बुधवार, 28 दिसंबर 2011

आगरा/1992-93/विशेष राजनीतिक (भाग-7 )

गतांक से आगे.....
शाखा लँगड़े की चौकी के मंत्री कामरेड एस कुमार (जिसे कभी मिश्रा जी बड़ा प्यारा कामरेड कहते थे) को कटारा के बेटे ने पार्टी कार्यालय मे ही पीट दिया। अब तो आगरा के कामरेड्स मे मिश्रा जी और कटारा के विरुद्ध उबाल ही आ गया था। एस कुमार जी भी अनुसूचित वर्ग से संबन्धित थे अतः यह माना गया कि मिश्रा जी का गुट कामरेड नेमीचन्द को हतोत्साहित करने हेतु ऐसी ओछी हरकतें जान-बूझ कर कर रहा है। एक बार पुनः राज्य-केंद्र पर अधिकृत तौर पर मिश्रा जी और कटारा साहब के विरुद्ध कारवाई करने का निवेदन किया गया। कामरेड काली शंकर शुक्ला जी का वरद हस्त मिश्रा जी का रक्षा कवच था। कामरेड रामचन्द्र बख्श सिंह ने खुद आगरा आकर सब की सुन कर कोई ठोस निर्णय लेने का आश्वासन दिया। मिश्रा जी ने दिलली  की भाग-दौड़ करके कामरेड रामचन्द्र बख्श सिंह के स्थान पर राज्य सचिव कामरेड मित्रसेन यादव का आना सुनिश्चित करवाया।

दिन मे आगरा की भाकपा जिला काउंसिल की बैठक भी राज्य सचिव के समक्ष हुई । लिखित और मौखिक शिकायतें उनको सौंपी गई। मिश्रा जी बैठक से अलग ले जाकर मित्रसेन यादव जी से मिले और उन्हें कुछ घुट्टी पिला दी। मिश्रा जी और कटारा साहब को पार्टी से हटाने का जो प्रस्ताव था उसे मित्रसेन यादव जी के कहने पर पास नहीं किया गया। उन्होने इन दोनों के सुधर जाने का आश्वासन अपनी तरफ से दिया। उनकी बात न माने जाने का प्रश्न ही न था। रात को राजा-की-मंडी स्टेशन पर 'गंगा-जमुना एक्स्प्रेस' मे मित्रसेन जी को बैठाने जिला मंत्री नेमीचन्द जी ,मै और किशन बाबू श्रीवास्तव साहब तो गए ही कटारा साहब भी मिश्रा जी के सुझाव पर पहुँच गए थे। स्टेशन पर मित्रसेन जी ने कटारा साहब से कहा मिश्रा जी का ख्याल रखो।


Link to this post-



1 टिप्पणी:

  1. रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष -2012 के लिए हार्दिक शुभकामनाएं । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

ढोंग-पाखंड को बढ़ावा देने वाली और अवैज्ञानिक तथा बेनामी टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम कर दिया गया है.असुविधा के लिए खेद है.

+Get Now!