन्होने ही अपने घर पर परिचय करवाया था।

25 मार्च 1981 को शालिनी से एंगेज्मेंट के बाद कुक्कू की पत्नी मधू  के गाना गाने पर कमलेश बाबू ने स्टूल को तबला बना कर अपनी भतीजी के साथ संगत की थी। तमाम कारणों से तमाम को रिजेक्ट करने के बावजूद अंजाम क्या रहा ?डॉ रामनाथ ने भी शालिनी से 28 गुण मिलते बताए थे जब कि हकीकत मे 14 थे अर्थात नहीं मिलते थे (1981 तक मै खुद नहीं मिलाता था)। अब एहसास होता है कि कमलेश बाबू ने कुक्कू के जरिये डॉ रामनाथ को खरीदवा दिया था। डॉ रामनाथ ने पैसों के लालच मे प्रोफेशन और मेरे साथ विश्वासघात किया था।डॉ शोभा दूसरे कारणों से रिजेक्ट कराती रहीं तो भी बाबू जी डॉ राम नाथ के पास ज्योतिषीय जानकारी लेने हेतु जन्मपत्रियाँ भेजते थे। शालिनी की जन्मपत्री को छोड़ कर सभी मे उन्होने गुण नहीं मिलते बताया था। चूंकि बउआ -बाबूजी अपनी पुत्री-दामाद पर विश्वास करते रहे इसीलिए उन्हें विश्वासघात करना आसान रहा।(सब बातों का खुलासा गत वर्ष उनके लखनऊ आने पर हुआ और इसी डर से वे हमारे लखनऊ शिफ्ट करने का विरोध करते रहे थे)।

क्रमशः ........ 

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